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आंदोलन बाहर, बढ़ोतरी अंदर: ओडिशा विधायकों ने तीन गुना किया वेतन

शिक्षक-आशा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन के बीच विधायकों का वेतन 1.10 लाख से बढ़कर 3.45 लाख रुपये

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रमणी रंजन महापात्र   
Last Updated- December 16, 2025 | 8:31 AM IST

पिछले सप्ताह जब शिक्षक और आशा कार्यकर्ता अधिक वेतन की मांग के समर्थन में ओडिशा विधानसभा के बाहर विरोध कर रहे थे तब ठीक उसी समय अंदर बैठे विधायकों ने एक विधेयक पारित कर अपना वेतन तीन गुना कर लिया। नागरिक समाज को यह विधेयक रास नहीं आया और उन्होंने इस पर तल्ख प्रतिक्रिया दी।

उक्त विधेयक में विधान सभा के सदस्यों (विधायकों) का मासिक वेतन ( विभिन्न मदों में कटौती के बाद) भत्ते सहित 1.10 लाख रुपये से बढ़ाकर लगभग 3.45 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है। इससे ओडिशा के विधायक देश में सबसे अधिक वेतन पाने वाले बन जाएंगे। उन्हें मिलने वाली रकम केरल, पंजाब, सिक्किम और गोवा के विधायकों के संयुक्त मासिक वेतन के बराबर और एक दर्जन राज्यों की प्रति व्यक्ति आय के दोगुना से अधिक हो जाएगी।

उनका मूल मासिक वेतन 35,000 रुपये से बढ़कर लगभग 90,000 रुपये हो जाएगा। पूर्व विधायकों को पेंशन के रूप में 1.20 लाख रुपये मिलने वाले हैं। 10 दिसंबर को राज्य विधान सभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया। सीपीआई (एम) का एकमात्र विधायक अनुपस्थित रहा और उसकी पार्टी ने राज्य में श्रमिकों के लिए कम न्यूनतम मजदूरी का हवाला देकर इसका विरोध किया।

संसदीय कार्य मंत्री मुकेश महालिंग ने कहा कि आठ साल के अंतराल के बाद हुई वेतन वृद्धि में मुद्रास्फीति को ध्यान में रखा गया है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी को लिखे एक पत्र में विपक्ष के नेता नवीन पटनायक ने कहा कि वह अपने वेतन एवं भत्तों में हई वृद्धि ‘राज्य के गरीब लोगों के कल्याण के लिए’ छोड़ देंगे।

असम, हिमाचल प्रदेश, गोवा, जम्मू और कश्मीर, राजस्थान और दिल्ली सहित कई राज्यों ने या तो समितियों का गठन किया है या विधायकों के वेतन बढ़ाने के प्रस्ताव पेश किए हैं। गोवा जैसे कुछ राज्यों ने वेतन बढ़ाने से परहेज किया है मगर भत्तों में जरूर इजाफा किया है। विशेषज्ञों ने कहा कि ओडिशा का फैसला इन राज्यों के लिए भी विधायकों का वेतन बढ़ाने का रास्ता साफ कर सकता है।

विधायकों के वेतन की बात करें तो ओडिशा के बाद तेलंगाना (लगभग 2.7 लाख रुपये), महाराष्ट्र (2.6 लाख रुपये), मणिपुर (2.5 लाख रुपये) और उत्तर प्रदेश (2.4 लाख रुपये) इसमें आगे हैं। नौ राज्यों की विधान सभाओं में विधायक 2 लाख रुपये प्रति माह से अधिक वेतन लेते हैं जबकि 17 राज्यों में वेतन 1 से 2 लाख रुपये के बीच है। केरल के विधायकों का वेतन लगभग 70,000 रुपये प्रति माह है जो देश में सबसे कम है। इसके बाद पंजाब (84,000 रुपये) और सिक्किम, गोवा और दिल्ली आते हैं जहां वेतन 1 लाख रुपये से थोड़े कम हैं।

प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से वेतन में यह बढ़ोतरी मेल नहीं खाती है। मसलन ओडिशा की प्रति व्यक्ति आय लगभग 1.6 लाख रुपये है जो राष्ट्रीय औसत से थोड़ा ऊपर है मगर राज्य रैंकिंग में निचले पायदान पर है। सिक्किम देश का सबसे अमीर राज्य है जहां प्रति व्यक्ति आय लगभग 5.8 लाख रुपये है। वहां विधायकों को लगभग 90,000 रुपये मासिक वेतन मिलता है। इस रैंकिंग में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले गोवा और दिल्ली भी विधायकों को अधिक वेतन देने वालों में शुमार नहीं हैं वहीं, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गरीब राज्य विधायकों को अपेक्षाकृत अधिक वेतन देते हैं।

विधायक उन विधेयकों पर मतदान करते हैं जो उनके वेतन-भत्तों में इजाफा करते हैं। यह कवायद अमूमन एक समिति की सिफारिशों के बाद शुरू हो जाती है। मूल वेतन के अलावा उन्हें कार्यालय और निर्वाचन क्षेत्र के खर्चों के लिए भत्ते, निःशुल्क आवास सुविधा, यात्रा रियायतें और बैठकों में भाग लेने के लिए दैनिक भत्ते भी मिलते हैं।

First Published : December 16, 2025 | 8:31 AM IST