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सुप्रीम कोर्ट ने कहा: EC बिहार मतदाता सूची में गलतियों की जांच करे और सुधारात्मक कदम उठाए

सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से अपेक्षा की कि बिहार मतदाता सूची में टाइपिंग और अन्य त्रुटियों की जांच कर सुधारात्मक कदम उठाए जाएं

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भाषा   
Last Updated- October 16, 2025 | 9:39 PM IST

निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की कवायद को ‘सटीक’ बताते हुए उच्चतम न्यायालय से कहा कि याची राजनीतिक दल और गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) केवल इस प्रक्रिया को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगाकर संतुष्ट हैं। आयोग ने उच्चतम न्यायालय से यह भी कहा कि अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद से नाम हटाने के खिलाफ किसी मतदाता ने एक भी अपील दायर नहीं की है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची के पीठ ने बिहार में आगामी विधान सभा चुनाव के मद्देनजर रैलियों के कारण राजनीतिक दलों के सुनवाई से अनुपस्थित रहने का संज्ञान लेते हुए कहा कि वह निर्वाचन आयोग से अपेक्षा करता है कि वह बिहार में एसआईआर के बाद तैयार की गई अंतिम मतदाता सूची में टाइपिंग संबंधी त्रुटियों और अन्य गलतियों की एक जिम्मेदार प्राधिकार के रूप में जांच करे और सुधारात्मक उपाय प्रस्तुत करे।

बिहार में एसआईआर कराने के आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध करते हुए आयोग ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के ‘छिपे हुए इरादे’ हैं और वे राजनीतिक दलों के चुनावी हितों के लिए एसआईआर प्रक्रिया, अंतिम मतदाता सूची और आयोग को बदनाम करने के लिए केवल ‘झूठे आरोप’ लगाकर संतुष्ट हैं। निर्वाचन आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) की नियुक्ति को छोड़ दें तो राजनीतिक दलों और संगठनों ने यह सुनिश्चित करने में कोई महत्त्वपूर्ण योगदान नहीं दिया कि सभी पात्र मतदाताओं को अंतिम मतदाता सूची में शामिल किया जाए।

याचिका में कहा गया है, ‘राजनीतिक दलों और याचियों का दृष्टिकोण निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाने और एसआईआर प्रक्रिया में त्रुटियां बताने का रहा है। इसके विपरीत, आयोग ने न केवल 90,000 से अधिक बीएलओ नियुक्त किए, बल्कि राजनीतिक दलों को भी शामिल किया और बीएलए नियुक्त किए।’

जदयू ने उम्मीदवार घोषित किए

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रमुख घटक जनता दल (यूनाइटेड) ने बिहार विधान सभा चुनाव में अपने कोटे की सभी 101 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, जिनमें आधे से अधिक प्रत्याशी अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) और अति पिछड़े वर्ग (ईबीसी) से हैं। 

First Published : October 16, 2025 | 9:39 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)