भारत ने शुक्रवार को ईरान और इजरायल के बीच के हालिया घटनाक्रम पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि वह परमाणु ठिकानों पर हमलों की रिपोर्ट समेत हालात पर नजर रखे हुए है। विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा, ‘भारत दोनों पक्षों से आग्रह करता है कि वे तनाव बढ़ाने वाले कदम उठाने से बचें।’ उसने कहा कि संवाद और कूटनीति जैसे मौजूदा उपायों का इस्तेमाल करके हालात को तनावमुक्त करने का प्रयास करना चाहिए और मसलों को हल करना चाहिए। मंत्रालय ने कहा कि भारत के दोनों देशों के साथ दोस्ताना ताल्लुकात हैं और वह हरसंभव मदद के लिए तैयार है।
मंत्रालय ने कहा कि ईरान और इजरायल में भारत के दूतावास वहां रहने वाले भारतीय समुदायों के साथ संपर्क में हैं। विदेश मंत्रालय तथा तेहरान और तेल अवीव में भारतीय दूतावासों ने सभी भारतीयों से कहा कि वे सुरक्षित रहें, सावधानी बरतें और स्थानीय सुरक्षा सलाहों का पालन करें।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत गाजा में बिना शर्त तत्काल और स्थायी संघर्षविराम की मांग को लेकर हो रहे मतदान से गैरहाजिर रहा। 193 सदस्यीय महासभा ने बहुमत से इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। यह प्रस्ताव स्पेन ने रखा था और मांग की थी कि सभी पक्ष तत्काल और बिना शर्त स्थायी संघर्षविराम का पालन करें। इसमें हमास तथा अन्य समूहों द्वारा बंद बनाए गए लोगों को भी तत्काल, गरिमापूर्ण ढंग से और बिना शर्त रिहा करने की मांग की गई थी।
भारत समेत 19 देश मतदान से गैरहाजिर रहे जबकि 12 देशों ने प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान किया। मतदान के पक्ष में 149 वोट पड़े। गैरहाजिर देशों में अल्बानिया, कैमरून, इक्वाडोर, इथियोपिया, मलावी, पनामा, दक्षिण सूडान और टोगो आदि शामिल थे।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने ‘नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी तथा मानवीय दायित्वों को बरकरार रखना’ शीर्षक वाले प्रस्ताव पर मतदान की व्याख्या करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव गाजा में मानवीय स्थिति के बिगड़ने के कारण आया है। उन्होंने कहा कि भारत गहराते मानवीय संकट को लेकर चिंतित है और लोगों की जान जाने की निंदा करता है।
हरीश ने कहा कि भारत पहले इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर प्रस्तावों से भी गैरहाजिर रहा था। हरीश ने कहा, ‘हमारा आज का वोट उसी विश्वास से जुड़ा है कि ऐसे विवादों को संवाद और कूटनीति के अलावा किसी तरह हल नहीं किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को साथ लाने के लिए संयुक्त प्रयास किए जाने चाहिए और इसी वजह से हम मतदान से दूर रहे।
प्रस्ताव में मांग की गई थी कि इजरायल तत्काल गाजा की घेराबंदी खत्म करे, सभी सीमाओं को खोले और यह सुनिश्चित करे कि गाजा पट्टी तक पहुंची राहत सामग्री फिलिस्तीनी नागरिकों तक पहुंचे। यह सब अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवीय सिद्धांतों के अनुसार होना चाहिए।
प्रस्ताव में यह मांग भी की गई कि सभी पक्ष बिना शर्त और बिना देरी किए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के जून 2024 के प्रस्ताव के प्रावधानों को लागू करें। इसमें तत्काल संघर्षविराम, बंधकों की रिहाई, मृत बंधकों के अवशेषों की वापसी, फिलीस्तीनी कैदियों की अदला बदली और उनके घरों को वापसी तथा इजरायली सैनिकों को गाजा पट्टी से हटाना शामिल है।
हरीश ने जोर देकर कहा कि भारत हमेशा से शांति और मानवता के पक्ष में रहा है और उसने बार-बार नागरिकों की रक्षा तथा मानवीय दायित्वों को निभाने का आह्वान किया है। उन्होंने संवाद और कूटनीति को लेकर भारत की प्रतिबद्धता को भी दोहराया और कहा कि भारत का मानना है कि यही आगे बढ़ने का रास्ता है। उन्होंने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप शांति के रास्तों को बाधित करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा इजरायल-फिलीस्तीन विवाद में दो-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन किया है और वह संप्रभु, स्वतंत्र फिलिस्तीन का समर्थक है जो तय सीमाओं के साथ इजरायल के संग शांतिपूर्ण तरीके से रह सके।
संयुक्त राष्ट्र महासभा का मतदान तब हुआ है जब 15 देशों वाली सुरक्षा परिषद गत सप्ताह स्थायी सदस्य अमेरिका के वीटो के कारण ऐसा ही प्रस्ताव नहीं स्वीकार कर सकी थी।
(साथ में एजेंसियां)