उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा आयोजित कराने में नैशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की लापरवाही की ओर इशारा किया और केंद्र सरकार द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति को एजेंसी की कार्यप्रणाली की समीक्षा और इसमें सुधारों की सिफारिश करने को कहा।
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र सरकार को नीट की पूरी प्रक्रिया को उच्च अधिकार प्राप्त समिति के जरिए पुनर्गठित करना होगा। केंद्र एजेंसी को यह स्पष्ट बताए कि परीक्षा के आयोजन में भविष्य में ऐसी गड़बड़ियां बिल्कुल नहीं हों। सर्वोच्च अदालत में सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र और एनटीए का पक्ष रख रहे थे।
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘जैसी लापरवाही नीट-यूजी 2024 के आयोजन में बरती गई है, एनटीए को भविष्य में इससे बचना होगा।’ अदालत ने अपने विस्तृत फैसले में कहा कि नीट-यूजी 2024 को दोबारा कराने का आदेश नहीं दे सकता, क्योंकि ऐसा कोई ठोस सबूत पीठ के समक्ष नहीं आया, जिससे पेपर लीक या गड़बड़ी का पता चलता हो अथवा परीक्षा की शुचिता भंग हुई हो।
एनटीए ने जिस प्रकार नीट परीक्षा का आयोजन कराने में लापरवाही बरती है, उस पर अदालत ने गंभीर चिंता जाहिर की। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की सदस्यता वाले पीठ ने विवादों से घिरी नीट-यूजी परीक्षा को रद्द नहीं करने के बीते 23 जुलाई को दिए अपने फैसले के पक्ष में कई कारण गिनाए।
पीठ ने कहा, ‘मौजूदा समय में पर्याप्त सामग्री पीठ के समक्ष नहीं रखी गई, जिससे पता चलता हो कि नीट परीक्षा का पेपर लीक हुआ है या उसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी हुई है।’ इसके उलट आंकड़ों के आकलन से पता चलता है कि ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है, जो यह साबित करे कि व्यवस्थित तरीके से नकल की गई है।
पीठ की अध्यक्षता कर रहे मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत के समक्ष जो सूचनाएं हैं, उससे ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि नीट का पेपर सोशल मीडिया या इंटरनेट के जरिए व्यापक पैमाने पर वितरित किया गया। यह भी साबित नहीं होता कि आधुनिक संचार माध्यमों के जरिए परीक्षा के उत्तर छात्रों को बताए गए। अदालत ने कहा, ‘हजारीबाग और पटना में पेपर लीक से जिन छात्रों को लाभ हुआ, उनकी पहचान कर ली गई है।
पीठ ने अपने फैसले में कहा कि यह कहने में कतई गुरेज नहीं होना चाहिए कि नीट जैसी परीक्षा हजारों केंद्रों पर आयोजित होती है और इसमें बड़ी संख्या में छात्र शामिल होते हैं। एनटीए के पास इस परीक्षा को आयोजित कराने के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं है। इस परीक्षा को बिना गड़बड़ी आयोजित कराने के लिए उसके पास पर्याप्त फंड और भरपूर समय होता है।
पीठ ने यह भी कहा कि एनटीए जैसी एजेंसी, जिसके पास बड़ी प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित कराने की जिम्मेदारी होती, उससे किसी भी गलत कदम उठाने या गलत फैसले लेने और बाद में उसे दुरुस्त करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा, ‘एनटीए जैसी एजेंसी को अपने सभी निर्णय बहुत ही सोच-समझ कर लेने चाहिए। किसी भी तरह की गड़बड़ी से परीक्षा की निष्पक्षता भंग होती है।’
केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति का कार्यकाल बढ़ाने का आदेश देते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राधाकृष्णन समिति परीक्षा व्यवस्था में कमियां दूर करने के सुझाव वाली अपनी रिपोर्ट 30 सितंबर तक सौंपे।