बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 में लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों के नेताओं को एकजुट करने की मुहिम में जुट गए हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने मंगलवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री एवं बीजू जनता दल (बीजद) प्रमुख नवीन पटनायक से भुवनेश्वर में मुलाकात की। हालांकि, इस बैठक के बाद पटनायक ने कहा कि नीतीश और उनके बीच राजनीति पर कोई चर्चा नहीं हुई। नीतीश और पटनायक दोनों ही अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्रिमंडल में साथ काम कर चुके हैं।
दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई। पटनायक ने कहा, ‘किसी तरह के गठबंधन पर कोई चर्चा नहीं हुई। मुझे इस बात की खुशी है कि नीतीश जी भुवनेश्वर आए। हमारे संबंध काफी पुराने हैं। हम लोग अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में साथ काम कर चुके हैं।‘
इससे पहले 23 मार्च को पटनायक की मुलाकात पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हुई थी। इसमें ममता को बता दिया गया था कि पटनायक कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों से समान दूरी बनाए रखेंगे। इससे पहले कोलकाता में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और ममता के बीच बैठक हुई थी।
नीतीश ने पटनायक के साथ अपनी पुरानी मित्रता और उनके पिता बीजू पटनायक के साथ पुरानी मित्रता का उल्लेख किया। नीतीश ने कहा, ‘हमारे बीच राजनीतिक मसलों पर चर्चा नहीं हुई और इसकी जरूरत भी नहीं है।‘ नीतीश इस सप्ताह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार के साथ भी मुलाकात करेंगे। विपक्षी दलों के नेताओं के बीच एक बैठक आयोजित करने पर भी चर्चा चल रही है।
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इस बात की संभावना कम ही है कि पटनायक किसी ऐसी बैठक में हिस्सा लेंगे जिसमें वे कांग्रेस के साथ मंच साझा करते नजर आएं। भाजपा के एक सूत्र ने कहा कि पटनायक ओडिशा में भाजपा को नहीं बल्कि कांग्रेस को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानते हैं। भाजपा के सूत्र ने कहा, ‘कांग्रेस ओडिशा में बीजद को टक्कर दे सकती है क्योंकि इसकी पूरे राज्य में उपस्थिति है। अगर राज्य में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो यह बीजद के लिए फायदेमंद होगा।‘
दिलचस्प बात है कि 1990 के दशक में पटनायक, ममता और नीतीश के संबंधित राज्यों में राजनीतिक पटल पर उभरने में भाजपा के नेतृत्व ने अहम भूमिका निभाई थी। 1998 में कुमार और पटनायक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्रिमंडल में शामिल किए थे। 1999 के लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश और पटनायक के साथ ममता भी वाजपेयी मंत्रिमंडल का हिस्सा थीं। 2015 के बाद नीतीश के नेतृत्व वाली जनता दल यूनाइटेड ने भाजपा और कांग्रेस दोनों के साथ गठबंधन में शामिल रही हैं।