महाराष्ट्र

Maratha Reservation: मराठाओं के विरोध मार्च शुरु करते ही हरकत में आया पूरा सरकारी अमला

Maratha quota: पिछड़ा वर्ग आयोग के सर्वेक्षण का काम 23 जनवरी से 31 जनवरी तक चलेगा और मराठा एवं गैर मराठा खुला प्रवर्ग का सर्वेक्षण किया जाएगा।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- January 21, 2024 | 7:41 PM IST

मराठा आरक्षण आंदोलन की आग एक फिर से तेज होने लगी तो महाराष्ट्र सरकार का पूरा अमला हरकत में आ गया। महाराष्ट्र सरकार राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को मराठा समाज के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन की जांच करने के लिए 23 जनवरी से युद्ध स्तर पर पर काम करने की तैयारी शुरु कर दी।

जालना से मुंबई के कूच कर चुके मराठा आंदोलनकारियों ने हुंकार भरते हुए कहा है कि आरक्षण का गुलाल मराठों के सर पर नहीं पड़ेगा तब तक हम मुंबई से नहीं लौटेंगे।

मराठाओं का विरोध मार्च जारी

मराठाओं का विरोध मार्च शनिवार को जालना से निकलकर आज बीड पहुंच गया। बीड पहुंचकर मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि जब तक आरक्षण का गुलाल मराठों के सर पर नहीं पड़ेगा तब तक हम मुंबई से नही लौटेंगे। मुझसे कहा जा रहा है कि मुंबई मत आइए। जो ऐसा कह रहे हैं मैं उनसे कहना चाहता हूं कि आप नसीब वाले हो, आप पर गुलाल डालने के लिए मराठा मुंबई आ रहे हैं। अगर सरकार के लोग हमसे बात करने के लिए आ रहे है तो हमारा दरवाजा बंद नहीं है। लेकिन हम पीछे नही हटेंगे। महाराष्ट्र सरकार मराठाओं को मूर्ख बना रही है। उसने हमें आरक्षण देने को कहा था, लेकिन आज तक अपना वादा पूरा नहीं किया। जालना से मुंबई के बीच की दूरी 420 किलोमीटर है। मनोज जरांगे 26 जनवरी को मुंबई पहुंचेंगे।

मराठा आरक्षण को लेकर आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य के सभी विभागीय आयुक्तों, जिला अधिकारियों, मनपा आयुक्तों से बात करने के बाद कहा कि राज्य सरकार मराठा समुदाय को स्थायी और कानून के दायरे में आरक्षण दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए प्रशासन को भी सामाजिक भावना के साथ इस महत्वपूर्ण कार्य में शामिल होने को कहा गया है।

CM शिंदे ने दिया पिछड़ा वर्ग आयोग के सर्वेक्षण को लेकर निर्देश

पिछड़ा वर्ग आयोग के सर्वेक्षण का काम 23 जनवरी से 31 जनवरी तक चलेगा और मराठा एवं गैर मराठा खुला प्रवर्ग का सर्वेक्षण किया जाएगा। इस प्रकार से राज्य के लगभग ढाई करोड़ परिवारों का सर्वेक्षण किया जाएगा। इस काम में गोखले इंस्टीट्यूट, IIPS, जैसी प्रतिष्ठित संस्थाएं मदद करेंगी।

बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रशासन को भी निर्देश दिया है कि यह सर्वेक्षण बेहद महत्वपूर्ण है और इसलिए तीनों शिफ्ट्स (पालियों) में काम करें। इस सर्वेक्षण के बारे में गांव-गांव में सूचना दें, ग्राम पंचायत के सूचना फलक (नोटिस बोर्डों) पर भी जानकारी दें और इसके साथ ही विभिन्न माध्यमों से लोगों को इसके बारे में सूचित करें।

सर्वेक्षण में आने वाले व्यक्ति को प्रत्येक घर से जानकारी मिलनी चाहिए ताकि सर्वेक्षण परिपूर्ण और सटीक ( त्रुटिरहित) हो। सर्वेक्षण अवधि के दौरान तहसीलदार एवं सभी संबंधितों को प्रतिदिन अपने कार्य की रिपोर्ट देना पड़ेगा।

बैठक में गोखले इंस्टीट्यूट के अजीत रानाडे ने सर्वेक्षण के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि शिक्षक, ग्राम सेवक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, तलाठी (लेखपाल) जैसे सवा लाख से ज्यादा सर्वेक्षण करने वाला व्यक्ति इस काम को आठ दिनों में पूरा करेंगे। आज से 36 जिलों, 27 नगर पालिकाओं, 7 कैंटोनमेंट (छावनी) क्षेत्रों में प्रशिक्षण शुरू हो गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन गांवों में कम अभिलेख (रिकार्ड) मिले हैं, वहां पर फिर से सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान चलायें, संदेश दें और यदि कोई दस्तावेज पुलिस पाटिल और निजी व्यक्तियों के पास हैं, तो उसे भी स्वीकार करें ।

अक्टूबर से अब तक 1 लाख 47 हजार कुनबी प्रमाण पत्रों का वितरण

जब से सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे की समिति ने अपना काम शुरू किया है, तब से 1 लाख 47 हजार कुनबी पंजीकरण प्रमाण पत्र संबंधितों को वितरित किए गए हैं। सिर्फ मराठवाड़ा में ही 32 हजार अभिलेख मिले हैं और 18 हजार 600 कुनबी प्रमाणपत्र वितरित किये गये हैं

First Published : January 21, 2024 | 7:41 PM IST