PM मोदी के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन | फाइल फोटो
रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की भारत की दो दिवसीय राजकीय यात्रा में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को गति दी जाएगी। इस यात्रा में रूस में बने एसयू-57 स्टेल्थ लड़ाकू विमान और एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की अतिरिक्त खेप की आपूर्ति पर भी चर्चा होने की संभावना है। एस-400 हवा रक्षा प्रणाली का इस्तेमाल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भी किया गया। भारत के हथियारों के आयात में पिछले 15 वर्षों में रूस की हिस्सेदारी घटकर आधी रह गई है मगर सैन्य साजो-सामान के भारत के साथ उत्पादन में यह अब भी अहम सहयोगी है। रूस अब भी भारत को हथियारों की आपूर्ति करने वाला सबसे बड़ा देश है।
पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर गुरुवार को 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आ रहे हैं।
रूस की समाचार एजेंसी स्पूतनिक द्वारा आयोजित ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मंगलवार को कहा कि पुतिन की भारत यात्रा में एसयू-57 पर चर्चा की जाएगी। समझा जा रहा है कि ये शुरुआती स्तर की वार्ता है और अभी किसी समझौते को औपचारिक रूप दिए जाने की संभावना नहीं है। रूस भारत में स्टेल्थ लड़ाकू विमान बनाने की संभावना तलाश रहा है।
सूत्रों के अनुसार कम से कम एक दल ने व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए नाशिक में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के विमान विनिर्माण प्रभाग का दौरा किया है। पेसकोव ने यह भी कहा कि भारत यात्रा के दौरान अतिरिक्त एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति पर भी चर्चा की जाएगी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा,‘यह मुद्दा कार्यसूची में सबसे ऊपर है। इसमें कोई संदेह नहीं कि इसका उल्लेख शीर्ष स्तर पर किया जाएगा।’
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने 28 नवंबर को एक रक्षा सम्मेलन में कहा था कि सैन्य उपकरणों की आपूर्ति में देरी घरेलू निर्माताओं तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने यूक्रेन में संघर्ष के कारण एस-400 प्रणाली की आपूर्ति में देरी का भी जिक्र किया। बाद में उसी दिन भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के कार्यक्रम में सिंह ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा संचालित रूसी रक्षा उपकरणों के लिए रखरखाव एवं समर्थन, साथ ही एस-400 प्रणाली की अतिरिक्त खेप पर राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा के दौरान चर्चा होगी।
भारत ने लगभग वर्ष 2018 में 40,300 करोड़ रुपये में एस-400 वायु रक्षा प्रणाली के लिए सौदा किया था। हालांकि, एस-400 के सभी पांच स्क्वाड्रन की आपूर्ति 2023 के अंत हो जानी थी मगर दो एस-400 की आपूर्ति अब तक नहीं हो पाई है।
भारत और रूस के बीच सैन्य जेट इंजन सहयोग का एक और क्षेत्र हो सकता है। यह पूछे जाने पर कि क्या रूस संबंधित तकनीक भारत को हस्तांतरित करेगा, पेसकोव ने कहा, ‘बातचीत चल रही है।’ उन्होंने यह भी कहा कि रूस अहम तकनीक हस्तांतरित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठा रहा है और भारत में संयुक्त उत्पादन परियोजनाएं शुरू कर रहा है। रूस की ओर से अपने रक्षा संबंधों को मजबूत करने का यह बयान भारत द्वारा उससे हथियारों के आयात में भारी गिरावट के बीच आया है।