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बिहार : परीक्षाओं में पारदर्शिता पर सवाल, प्रदर्शन के बीच राजनीति गरमाई

चार दिनों से अनशन कर रहे किशोर को सोमवार तड़के पटना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और बाद में सिविल कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जमानत मिल गई।

Last Updated- January 06, 2025 | 11:34 PM IST
Bihar: Questions on transparency in examinations, politics heated up amid protests बिहार : परीक्षाओं में पारदर्शिता पर सवाल, प्रदर्शन के बीच राजनीति गरमाई

बिहार की राजधानी पटना के बापू परीक्षा परिसर में 13 दिसंबर को शुभम कुमार (नाम परिवर्तित) बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा (सीसीई) दे रहे थे। बीपीएससी ने राज्य के 912 केंद्रों पर यह परीक्षा आयोजित की थी। परीक्षा शुरू होने के तकरीबन दो घंटे के बाद ही परीक्षा केंद्र की पांचवीं मंजिल की कक्ष संख्या तीन में बैठे शुभम को दूसरी और तीसरी मंजिल से कुछ छात्रों के विरोध प्रदर्शन की आवाज सुनाई दी। प्रश्नपत्र नहीं आने की बात कह कर छात्र नीचे हंगामा कर रहे थे। हालांकि, बाद में बीपीएससी ने बढ़ते हंगामे के बाद इस केंद्र सहित 22 अन्य केंद्रों पर परीक्षा रद्द कर दी।

शुभम 4 जनवरी को पुनर्परीक्षा में शामिल हुए। इस बार की परीक्षा में शामिल होने के लिए करीब 4 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन दिया था। छात्रों के हंगामे के बीच ही शुभम के परीक्षा केंद्र पर निरीक्षक रहे राम इकबाल सिंह (58 वर्ष) को हृदयाघात हो गया और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। वहां मौजूद अधिकारियों ने सिंह को अस्पताल ले जाने की कोशिश की तो नाराज छात्रों ने रास्ता रोक दिया। इसके बाद वहां मौजूद पटना के जिला पदाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने प्रदर्शन कर रहे एक छात्र को थप्पड़ जड़ दिया, जिससे मामला और बढ़ गया।

बिहार के औरंगाबाद जिले के एक निम्न-मध्यम परिवार से ताल्लुक रखने वाले 24 साल के शुभम के लिए परीक्षा रद्द होना काफी चौंकाने वाला था। वह पिछले साल अक्टूबर में अपनी छोटी-मोटी नौकरी छोड़कर दिल्ली में सरकारी नौकरी की तैयारी में जुट गए थे।

शुभम और उनके जैसे कई अन्य अभ्यर्थियों को कतई इस बात का इल्म नहीं था कि यह मुद्दा इतना तूल पकड़ लेगा और उनके विरोध प्रदर्शनों पर राजनीतिक रंग चढ़ जाएगा। बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। इसे देखते हुए नौकरी एवं रोजगार का मुद्दा विपक्ष के लिए प्रमुख चुनावी हथियार बन चुका है।

इससे पहले, बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा से एक सप्ताह पूर्व दर्जनों छात्र पटना में बीपीएससी कार्यालय के आगे जमा हुए थे। वे इस बात पर ठोस आश्वासन चाह रहे थे कि परीक्षा में ‘नॉर्मलाइजेशन’ विधि का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। जब किसी परीक्षा में अभ्यर्थी अलग-अलग पालियों में भिन्न प्रश्न पत्रों के उत्तर लिखते हैं तो ‘नॉर्मलाइजेशन’ प्रक्रिया अपनाई जाती है जिसमें प्रश्नों की जटिलता के आधार पर अंक निर्धारित किए जाते हैं। इसके अलावा एक पाली में अधिक कठिन प्रश्नों के अंक दूसरी पाली के आसान प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए तय किए जाते हैं।

‘नॉर्मलाइजेशन’ का उद्देश्य सभी छात्रों को समान मौका देना है। नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों पर पुलिस ने जमकर लाठियां बरसाईं थीं। इसके बाद हालात संभालने के लिए बीपीएससी ने छात्रों का आश्वासन दिया कि परीक्षा एक ही पाली में आयोजित की जाएगी। पिछले तीन हफ्ते में हालात तेजी से बदले हैं। इस दौरान कुछ केंद्रों पर दोबारा परीक्षा ली गई, एक अभ्यर्थी ने आत्महत्या कर ली और राजनीतिक सलाहकार से नेता बने और जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर आमरण अनशन पर बैठ गए।

चार दिनों से अनशन कर रहे किशोर को सोमवार तड़के पटना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और बाद में सिविल कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जमानत मिल गई। हालांकि, इसके बाद किशोर बेल बॉन्ड भरने को राजी नहीं हुए तब अदालत ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। शाम में घटनाक्रम में नया मोड़ आया और अदालत ने बगैर किसी शर्त के उन्हें दोबारा जमानत दे दी। केंद्रीय मंत्री एवं लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने छात्रों के प्रति अपना समर्थन जताया है।

बिहार में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी सरकारी नौकरी के लिए आयोजित किसी परीक्षा में हंगामा मचा है। इससे पहले साल 2023 में बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) ने सहायक स्तरीय पहले चरण की परीक्षा रद्द कर दी थी। परीक्षा का प्रश्नपत्र पहले ही सोशल मीडिया पर लीक हो गया था। बीपीएससी ने 2020 में 67वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा (प्रारंभिक) भी प्रश्नपत्र लीक होने के कारण रद्द कर दी थी।
सबसे ज्यादा हंगामा पिछले साल मई में बिहार में हुई राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (अंडरग्रैजुएट) यानी नीट का प्रश्नपत्र लीक होने पर हुआ था। इस मामले में 13 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी।

प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि बीपीएससी की आधी सीटों की पहले ही ‘नीलामी’ हो चुकी है। बिहार से सांसद पप्पू यादव भी इस पूरे मामले में छात्रों की तरफ से कूद गए हैं। यादव ने 3 जनवरी को बिहार बंद का आह्वान किया था जिससे राज्य में कई जगहों पर सामान्य जन-जीवन प्रभावित हुआ था। बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी प्रदर्शन करने वाले छात्रों के प्रति अपना समर्थन जताया है।

राज्य सरकार ने इस पूरे मामले पर विपक्ष के आरोपों को बचकाना बताया। जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘बिहार में छात्रों के सुनहरे भविष्य के साथ खिलवाड़ करना विपक्ष की पुरानी आदत बन चुकी है। रंजन ने दावा कि 911 परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा पूरी पारदर्शिता के साथ आयोजित हुई थी और एक केंद्र को छोड़कर कहीं कोई बाधा नहीं आई थी। उस केंद्र पर परीक्षा दोबारा ली गई।‘ हालांकि, उन्होंने पर्चा लीक होने की बात से इनकार किया।

छात्र कार्यकर्ता एवं ‘युवा हल्ला बोल’ के अध्यक्ष अनुपम ने बीपीएससी परीक्षा में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया। कांग्रेस में शामिल हो चुके अनुपम ने आरोप लगाया कि कोचिंग माफियाओं ने बीपीएससी पर अपना शिकंजा पूरी तरह कस लिया है। उन्होंने कहा, नॉर्मलाइजेशन लागू करने के पीछे असल वजह उन छात्रों को लाभ पहुंचाना है जो पहले ही धांधली का सहारा लेकर अपनी सीट खरीद चुके हैं।

First Published - January 6, 2025 | 11:22 PM IST

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