देश में ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ के तहत प्रस्तावित सुरक्षा कवच प्रणाली अगले 5 और 10 वर्षों केे दौरान दो चरणों में शुरू हो सकती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि एक समिति ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ पर विचार कर रही है और जल्द ही इस संबंध में एक कार्ययोजना पेश करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम संबोधन में ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ की घोषणा की थी।
रक्षा मंत्री ने कोलकाता में संयुक्त कमांडर सम्मेलन में सैन्य नेतृत्व से सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने और सुदर्शन चक्र प्रणाली तैयार करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘सुदर्शन चक्र परियोजना पर विचार करने और एक ठोस एवं वास्तविक कार्ययोजना पेश करने के लिए समिति बनाई गई है।’ उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा कवच तैयार करने के लिए अगले 5 वर्षों के लिए एक मध्यम और 10 वर्षों के लिए दीर्घकालिक योजना तैयार की जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि मिशन सुदर्शन चक्र के तहत वर्ष 2035 तक देश के राष्ट्रीय सुरक्षा कवच का विस्तार, सुदृढ़ीकरण और आधुनिकीकरण किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि नए तकनीकी प्लेटफॉर्म के माध्यम से सभी महत्त्वपूर्ण स्थलों अस्पताल, रेलवे और आस्था जैसे रणनीतिक और नागरिक दोनों तरह के केंद्रों की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि यह मिशन एक ऐसा कवच तैयार करेगा जो न केवल दुश्मन के हमलों को बेअसर करने में सक्षम होगा बल्कि कई गुना ताकत से जवाबी हमला भी कर सकेगा।
सेना प्रमुख (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल अनिल चौहान ने इसी साल अगस्त में कहा था कि ‘मिशन सुदर्शन चक्र’के लिए क्षमताओं के व्यापक एकीकरण, सहायक बुनियादी ढांचे के विकास और डेटा, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और लार्ज लैंग्वेज मॉडल की जरूरत होगी। चौहान ने इस बात पर भी जोर दिया था कि यह प्रणाली अपनी पूर्ण क्षमता के साथ काम करने के लिए भूमि, वायु, समुद्र और अंतरिक्ष में फैले सेंसर के एक नेटवर्क पर निर्भर रहेगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ ने कहा कि युद्ध का स्वरूप बदल रहा है और हाल के दिनों की लड़ाइयों में तकनीक ने केंद्रीय भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा,’आज के युद्ध इतने अचानक और अप्रत्याशित हैं कि इसकी अवधि बताना बेहद मुश्किल है। यह दो महीने, एक साल या पांच साल तक भी खिंच सते हैं। इसलिए हमें हर स्थिति के लिए तैयार रहने की जरूरत है।’
उन्होंने जोर देकर कहा कि देश को युद्ध या संकट के दौरान रक्षा उत्पादन तेजी से बढ़ाने की क्षमता के साथ तैयार रहना होगा। रक्षा मंत्री ने इस बात पर पैनी नजर रखने के लिए कहा कि वैश्विक स्तर पर हो रहे परिवर्तन देश की सुरक्षा प्रणाली को कैसे प्रभावित करते हैं। सिंह ने सशस्त्र बलों से युद्ध की पारंपरिक अवधारणाओं से परे देखने और सूचना, वैचारिक, पारिस्थितिक और जैविक युद्ध जैसेगैर-परंपरागत खतरों के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।
सिंह ने इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एकजुटता,आत्मनिर्भरता, और नवाचार इन तीनों पर ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया। उन्होंने एक मजबूत रक्षा नवाचार प्रणाली तैयार करने और घरेलू उद्योग को दुनिया में श्रेष्ठ बनाने में निजी क्षेत्र की भूमिका को मजबूत करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का भी जिक्र किया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद उभरी परिस्थितियों को देखते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि तीनों सेनाओं के बीच तालमेल आवश्यक है और आत्मनिर्भरता ही रणनीतिक स्वायत्तता की आधारशिला है।