भारत-पाकिस्तान के बीच पंजाब के अमृतसर के पास अटारी-वाघा बॉर्डर | फोटो क्रेडिट: Commons
India Pakistan Conflict: भारतीय सशस्त्र बलों ने 7-8 मई की दरम्यानी रात पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमला किया। भारतीय सशस्त्र बलों ने इस सैन्य अभियान का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ दिया। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब है, जिसमें 25 पर्यटक और एक स्थानीय व्यक्ति की जान चली गई थी।
भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम उन महिलाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए चुना, जिन्होंने इस आतंकी हमले में अपने पतियों को खो दिए थे। यह भारत के पिछले सैन्य अभियानों से अलग है, जिनके नाम आमतौर पर सैन्य शक्ति दिखाने, गोपनीयता बनाए रखने या भारतीय इतिहास से प्रेरित होते थे। इस लेख में हम आजादी के बाद से लेकर अब तक भारत द्वारा पाकिस्तान पर की सैन्य कार्यवाई और उनके नामों की चर्चा करेंगे।
यह युद्ध प्रथम कश्मीर युद्ध के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि नव स्वतंत्र राष्ट्र भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध तत्कालीन रियासत जम्मू और कश्मीर को लेकर छिड़ा था। इसकी शुरुआत अक्टूबर 1947 में हुई थी। हुआ ये था कि पाकिस्तान समर्थित मिलिशिया ग्रुप्स ने जम्मू कश्मीर रियासत पर आक्रमण कर दिया था। इसके बाद जम्मू कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने भारत सरकार से मदद मांगी और भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर के भारतीय संघ में विलय समझौते पर हस्ताक्षर करवाने के बाद, इस क्षेत्र की रक्षा के लिए अपनी सेना भेजी। इसके बाद दोनों देशों के बीच बड़ा संघर्ष हुआ।
यह संघर्ष जनवरी 1949 तक जारी रहा, जब संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से युद्ध विराम लागू किया गया जिसके परिणामस्वरूप नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर का विभाजन हुआ। पाकिस्तान ने इस हमले का नाम ‘ऑपरेशन गुलमर्ग’ रखा था।
1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा, जब पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ और ‘ग्रैंड स्लैम’ के तहत जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया। पाकिस्तान की इस हरकत का जवाब देने के लिए भारतीय सैन्य बलों ने ‘ऑपरेशन रिडल’ शुरू किया। इस अभियान का लक्ष्य पाकिस्तान के लाहौर और कसूर शहरों पर हमला करना था।
6 सितंबर 1965 को शुरू हुए इस ऑपरेशन ने पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया। भारतीय सेना ने तेजी से कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान की सैन्य ताकत को कमजोर किया। इस अभियान ने भारत की सैन्य तैयारी और रणनीति को दुनिया के सामने लोहा मनवाया। ‘ऑपरेशन रिडल’ ने पाकिस्तान को पीछे धकेलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और बाद में ताशकंद समझौते की नींव रखी, जिसे सोवियत संघ ने मध्यस्थता के जरिए करवाया।
1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान ही ‘ऑपरेशन अब्लेज’ शुरू किया गया। यह एक रक्षात्मक रणनीति थी, जिसका मकसद पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के खिलाफ भारत की स्थिति को और मजबूत करना था। अप्रैल 1965 में भारत-पाकिस्तान सीमा, खासकर रण ऑफ कच्छ क्षेत्र में तनाव तेजी से बढ़ रहा था। इसके जवाब में भारतीय सेना ने बड़े पैमाने पर सैन्य जमावड़ा शुरू किया।
हालांकि, इस अभियान से तुरंत कोई बड़ा युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इसने भारत की सैन्य ताकत और तैयारियों को दिखाया। ऑपरेशन अब्लेज ने अगस्त 1965 में युद्ध शुरू होने से पहले भारत को रणनीतिक रूप से तैयार किया। इस अभियान ने यह संदेश दिया कि भारत किसी भी आक्रामक कार्रवाई का जवाब देने के लिए पूरी तरह सक्षम है।
1971 का भारत-पाक युद्ध बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई का हिस्सा था। इस दौरान भारतीय सेना और वायुसेना ने मिलकर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ ‘ऑपरेशन कैक्टस लिली’ चलाया। इसे मेघना हेली ब्रिज या मेघना नदी पार करने का अभियान भी कहा जाता है। दिसंबर 1971 में शुरू हुए इस अभियान का उद्देश्य मेघना नदी को पार करके पाकिस्तानी सेना के गढ़ अशुगंज/भैरब बाजार को बायपास करना और ढाका तक पहुंचना था। भारतीय सेना ने हेलीकॉप्टरों और हवाई सहायता के जरिए इस रणनीति को अंजाम दिया। यह अभियान बांग्लादेश की आजादी में महत्वपूर्ण साबित हुआ। इस युद्ध में पाकिस्तान की बुरी तरह से हार हुई और 93,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना से सामने आत्मसमर्पण किया।
