सरकार 2030 तक देश में बिकने वाले डीजल में 5 फीसदी बायोडीजल मिश्रण के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए एथनॉल का उपयोग करने की योजना बना रही थी मगर एथनॉल के उत्पादन में उतार-चढ़ाव को देखते हुए उसे अपनी योजना स्थगित करनी पड़ी। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।
अधिकारियों ने कहा कि इसके बजाय यह अब यूज्ड कुकिंग ऑयल या उपयोग किए जा चुके खाद्य तेल (यूसीओ) के उपयोग को दोगुना किया जा रहा है और इसके लिए 2019 में शुरू की गई कुकिंग ऑयल के पुन: इस्तेमाल (आरयूसीओ) पहल का विस्तार करने की योजना है।
यूरोप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला बायोडीजल का संदर्भ पारंपरिक रूप से वनस्पति तेल, पशु वसा या रेस्तरांओं के रीसाइकल ग्रीस से तैयार बायोडिग्रेडेबल ईंधन से है। लेकिन सरकार द्वारा बायोडीजल उत्पादन के लिए अधिसूचित फीडस्टॉक की सीमित उपलब्धता की वजह से भारत में बड़े पैमाने पर मिश्रण करने की राह में कई बाधाएं आई हैं।
इनमें गैर-खाद्य तेल, पशु वसा, एसिड ऑयल और यूज्ड कुकिंग ऑयल की सीमित उपलब्धता शामिल हैं।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने लोक सभा को बताया था कि अगस्त 2021 में बायोडीजल मिश्रित डीजल की हिस्सेदारी 0.1 फीसदी से भी कम थी।
एक तेल मार्केटिंग कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वित्त वर्ष 2016 से तेल मार्केटिंग कंपनियों ने मिश्रण के लिए 98 करोड़ लीटर से ज्यादा बायो-डीजल का उत्पादन किया मगर वित्त वर्ष 2024 के अंत तक बायोडीजल मिश्रित डीजल की हिस्सेदारी 0.8 फीसदी रही।
हालांकि, केंद्र का पेट्रोल के लिए एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम काफी सफल रहा है। 2024 में ई20 पेट्रोल (पेट्रोल में एथनॉल का 20 फीसदी मिश्रण) देश भर के पेट्रोल पंपों पर बिकी के लिए उपलब्ध है। वर्तमान एथनॉल आपूर्ति वर्ष 2023-24 के दौरान पेट्रोल में मिश्रण का प्रतिशत 13 फीसदी के पार पहुंच गया है। यह केंद्र सरकार के 2025-26 तक पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल मिश्रण हासिल करने की योजना के अनुरूप है। इसके लिए 10.16 अरब लीटर एथनॉल की जरूरत होगी।
अंतरराष्ट्रीय एनर्जी एजेंसी के अनुसार अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा एथनॉल उत्पादक देश है। हालांकि पेट्रोल पर ज्यादा ध्यान दिए जाने से डीजल के वैकल्पिक मिश्रण के रूप में एथनॉल को अलग रखा गया है।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘पारंपरिक घरेलू फीडस्टॉक का उपयोग शुरू में पहले कुछ वर्षों के लिए करने का लक्ष्य था। इसके बाद एथनॉल को आजमाया गया और यह भी सफल रहा। मगर एथनॉल की निर्बाध आपूर्ति बड़ी चुनौती है।’
सार्वजनिक क्षेत्र की बीपीसीएल और एचपीसीएल ने एथलॉल मिश्रित डीजल से वाहनों को चलाने का परीक्षण पूरा किया है। अधिकारी ने कहा, ‘शुरुआत में यह धारणा थी कि बायोडीजल की आपूर्ति बढ़ेगी और घरेलू बाजार में फ्लेक्स ईंधन वाले वाहनों की उपलब्धता कम हो जाएगी। मगर अब ऐसी समस्या नहीं है।’
5 फीसदी बायोडीजल मिश्रण के लक्ष्य की घोषणा बायोफ्यूल पर राष्ट्रीय नीति, 2018 में की गई थी। बायोडीजल पर वस्तु एवं सेवा कर की दर भी घटाई गई थी और खरीद के लिए आकर्षक कीमत की पेशकश की गई थी। 2022 में नीति को संशोधित किया गया था और सरकार ने 2030 की समयसीमा बरकरार रखी।