इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) की 81वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की योजना 2030 तक खुद को 4 अरब डॉलर मूल्य के वैश्विक रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (एमआरओ) केंद्र के रूप में स्थापित करने की है। देश में एमआरओ केंद्र की संख्या 96 से बढ़कर 154 होने, इस क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और जीएसटी में कटौती के साथ ही नियामकीय सुधारों से इसे बढ़ावा मिलेगा।
विमानन उद्योग के सूत्रों के अनुसार वर्तमान में भारतीय विमानन कंपनियां अधिकांश एमआरओ कारोबार विदेश से आउटसोर्स कराती हैं क्योंकि देश में नैसेल, इंजन, सहायक विद्युत इकाइयों (एपीयू) और लैंडिंग गियर पर काम करने वाली इकाइयां कम हैं।
चार दशक बाद भारत में आयोजित आईएटीए कार्यक्रम में विमानन क्षेत्र के वैश्विक दिग्गजों का स्वागत करते हुए मोदी ने देश में तेजी से बढ़ते विमानन क्षेत्र पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘हमारी विामन कंपनियों की वृद्धि दर दो अंक में है। भारत में हर साल 24 करोड़ यात्री घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रा करते हैं। वर्ष 2030 तक यह संख्या बढ़कर सालाना 50 करोड़ यात्री होने की उम्मीद है।’
उन्होंने भारत के बढ़ते बुनियादी ढांचे का उल्लेख करते हुए कहा, ‘देश में 2014 तक 74 हवाईअड्डे परिचालन में थे जिनकी संख्या अब बढ़कर 162 हो गई है। …यह तो बस शुरुआत है। भारत के विमानन क्षेत्र को बहुत आगे बढ़ना है। ये सिर्फ आंकड़े नहीं है बल्कि भारत के भविष्य की संभावनाओं का संकेत हैं।’
मोदी ने क्षेत्रीय संपर्क योजना ‘उड़ान’ की प्रशंसा करते हुए इसे भारतीय नागरिक विमानन इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बताया, जिससे 1.5 करोड़ से अधिक यात्रियों को किफायती हवाई यात्रा का लाभ मिला है। उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना 2016 में शुरू हुई थी जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय हवाई संपर्क बढ़ाकर लोगों के लिए हवाई यात्रा को किफायती बनाना है।
प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधियों से तकनीकी नवाचार अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘मैं सभी प्रतिनिधियों से अनुरोध करूंगा कि वे डिजी यात्रा ऐप को समझने की कोशिश करें, जिसे हवाई अड्डे में प्रवेश से लेकर अंतिम बिंदु तक कागज रहित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए विकसित किया गया है। इसका उपयोग अन्य देशों में भी किया जा सकता है। यह एक स्मार्ट और सुरक्षित मॉडल है जो ग्लोबल साउथ के लिए उपयोगी हो सकता है।’ उन्होंने एमआरओ को एक उभरता क्षेत्र बताया और कहा कि भारत विमान रखरखाव के लिए वैश्विक अड्डा बनने के प्रयासों में तेजी ला रहा है।
मोदी ने कहा कि 2014 में भारत में 96 एमआरओ केंद्र थे जिनकी संख्या बढ़कर 154 हो गई है और इस क्षेत्र में स्वत: मार्ग के जरिये 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की भी अनुमति है। वस्तु एवं सेवा कर में कटौती आदि उपायों से एमआरओ क्षेत्र में तेजी आई है। उन्होंने 2030 तक 4 अरब डॉलर का एमआरओ केंद्र स्थापित करने के भारत के लक्ष्य को रेखांकित किया।
मोदी ने विनिर्माण और डिजाइन में नवाचार की आवश्यकता पर बल दिया और उद्योग से मेक इन इंडिया के साथ-साथ डिजाइन इंडिया की भी आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।