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केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के तहत अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए 1 हजार करोड़ रुपये के उद्यम पूंजी कोष बनाने की मंजूरी दे दी। यह योजना कोष परिचालन शुरू होने की तिथि से पांच वर्ष तक के लिए बनाई गई है और इससे करीब 40 कंपनियों को लाभ होने की उम्मीद है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई में अपने बजट भाषण के दौरान इसकी घोषणा की थी, जिसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ देश की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को अगले 10 वर्षों में पांच गुना करने का लक्ष्य रखा गया था।
फिलहाल भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का आकार 8.4 अरब डॉलर है और सरकार इसे साल 2033 तक 44 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखी है। साल 2020 में सेक्टर सुधारों के नतीजतन निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ने से फिलहाल भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में करीब 250 स्टार्टअप पंजीकृत हैं।
कोष के हिस्से के तौर पर प्रस्तावित निवेश की सांकेतिक सीमा करीब 10 से 60 करोड़ रुपये के बीच होगी और ये कंपनी के स्तर, इसकी वृद्धि और राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्षमताओं पर इसके संभावित प्रभाव पर निर्भर करेगी।
शुरुआती स्तर की कंपनी को 10 से 30 करोड़ रुपये मिलेंगे और अच्छी कंपनी को 30 से 60 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इस निवेश सीमा के आधार पर कोष से करीब 40 स्टार्टअप कंपनियों को मदद मिलने की उम्मीद है। निवेश अवसर और फंड की जरूरतों के आधार पर हर साल करीब 150 से 200 रुपये की रकम जारी की सकती है।
निजी क्षेत्र की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कंपनी स्काई रूट एरोस्पेस के सह-संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी पवन कुमार चंदना ने कहा, ‘सरकार की यह पहल काफी सराहनीय है और इससे अंतरिक्ष परिवेश को काफी मजबूती मिलेगी। अंतरिक्ष क्षेत्र की कंपनियों के विस्तार के लिए पूंजी काफी जरूरी है और इस कोष से काफी मदद मिलेगी। इससे निजी निवेश भी आकर्षित होगा और उद्योग में दीर्घावधि की सफलता के लिए भविष्य का रास्ता भी तैयार होगा।’
स्काई रूट भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में सबसे ज्यादा रकम जुटाने वाली कंपनियों में से एक है। इसने नवंबर 2022 में प्रक्षेपण यान विक्रम-1 को सफलतापूर्वक तैयार कर संचालित किया और ऐसा करने वाली देश की पहली निजी कंपनी बन गई।