प्रतीकात्मक तस्वीर
उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं पर काबू पाने के लिए ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ (No Helmet, No Fuel) नीति का प्रस्ताव किया है। यह नीति राज्य के सभी शहरों में लागू करने का प्रस्ताव है, जिससे दोपहिया वाहनों से जुड़ी सड़क दुर्घटनाओं और मौतों में कमी लाई जा सके। उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने बीते 8 जनवरी को एक आधिकारिक पत्र जारी किया था, जिसमें सभी फ्यूल स्टेशन ऑपरेटर्स को निर्देश दिया गया था कि वे हेलमेट नहीं पहनने वाले दोपहिया वाहन चालकों को और उनके साथ बैठे पैसेंजर (pillion) को फ्यूल न बेचें।
यह पत्र राज्य के सभी 75 जिलों के जिला मजिस्ट्रेट्स को भेजा गया है और इसे विभागीय आयुक्तों (divisional commissioners) को भी भेजा गया है। इस पत्र में इस कदम की तात्कालिकता को बताया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि बहुत से दोपहिया दुर्घटना पीड़ित हेलमेट नहीं पहनते हैं।
इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों का भी उल्लेख किया गया है, जिनका कहना था कि राज्य में हर साल 25,000-26,000 लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं। पत्र में कहा गया, “दोपहिया वाहन चालकों की सड़क दुर्घटनाओं में अधिकतर मौतें हेलमेट न पहनने के कारण होती हैं। यह नीति जीवन बचाने और सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से है।”
परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा कि यह पहल पहले 2019 में गौतम बुद्ध नगर जिले में शुरू की गई थी, लेकिन इसे कभी-कभी लागू किया गया था। अब इस नए निर्देश के तहत इसे राज्य के सभी जिलों में कड़ाई से लागू किया जाएगा। सिंह ने यह भी कहा कि इस नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कदम उठाए गए हैं।
इस पत्र में कहा गया, “फ्यूल स्टेशन ऑपरेटर्स को मोटर व्हीकल्स एक्ट, 1988 और उत्तर प्रदेश मोटर व्हीकल्स रूल्स, 1998 की प्रासंगिक धाराओं के बारे में शिक्षा देना आवश्यक है। पुलिस और क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (RTOs) के साथ नियमित समन्वय इस नीति की सफलता के लिए जरूरी है।” सिंह ने यह भी जोर दिया कि पेट्रोल पंपों पर सुरक्षा संकेतक लगाए जाएं, जिन पर “नो हेलमेट, नो फ्यूल” का स्पष्ट संदेश दिया जाए, ताकि राइडर्स में जागरूकता बढ़ सके।
इस नीति के तहत मीडिया प्लेटफार्मों और सार्वजनिक नोटिसों का उपयोग कर संदेश को फैलाने और सार्वजनिक जागरूकता को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा। सिंह ने कहा, “सोशल मीडिया प्लेटफार्मों, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का इस्तेमाल करते हुए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियानों का आयोजन किया जाएगा। इन अभियानों में हेलमेट पहनने के महत्व को जीवन रक्षक उपकरण के रूप में प्रचारित किया जाएगा, न कि केवल एक कानूनी आवश्यकता के रूप में।”
नीति का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों से कहा गया है कि वे समय-समय पर इसकी समीक्षा करें। पत्र में यह भी कहा गया कि फ्यूल स्टेशन ऑपरेटर्स को हेलमेट का उपयोग बढ़ावा देने में मदद करनी चाहिए। पत्र में कहा गया, “पंप कर्मियों को इन निर्देशों का पालन करना चाहिए और हेलमेट नहीं पहनने वाले दोपहिया वाहन चालकों को फ्यूल न देने के साथ ही बार-बार नियम तोड़ने वालों की सूचना अधिकारियों को देनी चाहिए।”
परिवहन विभाग ने जनता से यह अपील की है कि वे हेलमेट को केवल एक अनिवार्य सुरक्षा उपाय न मानें, बल्कि इसे एक महत्वपूर्ण ढाल समझें जो जीवन की रक्षा करता है। सिंह ने कहा, “इस पहल का उद्देश्य राइडर्स में जिम्मेदारी का अहसास पैदा करना और सुरक्षित सड़क व्यवहार की संस्कृति को बढ़ावा देना है।”
(एजेंसी के इनपुट के साथ)