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Onion prices: जल्द ही प्याज के दाम हो सकते हैं कम, सरकार ने लिया ये फैसला

इस साल सरकार महाराष्ट्र से पिछले साल के मुकाबले 74 फीसदी अधिक कीमत पर प्याज खरीद रही है।

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रिमझिम सिंह   
Last Updated- July 09, 2024 | 5:58 PM IST

इस साल सरकार महाराष्ट्र से पिछले साल के मुकाबले 74 फीसदी अधिक कीमत पर प्याज खरीद रही है। इकॉनमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, भारत में प्याज उगाने वाला सबसे बड़ा राज्य महाराष्ट्र है।

अखबार की रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि पिछले साल जहां प्याज की औसत खरीदारी ₹16.93 प्रति किलो थी, वहीं इस साल सरकार सीधे बैंक ट्रांसफर (DBT) के जरिए लगभग ₹29.5 प्रति किलो के भाव से खरीदारी कर रही है।”

सरकार का प्याज खरीद कार्यक्रम

अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने सिर्फ महाराष्ट्र से ही इस साल प्याज खरीदने के लिए ₹1,500 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। बता दें कि पिछले साल सरकार ने प्याज खरीद के लिए करीब ₹1,200 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था।

पिछले साल (2023) अगस्त में प्याज की कीमतों में अचानक तेजी आई थी, जिससे खाने-पीने की चीजों की कीमतों में भारी इजाफा हुआ था। उस साल से लेकर साल 2024 के शुरुआत तक महंगाई बढ़ी हुई थी। इसके बाद सरकार ने प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी। हालांकि, इस कदम से खुदरा दुकानों पर प्याज की कीमतें तो स्थिर हो गईं मगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंची कीमतों का फायदा किसानों को नहीं मिल सका इसलिए इसकी खूब आलोचना भी हुई।

बफर स्टॉक की योजना

सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 में सरकार ने पिछले साल के समान बफर स्टॉक बरकरार रखने के लिए 5 लाख टन प्याज खरीदने का लक्ष्य रखा है। ये स्टॉक जरूरत पड़ने पर यानी अगर कीमतें अचानक बढ़ीं तो बाजार में दखल देने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

प्याज खरीदारी की जिम्मेदार संस्थान नैशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (NCCF) और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया Ltd (Nafed) को इस साल 2.5 लाख टन (2,50,000 metric tonnes) प्याज खरीदने का लक्ष्य दिया गया है। यह पिछले साल के 2 लाख टन (2,00,000 metric tonnes) के लक्ष्य से ज्यादा है।

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ये दोनों संस्थाएं पहले ही 2 लाख टन से ज्यादा प्याज खरीद चुकी हैं। मई में प्याज की खुदरा महंगाई दर में सालाना आधार पर 38% की बढ़ोतरी के कारण NCCF और Nafed ने महाराष्ट्र और कर्नाटक के अलावा अन्य राज्यों में भी प्याज की खेती को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि हम उम्मीद करते हैं कि 2024 में रबी सीजन में प्याज की सरकारी खरीद से 10,000 किसानों को फायदा होगा, जबकि पिछले साल यह संख्या 6,100 थी।

प्याज का बढ़ा रकबा

पिछले साल की तुलना में इस साल प्याज का रकबा 27% बढ़ा है। सरकारी विभागों के मुताबिक, कर्नाटक में पिछले हफ्ते तक 30% प्याज की बोआई हो चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि इससे बाजार में प्याज की आवक बढ़ेगी और कीमतें स्थिर रहेंगी।

गौर करने वाली बात यह है कि प्याज की कटाई आमतौर पर रबी सीजन (मार्च से मई) और खरीफ/लेट खरीफ सीजन (अक्टूबर से मार्च) में होती है। जून से सितंबर के बीच प्याज की कटाई नहीं होती है, ऐसे में इस दौरान मांग को पूरा करने के लिए रबी सीजन के बफर स्टॉक से प्याज निकाला जाता है।

निर्यात पर रोक और उसके प्रभाव

पिछले साल अगस्त में, जब प्याज के दाम बढ़ रहे थे, तब वित्त मंत्रालय ने निर्यात को कम करने के लिए 40% का निर्यात शुल्क लगा दिया था। हालांकि, कम बिल बनाने की वजह से इसका असर कम हुआ। इसके बाद, 28 अक्टूबर 2023 से प्याज के निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य $800 प्रति टन लगा दिया गया।

पिछले साल, महाराष्ट्र के नासिक और अहमदनगर जैसे इलाकों में भारी बारिश और ओलावृष्टि से प्याज की फसल को नुकसान पहुंचा था, जिससे नवंबर में सीजन के पीक समय के दौरान आवक कम हो गई थी। इस कमी के चलते दाम बढ़ गए थे, जिसके बाद सरकार ने 8 दिसंबर से प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी थी।

First Published : July 9, 2024 | 5:58 PM IST