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शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष उड़ान शुरू! साथ ले गए ‘गाजर का हलवा’ और ‘जॉय’, जानिए 14 दिन के मिशन में क्या करेंगे

Shubhanshu Shukla: स्पेस में पोषण पर रिसर्च करेंगे शुभांशु शुक्ला, आमरस और 'जॉय' के साथ शुरू होगा भारत का नया अंतरिक्ष अध्याय

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- June 25, 2025 | 12:00 PM IST

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज एक ऐतिहासिक सफर पर रवाना होंगे। वे अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय नागरिक बनने जा रहे हैं। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के स्पेस मिशन में हिस्सा लिया था। अब करीब 40 साल बाद शुभांशु शुक्ला अमेरिका के Axiom-4 मिशन के ज़रिए अंतरिक्ष की यात्रा पर जा रहे हैं। यह मिशन अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से शुरू होगा।

स्पेसएक्स ड्रैगन से होगी उड़ान, 26 जून को पहुंचेगा अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन

Axiom-4 मिशन के तहत चार अंतरिक्ष यात्रियों की टीम को स्पेसएक्स के नए ड्रैगन यान में भेजा जाएगा। इस यान को फाल्कन 9 रॉकेट के ज़रिए अंतरिक्ष में लॉन्च किया जाएगा। मिशन की शुरुआत बुधवार को हो रही है और अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन यानी ISS से यह यान गुरुवार 26 जून को भारतीय समयानुसार शाम 4 बजकर 30 मिनट पर जुड़ जाएगा। शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट की भूमिका निभा रहे हैं और उनके साथ अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन कमांडर के रूप में होंगी।

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अंतरिक्ष में करेंगे वैज्ञानिक प्रयोग, फोकस होगा पोषण और जीवन प्रणाली पर

यह मिशन केवल एक यात्रा नहीं बल्कि विज्ञान और भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए एक बड़ा प्रयोग भी है। शुभांशु शुक्ला 14 दिनों तक अंतरिक्ष स्टेशन में रहकर ऐसे प्रयोग करेंगे जो भविष्य की लम्बी अंतरिक्ष यात्राओं के लिए ज़रूरी हैं। ये प्रयोग खास तौर पर भोजन और पोषण से जुड़े हैं। इस रिसर्च में इसरो, भारत सरकार का जैव प्रौद्योगिकी विभाग और नासा मिलकर काम कर रहे हैं। इसका उद्देश्य ऐसे फूड सिस्टम और लाइफ सपोर्ट सिस्टम बनाना है जो खुद से टिकाऊ हों और लंबे मिशनों में मदद करें।

माइक्रोग्रैविटी में एल्गी और स्पाइरुलिना पर रिसर्च करेंगे शुक्ला

शुक्ला का पहला प्रयोग इस बात पर केंद्रित होगा कि माइक्रोग्रैविटी और अंतरिक्ष की रेडिएशन का असर खाने योग्य माइक्रोएल्गी पर कैसा पड़ता है। एल्गी एक पौष्टिक तत्व है जिसे भविष्य में अंतरिक्ष यात्राओं के लिए सुपरफूड के रूप में देखा जा रहा है। शुक्ला अंतरिक्ष और पृथ्वी की स्थितियों की तुलना करते हुए यह जानने की कोशिश करेंगे कि इन एल्गी की ग्रोथ, प्रोटीन संरचना और मेटाबोलाइट्स में क्या फर्क आता है।

दूसरे प्रयोग में वे स्पाइरुलिना और सिनेकॉकस जैसे सायनोबैक्टीरिया की माइक्रोग्रैविटी में ग्रोथ और प्रोटीन व्यवहार को जांचेंगे। इस रिसर्च का उद्देश्य यह समझना है कि क्या स्पाइरुलिना को अंतरिक्ष में उगाकर एक पोषणयुक्त भोजन के रूप में उपयोग किया जा सकता है। खास बात यह भी है कि इस रिसर्च में इंसानी अपशिष्ट से प्राप्त नाइट्रोजन यानी यूरिया को भी एक संभावित उर्वरक के रूप में परखा जाएगा।

प्रधानमंत्री और छात्रों से भी करेंगे संवाद

इस मिशन के दौरान वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ शुभांशु शुक्ला भारत के लोगों से जुड़ने का भी काम करेंगे। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, देशभर के स्कूलों के छात्रों और भारत के स्पेस सेक्टर से जुड़े लोगों से संवाद करेंगे। इस बातचीत के ज़रिए भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं और वैज्ञानिक सोच को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। यह पहल खासकर युवाओं के बीच जागरूकता और प्रेरणा फैलाने के उद्देश्य से की जा रही है।

अंतरिक्ष में ले जाएंगे भारतीय मिठाइयां और एक खास खिलौना

शुक्ला ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि वे कुछ व्यक्तिगत वस्तुएं भी अपने साथ अंतरिक्ष में ले जा रहे हैं। इनमें उनकी पसंदीदा भारतीय मिठाइयां जैसे आमरस, गाजर का हलवा और मूंग दाल का हलवा शामिल हैं। इसके अलावा वे एक सफेद रंग का छोटा खिलौना हंस भी ले जा रहे हैं जिसका नाम ‘जॉय’ है। यह हंस अंतरिक्ष में भारहीनता की स्थिति आने पर हवा में तैरने लगेगा और यही उसकी भूमिका होगी यानी माइक्रोग्रैविटी इंडिकेटर के रूप में काम करना।

राकेश शर्मा के बाद अब शुभांशु शुक्ला

शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने वाला है। वे राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे। राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत संघ के Soyuz T-11 यान से उड़ान भरी थी। अब भारत की नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हुए शुक्ला अंतरिक्ष की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। यह मिशन केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि देश की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए भी एक बड़ी छलांग है।

First Published : June 25, 2025 | 12:00 PM IST