भारत का पश्चिमी माल ढुलाई गलियारा, जो महाराष्ट्र को उत्तर भारत से जोड़ता है, 2025 के अंत तक पूरा हो जाएगा। इस तरह, 10 साल से ज़्यादा समय से सोचे-समझे इस माल ढुलाई गलियारे के प्रोजेक्ट का काम पूरा हो जाएगा।
भारत के माल ढुलाई निगम लिमिटेड (DFCCIL) के मैनेजिंग डायरेक्टर आरके जैन ने शुक्रवार को बताया कि इस गलियारे का काम महाराष्ट्र छोड़कर बाकी सभी राज्यों में पूरा हो चुका है। महाराष्ट्र में इस प्रोजेक्ट का काम अभी तक 50 प्रतिशत पूरा हुआ है और दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।
पश्चिमी गलियारे का वैतरणा-JNPT सेक्शन इस प्रोजेक्ट का आखिरी हिस्सा है, जो पहले ठेकेदार कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स की ढिलाई की वजह से रुका हुआ था। साल 2023 में डीएफसीसी ने इस कंपनी को नोटिस देकर काम बंद करने को कहा था, लेकिन बाद में ये फैसला वापस ले लिया गया।
अभी रेलवे मंत्रालय की एसपीवी हर दिन 325 ट्रेनें चला रहा है, जो पिछले साल के मुकाबले 60 प्रतिशत ज्यादा है। पूर्वी माल ढुलाई गलियारा, जो पंजाब और बिहार के बीच है, पिछले साल पूरा हो गया था और इस साल बिजली घरों को कोयला समय पर पहुंचाने के लिए इसका खूब इस्तेमाल किया गया है।
डीएफसीसी के मुताबिक, राष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट कंपनी के माल का 10 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा अब डीएफसीसी ही संभाल रही है। जैन ने बताया कि डीएफसी पूरा होने से भारत में माल ढुलाई की लागत कम होगी और रेलवे को राष्ट्रीय माल ढुलाई में 45 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा।
इसके अलावा, कंपनी को तीन नए माल ढुलाई गलियारों – उत्तर-दक्षिण (इटारसी-विजयवाड़ा), पूर्वी तट (खड़गपुर-विजयवाड़ा), और पूर्व-पश्चिम (पालघर-दांकुनी) की योजना बनाने की भी जिम्मेदारी दी गई है।
जैन ने बताया कि DFCC ने इन प्रोजेक्ट्स के लिए रेल मंत्रालय को विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) दी है। अब वे इस पर फैसले का इंतजार कर रहे हैं। कंपनी के अनुसार, कोयला खदानों से बिजलीघरों तक पहुंचने का समय पहले 35 घंटे था, जो अब घटकर 20 घंटे हो गया है। जैन, जो 2020 से संस्था के प्रमुख थे, 31 जुलाई तक पद पर रहेंगे। एक नए मैनेजिंग डायरेक्टर की नियुक्ति हो गई है। वे अगस्त से काम संभालेंगे और पश्चिमी DFC को पूरा करने की देखरेख करेंगे।