भारत

Konkan Railway का भारतीय रेलवे में विलय: क्या है पूरा मामला और इसका क्या होगा असर, आसान भाषा में समझें

Konkan Railway merged with Indian Railways: महाराष्ट्र सरकार से अंतिम मंजूरी मिलने के बाद कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड का भारतीय रेलवे में विलय किया जाएगा।

Published by
ऋषभ राज   
Last Updated- May 23, 2025 | 7:29 PM IST

भारत की सबसे खूबसूरत और चुनौतीपूर्ण रेलमार्गों में से एक माना जाने वाला ‘कोंकण रेलवे’ अब भारतीय रेलवे का हिस्सा बनने जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने अप्रैल 2025 में इस विलय को अंतिम मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह ऐतिहासिक कदम उठाया गया। कोंकण रेलवे की स्थापना साल 1990 में हुई थी। इसका मकसद पश्चिमी घाट की दुर्गम पहाड़ियों और कोंकण के तटीय इलाकों को रेल नेटवर्क से जोड़ना था। यह रेलमार्ग महाराष्ट्र के रोहा से शुरू होकर गोवा, कर्नाटक और केरल के तटीय इलाकों तक जाता है। इसकी कुल लंबाई करीब 741 किलोमीटर है, और इसे बनाना अपने आप में एक इंजीनियरिंग चमत्कार था। पश्चिमी घाट की चट्टानों को चीरकर, सैकड़ों पुल और सुरंगें बनाकर इस रेलवे को तैयार किया गया। जनवरी 1998 में इस रेलमार्ग ने औपचारिक रूप से अपनी सेवाएं शुरू कीं।

कोंकण रेलवे का मुख्य उद्देश्य था कोंकण क्षेत्र के लोगों को बेहतर यातायात सुविधा देना, सामान और यात्रियों की आवाजाही को आसान करना और इस क्षेत्र को आर्थिक रूप से विकसित करना। यह रेलमार्ग न सिर्फ एक परिवहन साधन है, बल्कि कोंकण की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का भी प्रतीक है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस का बड़ा योगदान रहा, जिन्होंने इसे एक मिशन की तरह लिया।

कोंकण रेलवे का मालिकाना हक किसके पास था?

कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KRCL) एक विशेष कंपनी के तौर पर बनाई गई थी, जिसमें केंद्र सरकार और चार राज्यों की हिस्सेदारी थी। इन राज्यों में महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल शामिल थे। केंद्र सरकार के पास इसकी 51% हिस्सेदारी थी, जबकि बाकी हिस्सा इन चार राज्यों के बीच बंटा हुआ था। महाराष्ट्र ने इस प्रोजेक्ट में 394 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया था, जिसके कारण वह इस विलय के फैसले में सबसे अहम स्टेकहोल्डर था। इस कंपनी को रेल मंत्रालय के तहत बनाया गया था, लेकिन यह भारतीय रेलवे से अलग एक स्वतंत्र इकाई के तौर पर काम करती थी।

Also Read: भारतीय रेलवे का अनोखा चैलेंज, डिजाइन बनाइए और जीतिए ₹5 लाख का इनाम, जानें कैसे करें अप्लाई

विलय का फैसला क्यों लिया गया?

कोंकण रेलवे ने भले ही क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभाई, लेकिन पिछले कुछ सालों में इसे कई आर्थिक और परिचालन चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस रेलवे की आय सीमित थी, जबकि इसके बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करने और विस्तार करने की जरूरतें बहुत ज्यादा थीं। कोंकण रेलवे का कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा था, जो 2589 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। इसके अलावा, यह सिंगल लाइन वाला रेलमार्ग है, जिसके कारण ट्रेनों की आवाजाही और विस्तार में दिक्कतें आ रही थीं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कोंकण रेलवे को भारतीय रेलवे के साथ मिलाने से यह भारतीय रेलवे के विशाल निवेश पूल का हिस्सा बन सकेगा। इससे न सिर्फ इसकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि रेलमार्ग का आधुनिकीकरण, दोहरीकरण और सुरक्षा उपायों में भी तेजी आएगी। गोवा, कर्नाटक और केरल ने पहले ही इस विलय को मंजूरी दे दी थी, लेकिन महाराष्ट्र की सहमति मिलने में देरी हो रही थी, क्योंकि वह अपने शुरुआती निवेश और कोंकण रेलवे की पहचान को बचाने को लेकर चिंतित था।

महाराष्ट्र की शर्तें और विलय की प्रक्रिया

महाराष्ट्र सरकार ने इस विलय के लिए दो अहम शर्तें रखी थीं। पहली शर्त यह थी कि विलय के बाद भी ‘कोंकण रेलवे’ ही नाम होना चाहिए, ताकि इसकी क्षेत्रीय और ऐतिहासिक पहचान बरकरार रहे। दूसरी, भारतीय रेलवे को महाराष्ट्र के शुरुआती निवेश, यानी 394 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि वापस करनी होगी। केंद्र सरकार ने इन शर्तों को मान लिया, जिसके बाद महाराष्ट्र ने विलय को हरी झंडी दिखा दी।

अब यह मामला रेलवे बोर्ड के पास है, जो इस विलय को पूरा करने के लिए प्रशासनिक, वित्तीय और कानूनी कदम उठाएगा। इस प्रक्रिया में कर्मचारियों की भूमिकाओं, परिचालन क्षेत्रों और सेवा अनुबंधों को फिर से तय करना होगा।

Also Read: अब रफ्तार पकड़ेगी भारतीय रेल: रेलवे 2026 तक 7,900 किमी ट्रैक करेगा अपग्रेड, स्पीड की सीमा होगी खत्म

यात्रियों के लिए क्या बदलेगा?

विलय के बाद यात्रियों को कई फायदे मिलने की उम्मीद है। सबसे पहले, कोंकण रेलवे की सेवाएं भारतीय रेलवे के केंद्रीकृत टिकटिंग और शिकायत निवारण सिस्टम से जुड़ जाएंगी, जिससे टिकट बुकिंग और समस्याओं का समाधान आसान हो जाएगा। इसके अलावा, किराए में भी कमी आ सकती है। रेलमार्ग के आधुनिकीकरण से ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी, सुरक्षा उपाय बेहतर होंगे और कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इससे कोंकण क्षेत्र के लोगों को न सिर्फ बेहतर यात्रा अनुभव मिलेगा, बल्कि इलाके का आर्थिक विकास भी तेज होगा।

क्षेत्रीय और आर्थिक महत्व

कोंकण रेलवे सिर्फ एक रेलमार्ग नहीं है, बल्कि यह चार तटीय राज्यों—महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल—को जोड़ने वाली एक आर्थिक जीवनरेखा है। इस विलय से इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का विकास तेज होगा, जिससे व्यापार, पर्यटन और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। खास तौर पर, कोंकण रेलवे के दोहरीकरण और स्टेशनों के आधुनिकीकरण से इस क्षेत्र की रेल सेवाएं और मजबूत होंगी।

First Published : May 23, 2025 | 7:29 PM IST