सरकार द्वारा पंजीकृत स्टार्टअप की संख्या 6 अंकों को छूने वाली हैं। स्टार्टअप इंडिया वेबसाइट के हालिया आंकड़ों से पता चलता है 9 मई तक 98,297 स्टार्टअप का पंजीकरण किया जा चुका है। संसद में पहले दी गई जानकारी और ताजा आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में इस साल अब तक 12,214 नई स्टार्टअप जोड़ी गई हैं। सरकार ने पहले बताया था कि दिसंबर 2022 खत्म होने के दौरान 86,713 स्टार्टअप थीं। इसका मतलब हुआ कि इस कैलेंडर वर्ष भारत में हर दिन करीब 90 नई स्टार्टअप की शुरुआत की गई है।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के साथ स्टार्टअप का पंजीकरण ऐंजल टैक्स से बचने में मदद करता है। स्टार्टअप को मिलने वाले निवेश पर जब सरकार कर लगाती है तो उसे ऐंजल टैक्स कहा जाता है। कर विभाग ने कथित तौर पर ऐंजल टैक्स को स्टार्टअप द्वारा मूल्यांकन बढ़ाकर कालेधन को सफेद करने पर रोक लगाने का एक प्रमुख उपाय माना है।
स्टार्टअप संस्थापकों ने सभी क्षेत्रों पर समान ध्यान नहीं दिया है। 50 से अधिक क्षेत्रों में से केवल पांच ही पंजीकृत स्टार्टअप का लगभग एक तिहाई हिस्सा हैं। इनमें सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं, स्वास्थ्य सेवा और जीवन विज्ञान, शिक्षा, कृषि, और खाद्य और पेय पदार्थ शामिल है। शीर्ष दस में शामिल अन्य क्षेत्रों में पेशेवर और वाणिज्यिक सेवाएं, निर्माण, हार्डवेयर प्रौद्योगिकी, वित्त प्रौद्योगिकी और नवीकरणीय ऊर्जा शामिल हैं।
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राज्यवार आंकड़ों से भी पता चलता है कि स्टार्टअप की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। विश्लेषण दर्शाता है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली और उत्तर प्रदेश स्टार्टअप के पसंदीदा स्थान के रूप में उभरे हैं। सभी नई स्टार्टअप में से इन राज्यों से 50 फीसदी पंजीकरण हुआ है और यह रोजगार के लिए भी उतनी ही संख्या है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र ने स्टार्टअप से सर्वाधिक नौकरियां दी हैं। यहां 51,357 नौकरियों का सृजन हुआ है। इसके बाद दिल्ली में 30,083 और कर्नाटक में 24,487 लोगों को स्टार्टअप में नौकरियां मिली हैं। उत्तर प्रदेश की तुलना में गुजरात में अधिक लोगों को रोजगार मिला है। उत्तर प्रदेश के 22,969 नौकरियों के मुकाबले गुजरात में 23,832 लोगों को नौकरियां मिली हैं।