भारत

NSE Co-location case : SC का NSE की पूर्व MD रामकृष्ण को जमानत देने के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार

Published by
भाषा
Last Updated- February 13, 2023 | 11:39 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व प्रबंध निदेशक चित्रा रामकृष्ण को ‘को लोकेशन’ घोटाले में जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से सोमवार को इनकार कर दिया। इस मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच की जा रही है।

उच्च न्यायालय के पिछले साल 28 सितंबर के आदेश के खिलाफ CBI की अपील को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय की टिप्पणी केवल जमानत देने के संबंध में थी और इसका निचली अदालत में मुकदमे के गुण-दोष पर प्रभाव नहीं होगा।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हम जमानत आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं देखते।’ न्यायालय ने इसके साथ ही कहा कि मामले से जुड़े कानूनी सवाल खुले हैं। पीठ ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (जीओओ) आनंद सुब्रमण्यम को भी जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। उन्हें पिछले साल 24 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था।

CBI ने पिछले साल छह मार्च को रामकृष्ण को गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी निचली अदालत द्वारा अग्रिम जमानत अर्जी खारिज किए जाने के एक दिन बाद हुई थी। रामकृष्ण को उच्च न्यायालय ने ‘को लोकेशन’ मामले में पिछले साल 28 सितंबर को जमानत दी।

उच्च न्यायालय ने नौ फरवरी को NSE कर्मियों के कथित तौर पर गैर कानूनी तरीके से फोन टैप करने और जासूसी करने के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धनशोधन के मामले में भी जमानत दे दी थी। ईडी ने धन शोधन के मामले में उन्हें पिछले साल 14 जुलाई को गिरफ्तार किया था।

शीर्ष न्यायालय में CBI का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय का आदेश ‘पूरी तरह से गलत’ था। उन्होंने कहा कि स्वत: जमानत का कानून बहुत ही स्पष्ट है और यह तब दिया जा सकता है, जब गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जाता। हालांकि, इस मामले में रामकृष्ण 46 दिनों के लिए हिरासत में रहीं, जबकि सुब्रमण्यम 57 दिनों के लिए हिरासत में रहे।

उल्लेखनीय है कि देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में कथित अनियमितताओं का खुलासा होने के बाद मई 2018 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। CBI एनएसई कंप्यूटर सर्वर से सूचना कथित तौर पर अनुचित तरीके से दलालों को देने के आरोपों की जांच कर रही है।

First Published : February 13, 2023 | 7:45 PM IST