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सुप्रीम कोर्ट ने खनिज रॉयल्टी आदेश पर केंद्र की याचिका को किया खारिज, तिरुपति लड्डू मामले में SIT गठित

शीर्ष न्यायालय में 9 न्यायाधीशों के पीठ में 8:1 के बहुमत से  25 जुलाई को अपने आदेश में कहा था कि राज्यों को खनन एवं खनिज-उपयोग गतिविधियों पर शुल्क लगाने का अधिकार है।

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भाविनी मिश्रा   
Last Updated- October 04, 2024 | 10:44 PM IST

उच्च्तम न्यायालय ने शुक्रवार को खनन एवं खनिज-उपयोग गतिविधियों से जुड़े मामले में केंद्र एवं अन्य की समीक्षा याचिकाएं निरस्त कर दी। इन याचिकाओं में 25 जुलाई को उच्चतम न्यायालय से उसी के एक आदेश की समीक्षा का अनुरोध किया गया था, जिसमें राज्यों को उपकर लगाने का अधिकार दिया गया था।

केंद्र ने सितंबर में कहा था कि शीर्ष न्यायालय के आदेश में  ‘कुछ विसंगतियां लग लग रही थीं’ जिन्हें ध्यान में रखते हुए नौ न्यायाधीशों के पीठ के निर्णय की समीक्षा का अनुरोध किया गया था।

केंद्र ने 14 अगस्त को न्यायालय के उस आदेश को भी चुनौती दी थी जिसमें राज्यों को 1 अप्रैल 2005 से केंद्र की जमीन से निकलने वाले खनिजों पर रॉयल्टी पर बकाया शुल्क वसूलने की अनुमति दी थी।

न्यायालय ने कहा था कि कर भुगतान 1 अप्रैल 2026 से अगले 12 वर्षों के दौरान विभिन्न किस्तों में चुकाए जाएंगे। न्यायालय ने यह भी कहा कि 25 जुलाई, 2024 को या इससे पहले ब्याज एवं जुर्माना माफ कर दिया जाएंगे। ऐसी खबर है कि केंद्र ने खुली अदालत में 25 जुलाई के आदेश की समीक्षा से जुड़ी याचिकाओं में मध्य प्रदेश को भी याची बनाया था।

शीर्ष न्यायालय में 9 न्यायाधीशों के पीठ में 8:1 के बहुमत से  25 जुलाई को अपने आदेश में कहा था कि राज्यों को खनन एवं खनिज-उपयोग गतिविधियों पर शुल्क लगाने का अधिकार है। न्यायालय ने यह भी कहा कि खनन कंपनियों द्वारा केंद्र सरकार को दी जाने वाली रॉयल्टी कर नहीं मानी  जा सकती। न्यायालय ने यह भी कहा कि कर लागने का राज्यों का अधिकार संसद के खनन एवं खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957 से सीमित नहीं होता है।

तिरुपति लड्डू: एसआईटी का गठन किया

उच्चतम न्यायालय ने तिरुपति लड्डू बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए पांच सदस्यीय ‘स्वतंत्र’ विशेष जांच दल (एसआईटी) का शुक्रवार को गठन करने के साथ ही स्पष्ट किया कि वह अदालत का ‘राजनीतिक युद्ध के मैदान’ के रूप में इस्तेमाल किए जाने की अनुमति नहीं देगा। यह आदेश इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त जांच दल उस एसआईटी का स्थान लेगा जिसका गठन आंध्र प्रदेश सरकार ने तिरुपति लड्डुओं को बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए 26 सितंबर को किया था।

ध्वस्तीकरण होने पर हम ढांचे को बहाल करने के लिए कहेंगे

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि यदि उसने पाया कि गुजरात के अधिकारियों ने संपत्ति के ध्वस्तीकरण संबंधी उसके हालिया आदेश की अवमानना करने वाला कृत्य किया है तो वह उन्हें तोड़े गए ढांचों को फिर से बहाल करने के लिए कहेगा।  पीठ शीर्ष अदालत के 17 सितंबर के आदेश के कथित उल्लंघन के लिए अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की अपील वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि देशभर में अपराध के आरोपियों सहित अन्य लोगों की संपत्तियों का बिना अदालत की अनुमति के ध्वस्तीकरण नहीं किया जाएगा। पीठ ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर के पास ध्वस्तीकरण पर यथास्थिति का आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।

एमसीडी: चुनाव में एलजी की जल्दबाजी पर सवाल उठाए

उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छठे सदस्य का चुनाव कराने में उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से की गई ‘अत्यधिक जल्दबाजी’ और चुनावी प्रक्रिया में ‘हस्तक्षेप’ करने पर सवाल उठाया।

(साथ में एजेंसियां)

First Published : October 4, 2024 | 10:44 PM IST