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38 सालों में अपने चरम पर पहुंचेगी भारत की जनसंख्या, फिर शुरू होगा गिरावट का सिलसिला

संयुक्त राष्ट्र द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत की जनसंख्या जनवरी और जुलाई 2062 के बीच घटने लगेगी।

Published by
राघव अग्रवाल   
Last Updated- July 12, 2024 | 9:01 AM IST

आज के समय में भारत की जनसंख्या 142 करोड़ बताई जाती है और अनुमान है कि आने वाले अगले 38 सालों में इसमें भारी इजाफा देखने को मिल सकता है। संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा गुरुवार को जारी वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जनसंख्या 2062 में अपने चरम पर पहुंचने की संभावना है, जिसका अनुमानित आंकड़ा 1.701 अरब हो सकता है।

इसका मतलब है कि देश की जनसंख्या अगले 38 वर्षों में अपने शिखर पर पहुंच जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है और यह स्थिति सदी के अंत तक बनी रहने की संभावना है।

कब आएगी भारत की जनसंख्या में गिरावट?
संयुक्त राष्ट्र द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत की जनसंख्या जनवरी और जुलाई 2062 के बीच घटने लगेगी। हालांकि इस साल में, भारत की जनसंख्या में लगभग 222,000 लोग जुड़ेंगे। उसके बाद, भारत की जनसंख्या में कमी आने लगेगी। 2063 में, देश की जनसंख्या लगभग 115,000 लोगों की कमी होगी। 2064 में यह संख्या बढ़कर 437,000 और 2065 में 793,000 हो जाएगी।

कितनी है भारत की आबादी?
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। वर्तमान में, देश में 1.451 अरब लोग रहते हैं। इसके बाद चीन है, जिसकी जनसंख्या 1.419 अरब है, और तीसरे स्थान पर संयुक्त राज्य अमेरिका है, जहां 345 मिलियन लोग रहते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2054 तक भारत और चीन अपनी वर्तमान स्थिति बनाए रखेंगे, लेकिन पाकिस्तान 389 मिलियन की आबादी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। यह रैंकिंग 21वीं सदी के अंत तक जारी रहेगी।

विश्व जनसंख्या में 2083 में आएगी गिरावट
UN ने कहा है कि विश्व की कुल जनसंख्या 2083 में लगभग 10.2 अरब पर घटने लगेगी। जनवरी और जुलाई 2083 के बीच, विश्व की जनसंख्या में कमी आनी शुरू हो जाएगी। वर्तमान में, वैश्विक जनसंख्या लगभग 8.16 अरब है।

इन देशों की बढ़ेगी आबादी
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 और 2054 के बीच जिन देशों की जनसंख्या में उछाल देखने को मिलेगा, उनमें अफ्रीका भी शामिल है। वहीं, नौ देश – अंगोला, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, नाइजर और सोमालिया -की जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ सकती है। रिपोर्ट अनुसार, इन देशों की कुल जनसंख्या 2024 और 2054 के बीच दोगुनी हो जाएगी।

अगले 2054 तक, लगभग 100 देशों और क्षेत्रों में कामकाजी उम्र (20 से 64 वर्ष) की जनसंख्या का हिस्सा कुल जनसंख्या से अधिक तेजी से बढ़ेगा, जिससे उन्हें जनसांख्यिकीय लाभांश (demographic dividend) के रूप में एक अवसर प्राप्त होगा। भारत भी ऐसा ही एक देश है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2080 तक 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग 18 वर्ष से कम आयु के लोगों से अधिक हो जाएंगे।

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि जिन देशों की जनसंख्या अपने चरम पर है या जल्द ही पहुंचने वाली है, उन्हें सभी आयु वर्गों में प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए स्वचालन और अन्य प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए।

UN ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “उन्हें आजीवन सीखने और फिर से प्रशिक्षण के अधिक अवसर बनाने चाहिए, कई पीढ़ियों के कार्यबल का समर्थन करना चाहिए और उन लोगों के लिए कामकाजी जीवन को बढ़ाने के अवसर देने चाहिए जो काम करना चाहते हैं और कर सकते हैं।”

रिपोर्ट में बताया गया है कि 1990 के मुकाबले अब महिलाएं औसतन एक बच्चा कम जन्म दे रही हैं। आधे से ज्यादा देशों में प्रति महिला औसतन जन्म दर 2.1 से कम है, जो जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिए जरूरी है।

दुनिया के लगभग एक-पांचवे देशों और क्षेत्रों, जैसे चीन, इटली, कोरिया गणराज्य और स्पेन में अब “बहुत कम” जन्म दर है, जहां प्रति महिला 1.4 से भी कम बच्चे पैदा हो रहे हैं।

First Published : July 12, 2024 | 7:58 AM IST