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Sedition Law in India: राजद्रोह कानून क्यों बरकरार रहे, विधि आयोग के अध्यक्ष ने बताई ये वजह

न्यायमूर्ति अवस्थी ने कानून बरकरार रखने की आयोग की सिफारिश का बचाव करते हुए कहा कि इसका दुरुपयोग रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रस्तावित किए गए हैं।

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भाषा   
Last Updated- June 27, 2023 | 11:54 PM IST

राजद्रोह कानून को निरस्त करने की मांग के बीच विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने मंगलवार को कहा कि कश्मीर से केरल और पंजाब से पूर्वोत्तर तक की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ‘भारत की एकता और अखंडता’ को अक्षुण्ण रखने के लिए इस कानून को बरकरार रखा जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति अवस्थी ने कानून बरकरार रखने की आयोग की सिफारिश का बचाव करते हुए कहा कि इसका दुरुपयोग रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रस्तावित किए गए हैं।

राजद्रोह कानून पिछले साल मई में उच्चतम न्यायालय की ओर से जारी दिशानिर्देशों के बाद फिलहाल निलंबित है। आयोग के अध्यक्ष ने एक इंटरव्यू में बताया कि गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जैसे विशेष कानून भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में लागू होते हैं, लेकिन ये कानून राजद्रोह का अपराध कवर नहीं करते हैं, इसलिए राजद्रोह पर विशिष्ट कानून भी होना चाहिए।

न्यायमूर्ति अवस्थी ने कहा, ‘राजद्रोह संबंधी कानून के इस्तेमाल पर विचार करते समय आयोग ने पाया कि कश्मीर से केरल और पंजाब से पूर्वोत्तर क्षेत्र तक मौजूदा स्थिति ऐसी है कि भारत की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए राजद्रोह संबंधी कानून बरकरार रखना आवश्यक है।’

उन्होंने कहा कि राजद्रोह कानून का औपनिवेशिक विरासत होना उसे निरस्त करने का वैध आधार नहीं है और अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया तथा जर्मनी सहित विभिन्न देशों के पास इस तरह का अपना कानून है।

न्यायमूर्ति अवस्थी की अध्यक्षता वाले 22वें विधि आयोग ने पिछले माह सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124(ए) को जारी रखने की सिफारिश की है, हालांकि आयोग ने इसके दुरुपयोग पर अंकुश लगाने के लिए कुछ सुरक्षा उपाय करने की भी बात कही है। इस सिफारिश से राजनीतिक हंगामा मच गया था और कई विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल के खिलाफ असहमति और अभिव्यक्ति को दबाने का प्रयास है।

First Published : June 27, 2023 | 11:54 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)