आतंकी संगठन, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) का नाम पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की एक रिपोर्ट में आया है जो भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है। इस रिपोर्ट में इस साल 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले में टीआरएफ की भूमिका का जिक्र है। इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे।
यह पहली बार है जब संयुक्त राष्ट्र के किसी दस्तावेज में टीआरएफ का जिक्र किया गया है। साथ ही, 2019 के बाद यह पहली बार है जब इस रिपोर्ट में लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान के किसी अन्य आतंकी समूह का नाम आया है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि यूएनएससी की एनालिटिकल सपोर्ट ऐंड सैंक्शंस मॉनिटरिंग टीम की ताजा रिपोर्ट में भारत की मजबूत आतंकवाद विरोधी साख को दर्शाया गया है और इसे दुनिया भर के देशों से मान्यता मिली है। सूत्रों ने कहा कि यह यूएनएससी में भारत और समान विचारधारा वाले देशों के बीच निकट सहयोग का भी प्रतीक है।
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान के इसे हटाने के प्रयासों के बावजूद मॉनिटरिंग रिपोर्ट में टीआरएफ का नाम शामिल होना, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की संलिप्तता उजागर होती है और साथ ही आतंकवाद विरोधी मोर्चे पर संयुक्त राष्ट्र में भारत की विश्वसनीयता भी साबित होती है। यह घटनाक्रम विशेष रूप से अहम है क्योंकि 1267 प्रतिबंध समिति के सभी फैसले, सुरक्षा परिषद के सदस्यों द्वारा आम सहमति से अपनाए जाते हैं जिनमें मॉनिटरिंग टीम की रिपोर्ट भी शामिल है।
यूएनएससी की 1267 प्रतिबंध समिति को आतंकवादियों, आतंकी समूहों और संस्थाओं के खिलाफ प्रतिबंधों को लागू करने का काम सौंपा गया है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने व्यापक और समन्वित प्रयास किए हैं और दिसंबर 2023 से यूएनएससी मॉनिटरिंग टीम को टीआरएफ और पाकिस्तान समर्थित अन्य आतंकी सहयोगियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। वर्ष 2024 में, दो बार विदेश मंत्रालय ने मॉनिटरिंग टीम को टीआरएफ की गतिविधियों और लश्कर-ए-तैयबा के साथ उसके संबंधों के बारे में जानकारी दी थी।
सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्रालय के नेतृत्व में एक अंतर-मंत्रालयी प्रतिनिधिमंडल ने मई 2024 में न्यूयॉर्क में मॉनिटिरिंग टीम और संयुक्त राष्ट्र के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी और टीआरएफ पर एक फाइल भी साझा की।