महाराष्ट्र

BMC के वित्तीय लेनदेन की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार ने समिति का किया गठन

कैग ने जिन 12,023.88 करोड़ रुपये के कामों की जांच की उसमें से 3500 करोड़ रुपये के कार्य कोरोना से संबंधित थे।

Published by
सुशील मिश्र   
Last Updated- December 12, 2023 | 8:10 PM IST

महाराष्ट्र सरकार ने पिछले 25 साल में बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के वित्तीय लेनदेन की लेखा परीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है। शिंदे सरकार कोरोना महामारी के समय कथित वित्तीय गड़बड़ी का मामला उठाकर पिछली उद्धव सरकार पर निशाना साध रही है। कैग की रिपोर्ट में वित्तीय गड़बड़ी का खुलासा हुआ था। सरकार बीएमसी चुनाव के पहले घोटाले का पर्दाफाश करने की बात कर रही है।

राज्य सरकार में मंत्री उदय सामंत ने कहा कि यह मुद्दा सोमवार को विधानसभा में नगर निकाय के कामकाज के संबंध में एक चर्चा के दौरान उठाया गया था। विधायकों ने बीएमसी के वित्त को लेकर चिंता व्यक्त की और पिछले 25 साल में इसके लेनदेन को लेकर संदेह जताया।

सामंत ने कहा कि शहरी विकास विभाग से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देने के लिए नामित मंत्री के रूप में मैंने पिछले 25 वर्षों के वित्तीय लेनदेन की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की है। समिति के निष्कर्ष प्रस्तुत करने के बाद सरकार एक श्वेत पत्र लाएगी।

पिछले दो दशकों से बीएमसी में शिवसेना (उद्धव) का शासन है। विपक्षी दलों का कहना है कि ठाकरे परिवार को बदनाम करने के लिए भाजपा की यह चाल है। राज्य की जिन महानगर पालिकाओं में भाजपा का कब्जा है वह किसी तरह की जांच की बात नहीं हो रही है। इस पर जब सामंत से पूछा गया कि क्या विपक्ष की मांग के अनुसार पुणे, नागपुर और कल्याण-डोंबिवली, मीरा भायंदर के नगर निकायों के लिए भी इसी तरह की जांच की जाएगी? मंत्री ने कहा कि ऐसी जांच की मांग करने का कोई कारण नहीं है। जब भी जरूरत होगी, जांच की जाएगी।

गौरतलब है कि इसी साल मार्च में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा प्रस्तुत बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की विशेष ऑडिट रिपोर्ट महाराष्ट्र विधानसभा में पेश की गई थी। रिपोर्ट में 28 नवंबर 2019 से 31 अक्टूबर 2022 के बीच किए गए कार्यों का ऑडिट किया गया था।

रिपोर्ट में नौ विभागों द्वारा किए गए 12,023.88 करोड़ रुपये के खर्च की जांच के बारे में बताया गया है। इस रिपोर्ट में काम में देरी और अपात्र ठेकों को ठेके देने की ओर इशारा किया गया है। साथ ही यह रिपोर्ट पारदर्शिता की कमी, व्यवस्थित समस्याओं, खराब योजना और धन के लापरवाह उपयोग को भी दर्शाती है।

कैग ने बीएमसी को कोविड-19 खर्च के रिकॉर्ड साझा नहीं करने के लिए भी फटकार लगाई थी। बार-बार अनुरोध करने के बावजूद बीएमसी द्वारा कोविड-19 के प्रबंधन के लिए किए गए खर्च से संबंधित रिकॉर्ड ऑडिट के लिए प्रस्तुत नहीं किए गए।

गौरतलब है कि कैग ने जिन 12,023.88 करोड़ रुपये के कामों की जांच की उसमें से 3500 करोड़ रुपये के कार्य कोरोना से संबंधित थे।

First Published : December 12, 2023 | 8:10 PM IST