Swiss court sentences Hinduja Family’s four members: स्विट्जरलैंड की एक आपराधिक अदालत (Swiss criminal court) ने भारतीय मूल की अरबपति हिंदुजा फैमिली के चार सदस्यों को साढ़े चार साल की जेल की सजा सुनाई है। हिंदुजा फैमिली पर मानव तस्करी (human trafficking) और कर्मचारियों के शोषण करने का गंभीर आरोप लगाए गए थे। बता दें कि हिंदुजा ग्रुप ऑटोमोटिव, ऑयल और फाइनेंस सहित 11 सेक्टर्स में काम करता है। फोर्ब्स 2023 की लिस्ट के मुताबिक, हिंदुजा फैमिली की कुल नेटवर्थ 20 अरब डॉलर है।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान, स्विस कोर्ट ने पाया कि हिंदुजा फैमिली के चारों आरोपी – अजय हिंदुजा, उनकी पत्नी नम्रता हिंदुजा, उनके पिता प्रकाश हिंदुजा और माता कमल हिंदुजा मजदूरों का शोषण करते थे और अनधिकृत रोजगार (unauthorised employment) दिया करते थे। कोर्ट ने उन्हें इस आरोप के लिए दोषी भी ठहराया।
हालांकि, कोर्ट ने 79 वर्षीय प्रकाश हिंदुजा और उनकी फैमिली के तीन सदस्यों के खिलाफ मानव तस्करी के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा- कर्मचारी समझते हैं कि वे क्या कर रहे हैं। वे अपनी इच्छा से काम कर रहे थे।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान, चारों आरोपी जिनेवा की कोर्ट में पेश नहीं हुए थे, हालांकि हिंदुजा फैमिली का बिजनेस मैनेजर और पांचवां आरोपी नजीब जियाजी (Najib Ziazi) कोर्ट में मौजूद था। उसे 18 महीने की सजा सुनाई गई जो निलंबित (suspended sentence) रखी गई है।
हिंदुजा फैमिली की तरफ से पेश हुए वकीलों ने कहा कि वे ऊपरी कोर्ट में अब अपील करेंगे। कमल हिंदुजा के वकील रॉबर्ट एस्सेल ने कहा कि उन्हें इस बात से राहत मिली है कि कोर्ट ने मानव तस्करी के आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन सजा को गंभीर बताया।
वकीलों ने कहा कि हमारे मुवक्किलों का स्वास्थ्य बहुत खराब है, वे बुजुर्ग लोग हैं। हिंदुजा की 75 वर्षीय पत्नी कमल हिंदुजा की देखभाल चल रही है और परिवार उनके साथ है।
गौरतलब है कि भारतीय मूल की हिंदुजा फैमिली पर अपने नौकरों की तस्करी यानी अवैध रूप से दूसरे देश से अपने यहां लाने का आरोप लगाया गया था, जिनमें से ज्यादातर अशिक्षित भारतीय थे जो जिनेवा में उनके आलीशान ‘लेक विला’ में काम करते थे।
17 जून 2024 को हिंदुजा फैमिली के खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ, जब जिनेवा अभियोजकों (Geneva prosecutors) ने पिछले साल हिंदुजा फैमिली के चार सदस्यों पर कथित मानव तस्करी (human trafficking) और उनके घरेलू कर्मचारियों के शोषण का गंभीर आरोप लगाया। आरोप लगाने वाले पक्ष यानी prosecution ने कहा था कि हिंदुजा फैमिली के चार सदस्यों ने अपने भारतीय कर्मचारियों से बिना किसी छुट्टी के दिन में 18 घंटे तक काम करवाया।
अभियोजक ने यह भी आरोप लगाया था कि नौकरों के पासपोर्ट जब्त कर लिए गए थे और उनके पास खर्च करने के लिए स्विस फ्रैंक (स्विटजरलैंड की करेंसी) नहीं थे क्योंकि उनका वेतन भारत में दिया जाता था, जहां की करेंसी रुपया है। स्विट्जरलैंड में उन्हें बहुत कम पैसे के लिए लंबे समय तक कष्टदायी ढंग से काम करने के लिए मजबूर करते थे। कई मजदूरों को हिंदी ही पढ़ने में आती थी, और पेमेंट भी रुपये करेंसी में की जाती थी। इस वजह से वे अपने घर वापस ही नहीं लौट पाते थे।
आरोप लगाने वाले अभियोजक पक्ष ने यह भी कहा कि कर्मचारियों के साथ जो नौकरी का कॉन्ट्रैक्ट होता था, उसमें काम के घंटों या छुट्टी के दिनों का जिक्र नहीं था, क्योंकि उन्हें जरूरत के हिसाब से उपलब्ध रहना पड़ता था।
कर्मचारियों ने आरोप में कहा कि हिंदुजा फैमिली उनके पासपोर्ट जब्त कर लेती थी। फैमिली की तरफ से उन्हें गलत बहाने पर बार-बार थोड़े समय के लिए मिले टूरिस्ट वीजा पर काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। कर्मचारियों ने कॉन्ट्रैक्ट का हवाला देते हुए यह भी आरोप लगाया गया घरेलू कर्मचारियों को भारत में उनकी मजदूरी का भुगतान किया गया था और वे एंप्लॉयर्स यानी हिंदुजा फैमिली की परमिशन के बिना घर नहीं छोड़ सकते थे।
आरोप में रहा गया कि कर्मचारियों की सैलरी केवल कुछ सौ स्विस फ्रैंक हर महीने थी। जबकि परिवार ने अपने पालतू कुत्ते पर सालाना 8,584 स्विस फ्रैंक खर्च किए। यहां तक कि एक नौकर को केवल फैमिली ने 7 स्विस फ्रैंक (655 रुपये) के हिसाब से प्रति दिन पेमेंट किया और 18 घंटे काम करवाया।
ऐसा पहली बार नहीं है जब हिंदुजा फैमिली को ये दिन देखने पड़ रहे हों। हिंदुजा फैमिली 1980 के दशक में भारत से स्विट्जरलैंड चली गई थी, और सभी वहीं बस गए। साल 2000 में उन्हें स्विटजरलैंड की नागरिकता मिल गई। 2007 में इसी तरह के आरोप में प्रकाश हिंदुजा दोषी ठहराया गया था। स्विस अधिकारियों द्वारा लाया गया एक अलग कर मामला हिंदुजा के खिलाफ लंबित है।