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UCC विधेयक उत्तराखंड विधानसभा में पेश, लिव-इन पंजीकरण अनिवार्य

विधानसभा में समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक पेश,एक साल में तलाक नहीं, बहुविवाह-हलाला प्रथा पर रोक

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- February 06, 2024 | 11:01 PM IST

उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश कर दिया गया। विधेयक में सहवासी संबंध यानी लिव-इन में रहने वाले जोड़ों के लिए अनिवार्य पंजीकरण का प्रस्ताव किया गया है। ऐसा नहीं कराने पर उन्हें कम से कम तीन महीने की कैद और जुर्माने की सजा भुगतनी होगी।

इसके अलावा, कोई भी पुरुष या महिला पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं कर सकता। हलाला जैसी प्रथा को भी आपराधिक कृत्य बनाने का प्रावधान है। प्रदेश में रहने वाली सभी अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी के दायरे से बाहर रखा गया है।

राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन ‘समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड-2024’ विधेयक पेश किया। इसमें धर्म और समुदाय से परे सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति जैसे विषयों पर एक समान कानून प्रस्तावित है। हालांकि, इसके दायरे से प्रदेश में निवासरत अनुसूचित जनजातियों को बाहर रखा गया है।

इस विधेयक पर अब चर्चा की जाएगी, जिसके बाद इसे पारित कराया जाएगा । कांग्रेस सदस्यों ने प्रस्तावित कानून पर चर्चा के लिए अधिक समय की मांग करते हुए भारी हंगामा किया।

भाषा की खबर के अनुसार विधानसभा में विपक्ष के नेता यशपाल आर्य ने कहा कि 172 पृष्ठों वाला विधेयक 392 खंडों में विस्तारित है। यह अच्छा रहेगा कि विपक्षी सदस्यों को इसे पढ़ने के लिए और समय दिया जाए। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने विपक्ष की यह मांग स्वीकार की।

यूसीसी विधेयक में बहु विवाह पर रोक लगाई गई है और कहा गया है कि एक पति या पत्नी के जीवित रहते कोई नागरिक दूसरा विवाह नहीं कर सकता। इसमें यह भी प्रस्तावित है कि असाधारण कष्ट की स्थिति को छोड़कर न्यायालय में तलाक की कोई भी अर्जी तब तक प्रस्तुत नहीं की जाएगी जब तक कि विवाह हुए एक वर्ष की अवधि पूरी न हुई हो।

विधेयक में मुस्लिम समुदाय में तलाकशुदा पत्नी के लिए प्रचलित ‘हलाला’ को प्रतिबंधित करने के साथ ही उसे आपराधिक कृत्य घोषित करते हुए उसके लिए दंड का प्रावधान किया गया है।

यह प्रस्तावित कानून राज्य के सभी निवासियों पर लागू होगा। चाहे वे राज्य में रह रहे हों अथवा राज्य से बाहर। यही नहीं, उत्तराखंड में शादी का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। यदि पति या पत्नी में एक भी राज्य का निवासी है तो भी शादी का पंजीकरण कराना होगा।

विधेयक में सहवासी संबंध यानी लिव-इन में रहने वाले जोड़ों के लिए अनिवार्य पंजीकरण का प्रस्ताव किया गया है। ऐसा नहीं कराने पर उन्हें कम से कम तीन माह की कैद या 10 हजार रुपये जुर्माना या दोनों सजा भुगतनी होगी।

विधेयक में यह भी कहा गया है कि इस रिश्ते से उत्पन्न बच्चे को वैध माना जाएगा और उसे विवाह से पैदा बच्चे के समान ही उत्तराधिकार के अधिकार मिलेंगे। विधेयक में प्रस्तावित किया गया है कि राज्य में लिव-इन में रह रहे युगल को क्षेत्र के निबंधक के समक्ष एक तय प्रारूप में अपने संबंध का पंजीकरण कराना जरूरी होगा।

हालांकि विधेयक के अनुसार ऐसी स्थिति में लिव-इन संबंध का पंजीकरण नहीं किया जाएगा, जहां कम से कम एक व्यक्ति अवयस्क हो। यदि दोनों व्यक्तियों में से किसी एक की आयु भी 21 वर्ष से कम हो तो निबंधक उनके माता-पिता को इस बारे में सूचित करेगा।

इसके अलावा, अगर जोड़े में शामिल किसी व्यक्ति की सहमति बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव या किसी झूठ या धोखाधड़ी करके ली गई हो, तो भी ‘लिव-इन’ का पंजीकरण नहीं होगा।

विधेयक में कहा गया है कि एक माह के अंदर ‘लिव-इन’ में रहने की सूचना न देने पर तीन माह की कैद या दस हजार रूपये का जुर्माना या दोनों दंड प्रभावी होंगे। इस संबंध में गलत सूचना देने पर कारावास के अलावा 25,000 रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव है। ‘लिव-इन’ में रहने वाली महिला को अगर उसका पुरुष साथी छोड़ देता है तो वह उससे भरण-पोषण का दावा कर सकती है।

विधेयक में शादी की उम्र लड़के लिए 21 साल और लड़की के लिए 18 साल रखी गई है। उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को विधेयक का मसौदा सौंप दिया था।

यूसीसी पर अधिनियम बनाकर उसे प्रदेश में लागू करना 2022 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में से एक था। उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार जीत कर इतिहास रचने के बाद भाजपा ने मार्च 2022 में सरकार बनने पर मंत्रिमंडल की पहली बैठक में यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दी थी।

First Published : February 6, 2024 | 11:01 PM IST