facebookmetapixel
सोना-चांदी के भाव में उछाल, MCX पर गोल्ड में ₹1,20,839 पर शुरू हुआ ट्रेडभारत का अब तक का सबसे बड़ा IPO ला सकती है Jio, 170 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है वैल्यूएशनUS प्रेसिडेंट ट्रंप अगले साल आ सकते हैं भारत, PM मोदी को बताया ‘ग्रेट मैन’राष्ट्रीय श्रम नीति पर केंद्र-राज्य करेंगे मंथन, 11 नवंबर से दो दिवसीय बैठक2047 तक विकसित भारत के लिए चाहिए और बैंक, डिजिटल दौर में भी बढ़ेगी बैंकिंग की जरूरत: DFSभारत की समुद्री क्षमता अपार है, हमें सिर्फ साहसिक लक्ष्य तय करने की जरूरत है: मैर्स्क के अधिकारी40 मिनट से 80 मिनट! Amazon MX Player पर दर्शकों का इंगेजमेंट हुआ दोगुनाGoogle Maps में आया AI! अब Gemini बताएगा रास्ते के साथ रेस्टोरेंट, ट्रैफिक और पार्किंग की पूरी जानकारीPetroleum Exports: नीदरलैंड और फ्रांस ने घटाया आयात, भारत ने नए बाजारों में बनाई पकड़अंबानी से चार गुना ज्यादा दान, शिव नादर और परिवार ने FY25 में दिए ₹2,708 करोड़ रुपये

चुनाव आयोग पर SC का बड़ा फैसला- पीएम, नेता विपक्ष और CJI की समिति की सलाह पर होगी CEC-EC की नियुक्ति

Last Updated- March 02, 2023 | 12:52 PM IST
Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि चुनाव आयुक्तों (election commissioners) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता (या सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता) और भारत के मुख्य न्यायाधीश यानी सीजीआई की एक समिति की सलाह पर की जाएगी।

उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने गुरुवार को फैसला दिया कि मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सलाह पर की जाएगी, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे।

न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से अपने फैसले में कहा कि यह नियम तब तक कायम रहेगा जब तक कि संसद इस मुद्दे पर कानून नहीं बना देती।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं हैं तो सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति संबंधी समिति में शामिल किया जाएगा।

पीठ ने मुख्य चुनाव आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार भी शामिल हैं। पीठ ने चुनाव प्रक्रिया में शुद्धता पर जोर दिया और कहा कि लोकतंत्र आंतरिक रूप से लोगों की इच्छा से जुड़ा हुआ है।

 

न्यायमूर्ति जोसेफ द्वारा लिखे गए फैसले से सहमत न्यायमूर्ति रस्तोगी ने अपने तर्क के साथ एक अलग फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव निस्संदेह निष्पक्ष होना चाहिए और इसकी शुद्धता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है।

उसने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव की शुचिता को बनाए रखा जाना चाहिए अन्यथा इसके विनाशकारी परिणाम होंगे। पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग को संवैधानिक ढांचे तथा कानून के दायरे में काम करना चाहिए और वह अनुचित तरीके से काम नहीं कर सकता।

संविधान पीठ ने कहा कि अगर निर्वाचन आयोग प्रक्रिया में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष भूमिका सुनिश्चित नहीं करता तो इससे कानून का शासन चरमरा सकता है, जो कि लोकतंत्र का आधार है। पीठ ने कहा कि लोकतंत्र नाजुक है और कानून के शासन पर ‘‘बयानबाजी’’ इसके लिए नुकसानदेह हो सकती है।

First Published - March 2, 2023 | 11:47 AM IST

संबंधित पोस्ट