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गजब! 15 लाख महिलाओं ने लगाया सरकार को 2700 करोड़ का चूना

राज्य सरकार अब प्रत्येक महिला के आवेदन की जांच करके यह पता करने में लगी है कि योजना का लाभ ले रही महिलाएं योजना की शर्तों को पूरा कर रही है या नहीं।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- February 20, 2025 | 8:01 PM IST

मुख्यमंत्री लाडली बहिन योजना का लाभ लेने वाली प्रत्येक महिला के आवेदनों की बारीकी से जांच शुरू है। जांच जैसे जैसे बढ़ रही है लाभार्थियों नाम तेजी से कट रहे हैं। अभी तक पांच लाख महिलाओं के नाम काटे जा चुके हैं और करीब 10 लाख महिलाओं के नाम काटे जा सकते हैं। इस तरह कुल 15 लाख महिलाओं के नाम लाभार्थियों की सूची से बाहर हो सकते हैं। जिससे राज्य सरकार को करीब 2700 करोड़ रुपये सालाना की बचत होने का अनुमान है। इस योजना में 83 फीसदी महिलाएं विवाहित है जबकि सबसे ज्यादा लाभार्थी 30-39 साल की है।

चुनाव के पहले शुरू की गई मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना शुरू से ही चर्चा में रही। राज्य सरकार अब प्रत्येक महिला के आवेदन की जांच करके यह पता करने में लगी है कि योजना का लाभ ले रही महिलाएं योजना की शर्तों को पूरा कर रही है या नहीं। सरकार की जांच से मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना के लाभार्थियों को बड़ा झटका लग सकता है। लाडकी बहिन योजना की लाभार्थियों को हर साल जून महीने में बैंक जाकर केवाईसी जमा करना होगा जिसमें जीवन प्रमाण पत्र भी देना होगा। जो महिलाएं दूसरी सरकारी योजनाओं का लाभ ले रही हैं और जिनकी परिवारिक आय 2.5 लाख से अधिक है उन्हे अयोग्य घोषित किया जाएगा। पारिवारिक आय जानने के लिए सरकार आयकर विभाग की मदद लेगी।

महाराष्ट्र में नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन की जीत में इस योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस योजना के तहत, 21 से 65 वर्ष की आयु की विवाहित, तलाकशुदा, विधवा, परित्यक्त या निराश्रित महिलाओं तथा 2,50,000 रुपये प्रति वर्ष से कम पारिवारिक आय वाली महिलाओं को राज्य सरकार 1,500 रुपये की मासिक सहायता प्रदान करती है । इस योजना के तहत, घर की एक अविवाहित महिला को भी यह सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत अब तक करीब 2.5 करोड़ लाभार्थी पंजीकृत हैं।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना की लाभार्थियों में से 83 प्रतिशत विवाहित महिलाएं हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि विवाहित महिलाओं की संख्या 83 प्रतिशत, जबकि अविवाहित महिलाओं की संख्या 11.8 प्रतिशत, विधवाओं की संख्या 4.7 प्रतिशत, जबकि ‘तलाकशुदा, निराश्रित या परित्यक्त’ महिलाओं की संख्या सामूहिक रूप से 1 प्रतिशत से भी कम है। आंकड़ों के अनुसार, तलाकशुदा महिलाओं की संख्या 0.3 प्रतिशत, परित्यक्त महिलाओं की संख्या 0.2 प्रतिशत और निराश्रित महिलाओं की संख्या 0.1 प्रतिशत है। सबसे अधिक 29 प्रतिशत लाभार्थी 30-39 साल के आयु वर्ग से हैं, इसके बाद 25.5 प्रतिशत 21-29 के आयु वर्ग से और 23.6 प्रतिशत 40-49 साल के आयु वर्ग से हैं। 60 से 65 वर्ष की आयु की महिलाओं की संख्या केवल पांच प्रतिशत है।

यह योजना पिछले साल जुलाई में शुरू की गई थी। विधानसभा चुनाव में देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्व वाली सरकार ने सत्ता में आने के बाद कहा कि वादा निभाया जाएगा और आने वाले बजट में इस आशय की घोषणा की उम्मीद है। नई महायुति सरकार ने अयोग्य लाभार्थियों को हटाने के लिए समीक्षा का आदेश दिया। अब तक, पांच लाख लाभार्थियों को सूची से बाहर किया गया है, अधिकारियों का अनुमान है कि यह संख्या बढ़कर 15 लाख हो सकती है।

इस योजना में हर महिला को 1500 रुपये महीना यानी साल का 18000 रुपये मिलता है। पांच लाख महिलाओं के नाम काटने से सरकार को हर महीने 75 करोड़ यानी साल का 900 करोड़ रुपये बचेगा। और यह संख्या 15 लाख पहुंचती है तो हर महीने 225 करोड़ और प्रत्येक साल 2700 करोड़ की बचत होगी।

First Published : February 20, 2025 | 8:01 PM IST