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मोदी ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से सामाजिक सुरक्षा लाभों पर ध्यान देने का किया आह्वान

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सामाजिक सुरक्षा के सतत वित्तपोषण के लिहाज से मुफीद नहीं

Last Updated- July 21, 2023 | 11:46 PM IST
Prime Minister Narendra Modi on International Yoga Day

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से कई देशों द्वारा लागू किए जा रहे सामाजिक सुरक्षा के विभिन्न लाभों को ध्यान में रखने का आह्वान किया है। वह शुक्रवार को जी-20 के श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि लोगों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराना वर्ष 2030 के सतत विकास लक्ष्यों का प्रमुख पहलू है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा इन दिनों अपनाए जा रहे ढांचे के कुछ ‘संकीर्ण’ रास्तों के कारण हितग्राहियों तक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, बीमा और पेंशन समेत कई फायदे नहीं पहुंच पा रहे हैं।

उन्होंने कहा,‘हमें हितग्राहियों तक ये लाभ पहुंचाने के बारे में फिर से विचार करना चाहिए ताकि सामाजिक सुरक्षा के परिदृश्य की सही तस्वीर उभर सके।’ मोदी ने कहा कि ‘सबके लिए एक जैसा नजरिया’ रखना सामाजिक सुरक्षा के सतत वित्तपोषण के लिहाज से मुफीद नहीं है और इस सिलसिले में हर देश की अद्वितीय आर्थिक क्षमताओं, शक्तियों और चुनौतियों का ध्यान रखा जाना ही चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि जी20 के प्रतिनिधि अपनी महारत के इस्तेमाल से इस विषय में उचित तंत्र बनाने पर विचार करेंगे।

इंदौर में हो रही 3 दिन की बैठक में जी-20 देशों के श्रम मंत्री हिस्सा ले रहे हैं। साथ ही अतिथि देशों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल हैं। इसमें वैश्विक स्तर पर कौशल की खाईं को कम करने, सामाजिक सुरक्षा के लिए स्थाई वित्तपोषण के विकल्प, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के बेहतर काम को लेकर सर्वसम्मति के साथ परिणाम दस्तावेज को स्वीकार किया गया है।

श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक ट्वीट में कहा, ‘ भूराजनीतिक मसले के एक पैराग्राफ को छोड़कर सभी जी-20 देशों ने भारत के नेतृत्व में परिणाम दस्तावेज में सभी मसलों पर आम समहति बनाई है, जो एक अहम उपलब्धि है। उसके लिए अलग से अध्यक्षीय सारांश जारी किया गया था।’

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इसके अलावा प्रधानमंत्री ने नए युग के कामगारों के लिए नए युग की नीतियों की जरूरत का भी उल्लेख किया, क्योंकि भविष्य का कार्यबल गतिशील होने जा रहा है। इसकी वजह से कुशल कार्यबल की जरूरत है, जो उन्नत तकनीक और प्रक्रियाओं का इस्तेमाल कर सके।

उन्होंने आगे कहा कि भारत में ऐसे समय में विश्व को कुशल कार्यबल बनाने की बड़ी क्षमता है। मोदी ने कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति के मौजूदा दौर में तकनीकी, रोजगार का मुख्य कारक बन गई है और आगे भी बनी रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा दौर में कर्मियों के पलायन और गतिशीलता के मद्देनजर सहयोग और तालमेल के नये वैश्विक मॉडलों के साथ ही नई साझेदारियों की जरूरत है।

मोदी ने सुझाया कि नियोक्ताओं और कर्मचारियों से जुड़े आंकड़े और सूचनाएं साझा करके इस गठजोड़ की बढ़िया शुरुआत की जा सकती है जिससे बेहतर कौशल विकास, कार्यबल नियोजन और लाभप्रद रोजगार प्रदान करने के लिए साक्ष्य आधारित नीतियां बनाने में दुनिया भर के देशों के प्रयासों को मजबूती मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नयी तकनीकों के कारण गुजरे अरसे में हुए बदलावों के दौरान भारत को तकनीकी से जुड़े रोजगार बड़े पैमाने पर सृजित करने का अनुभव है। प्रधानमंत्री ने नई श्रेणी के श्रमिकों का भी जिक्र किया, जो महामारी के दौर पर एक नए स्तंभ के रूप में सामने आए हैं।

उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 के प्रकोप के दौरान (कामकाज के) लचीलेपन के रूप में उभरी गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था में खासकर युवाओं के लिए फायदेमंद रोजगार सृजन की खासी क्षमता है। यह अर्थव्यवस्था महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त कर सकती है।’

First Published - July 21, 2023 | 11:32 PM IST

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