1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर दो बड़े हमले किए, जिन्हें ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ और ‘ऑपरेशन पायथन’ नाम दिया गया। ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ 4-5 दिसंबर 1971 की रात को शुरू हुआ। इसमें भारतीय नौसेना ने पहली बार इस क्षेत्र में एंटी-शिप मिसाइलों का इस्तेमाल किया। इस हमले ने पाकिस्तानी जहाजों और बंदरगाह सुविधाओं को भारी नुकसान पहुंचाया।
इसके बाद ‘ऑपरेशन पायथन’ ने कराची पर और हमले किए, जिससे पाकिस्तान की नौसैनिक ताकत को और कमजोर किया गया। इन दोनों अभियानों ने भारत की समुद्री शक्ति को स्थापित किया और बांग्लादेश की आजादी में अहम योगदान दिया।
1984 तक सियाचिन में पाकिस्तान की बढ़ती गतिविधियां भारत के लिए चिंता का विषय बन गई थीं। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र में विदेशी पर्वतारोहण अभियानों को अनुमति देकर अपनी दावेदारी मजबूत करने की कोशिश की। भारत को खुफिया जानकारी मिली कि पाकिस्तान इस क्षेत्र में सैन्य कार्रवाई की योजना बना रहा है। इसके जवाब में भारत ने अप्रैल 1984 में ‘ऑपरेशन मेघदूत’ शुरू किया।
भारतीय सेना ने सियाचिन के रणनीतिक ऊंचाइयों पर कब्जा करने के लिए सैनिकों को तैनात किया। भारतीय वायुसेना ने उच्च ऊंचाई वाले हवाई अड्डों पर सैनिकों और सामग्री को पहुंचाया। एमआई-17, एमआई-8, चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों ने सैनिकों और सामान को ग्लेशियर की चोटियों तक पहुंचाने में मदद की। जब तक पाकिस्तानी सेना ने जवाबी कार्रवाई की, तब तक भारतीय सेना ने महत्वपूर्ण चोटियों और दर्रों पर कब्जा कर लिया था। इस अभियान ने भारत को सियाचिन में रणनीतिक बढ़त दिलाई।
1999 में पाकिस्तानी सेना और घुसपैठियों ने कारगिल क्षेत्र में भारतीय चौकियों पर कब्जा कर लिया। इसके जवाब में भारत ने मई 1999 में ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया। इस अभियान का लक्ष्य पाकिस्तानी कब्जे वाली जगहों को वापस लेना था। भारतीय सेना ने कठिन परिस्थितियों में लड़ाई लड़ी और एक-एक करके सभी रणनीतिक स्थानों को वापस हासिल किया। इस अभियान ने भारत की सैन्य ताकत और दृढ़ संकल्प को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया। ऑपरेशन विजय की सफलता ने पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर किया और भारत ने कारगिल में अपनी स्थिति को मजबूत किया।
‘ऑपरेशन सफेद सागर’ कारगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना की भूमिका का कोडनेम था। इस अभियान में वायुसेना ने नियंत्रण रेखा के पास कारगिल क्षेत्र में पाकिस्तानी घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए हवाई हमले किए। यह 1971 के युद्ध के बाद इस क्षेत्र में हवाई शक्ति का पहला बड़ा इस्तेमाल था। वायुसेना की सटीक बमबारी ने भारतीय सेना को जमीन पर आगे बढ़ने में मदद की। इस अभियान ने कारगिल में भारत की जीत को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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2016 में उरी में भारतीय सेना के शिविर पर हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की। इस अभियान को कोई विशेष नाम नहीं दिया गया, लेकिन इसे सर्जिकल स्ट्राइक के नाम से जाना जाता है। भारतीय विशेष बलों ने नियंत्रण रेखा पार करके आतंकी लॉन्च पैड्स को नष्ट किया। इस कार्रवाई ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ सक्रिय नीति को दर्शाया।
फरवरी 2019 में जम्मू-कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए। इसके जवाब में भारतीय वायुसेना ने ‘ऑपरेशन बन्दर’ के तहत पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमला किया। इस हमले में कई आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया। यह 1971 के बाद पहला मौका था, जब भारत ने नियंत्रण रेखा पार करके हवाई हमला किया। इस अभियान के बाद दोनों देशों के बीच हवाई झड़प भी हुई।