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अमेरिका से अब खरीद बढ़ा रहा भारत, ऊर्जा सुरक्षा पर असर

अमेरिका में लोड किए गए तेल शिपमेंट को भारत में डिलिवरी के लिए पहुंचने में आमतौर पर लगभग 2 महीने लगते हैं

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शुभांगी माथुर   
Last Updated- October 02, 2025 | 11:34 PM IST

अमेरिका से भारत आने वाले कच्चे तेल के शिपमेंट में पिछले 2 महीने अगस्त और सितंबर 2025 के दौरान उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे अमेरिका के साथ चल रही द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के बीच भारत के ऊर्जा कारोबार बढ़ाने के रुख के संकेत मिलते हैं। किसी उत्पादक देश के बंदरगाह पर कच्चे तेल की लोडिंग से संबंधित गंतव्य के लिए लोड किए गए तेल की मात्रा का पता चलता है। अमेरिका में लोड किए गए तेल शिपमेंट को भारत में डिलिवरी के लिए पहुंचने में आमतौर पर लगभग 2 महीने लगते हैं।

मैरीटाइम इंटेलिजेंस फर्म केप्लर से मिले आंकड़ों के मुताबिक भारत के लिए कच्चे तेल की लोडिंग अगस्त महीने में औसतन 398 हजार बैरल प्रति दिन और सितंबर में 341 हजार बैरल प्रतिदिन रहा है। यह जून की 254 हजार बैरल प्रतिदिन लोडिंग और जुलाई की 166 हजार बैरल प्रतिदिन लोडिंग की तुलना में भारी बढ़ोतरी है।

रूस का तेल खरीदने के कारण अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगा रखा है, जिससे भारत से अमेरिका में आयात पर शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है। अमेरिका ने तर्क दिया है कि भारत परोक्ष तौर पर यूक्रेन युद्ध के लिए धन मुहैया करा रहा है। वहीं भारत का कहना है कि वह राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है।

पिछले सप्ताह वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संकेत दिया था कि भारत, अमेरिका से अधिक तेल खरीद सकता है। यूएस-इंडिया स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप फोरम में बोलते हुए गोयल ने कहा था कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा का लक्ष्य अमेरिका के साथ बातचीत में बहुत महत्त्वपूर्ण होगा।

भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है और इस समय कच्चे तेल के स्रोत के विविधीकरण पर ध्यान दे रहा है। इसका मकसद भूराजनीतिक झटकों से खुद को बचाना है। अमेरिका के कच्चे तेल की हिस्सेदारी बढ़ाने दे भारत को विविधीकरण में मदद मिलेगी, लेकिन भारत के तेलशोधकों के लिए अमेरिका से कच्चा तेल लाने में ढुलाई की लागत बड़ी चुनौती है।

केप्लर में रिफाइनिंग एवं मॉडलिंग के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रिटोलिया ने कहा, ‘अमेरिका से अधिक मात्रा में तेल खरीदने में भारत के सीमित लाभ हैं। अमेरिकी तेल के आयात में ढुलाई की लागत संबंधी चुनौतियों के साथ भारत की रिफाइनिंग व्यवस्था की अनुकूलता को लेकर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में भारतीय रिफाइनरों की अमेरिकी कच्चे तेल को लेकर रुझान कम हो जाती है।’

बहरहाल पश्चिम के दबाव के बावजूद भारत के तेलशोधकों ने रूस से छूट पर तेल मंगाना जारी रखा है। अगस्त और सितंबर में रूस से भारत को आने वाले तेल की लदान 15 लाख बैरल प्रतिदिन रही है, हालांकि इसके पहले महीनों की तुलना में मामूली गिरावट आई है। जून और जुलाई में रूस से भारत के लिए कच्चे तेल की लोडिंग क्रमशः 16 और 17 लाख बैरल प्रतिदिन रही है।

First Published : October 2, 2025 | 11:31 PM IST