मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा कि जून से सितंबर मॉनसून सीजन में बारिश दीर्घावधि औसत (LPA) के 96 फीसदी पर ‘सामान्य’ रहने की उम्मीद है। हालांकि महज एक दिन पहले मौसम का पूर्वानुमान जारी करने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने अपने पूर्वानुमान में कहा था कि इस साल अल नीनो के कारण मॉनसून ‘सामान्य से कम’ रह सकता है।
मौसम विभाग ने 5 फीसदी कम या ज्यादा की मॉडल त्रुटि के साथ यह पूर्वानुमान जारी किया है। साथ ही 1971 से 2020 की अवधि के लिए मॉनसूनी बारिश का LPA 87 सेंटीमीटर है। मौसम विभाग ने उम्मीद जताई है कि मॉनसून के महीनों के दौरान दो सकारात्मक मौसम पैटर्न विकसित होंगे जिसके आधार पर यह पूर्वानुमान जारी किया गया है।
मौसम विभाग ने कहा है कि पहला पैटर्न हिंद महासागर डाइपोल (IOD) है। यह फिलहाल स्थिर है मगर जून से शुरू होने वाले दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन के दौरान इसके सकारात्मक होने की उम्मीद है।
विभाग ने कहा कि इसके अलावा फरवरी और मार्च 2023 में उत्तरी गोलार्ध और यूरेशिया के ऊपर सामान्य से कम बर्फ का आवरण दिखा है। यह मॉनसून को सामान्य बनाने में योगदान करेगा।
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने संवाददाताओं से कहा, ‘सर्दियों के दौरान उत्तरी गोलार्ध में सकारात्मक आईओडी और हिमपात से अल नीनो प्रभाव निष्प्रभावी हो जाएगा।’
उन्होंने कहा कि जहां तक सामान्य मॉनसून की संभावना का सवाल है तो आंकड़ों से पता चलता है कि मॉनसून के सामान्य रहने की संभावना 35 फीसदी है जबकि 29 फीसदी संभावना है कि मॉनसून सामान्य से कमजोर रहेगा। इसी प्रकार, 22 फीसदी संभावना है कि इस साल मॉनसून कमजोर रहेगा, 11 फीसदी संभावना है कि मॉनसून सामान्य से बेहतर रहेगा और महज 3 फीसदी संभावना है कि मॉनसून जबरदस्त रहेगा।
दीर्घावधि औसत बारिश यदि 96 से 104 फीसदी के बीच हो तो मॉनसून को सामान्य माना जाता है। यदि दीर्घावधि औसत बारिश 90 से 95 फीसदी के बीच है तो मॉनसून को सामान्य से कमजोर माना जाता है। यदि दीर्घावधि औसत बारिश 104 से 110 फीसदी के बीच हो तो उसे अत्यधिक और 90 फीसदी से कम हो तो मॉनसून को कमजोर माना जाता है।
क्षेत्रवार देखा जाए तो मौसम विभाग ने कहा है कि उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों और पश्चिम-मध्य भारत के कुछ हिस्सों और उत्तर-पूर्व भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य अथवा सामान्य से कम बारिश होने की उम्मीद की जा सकती है। इनमें राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना और गुजरात जैसे राज्य शामिल हैं।
मौसम विभाग ने यह भी कहा है कि प्रायद्वीपीय भारत के कई क्षेत्रों, पूर्व-मध्य भारत से सटे, पूर्वी भारत, उत्तर-पूर्व भारत और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में मॉनसून सीजन में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है।
इस बीच, मौसम विभाग ने कहा है कि देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से कम, सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश यानी तीनों जलवायु संभावनाएं संभव हैं।
इनसेक्टिसाइड्स (इंडिया) लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राजेश अग्रवाल ने कहा, ‘वर्षा की मात्रा महत्त्वपूर्ण है मगर उसका समय भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। सबसे अहम सवाल यह है कि क्या उस समय बारिश होगी जब किसानों को उसकी सबसे अधिक जरूरत होती है।’ यदि समय पर वर्षा न हो तो अच्छी वर्षा होना भी चिंता की बात हो सकती है। इसी तरह अगर बारिश कम हो लेकिन सही समय पर हो तो यह किसानों के लिए फायदेमंद होती है।