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डेटा सेंधमारी पर भारी नुकसान, कंपनियां साइबर सुरक्षा को दे रही प्राथमिकता, जेन-एआई निवेश बढ़ा

करीब एक तिहाई सिक्योरिटी लीडर्स ने बताया कि बीते तीन वर्षों में वे गंभीर डेटा सेंधमारी का शिकार हुए हैं और उन्हें उसके लिए कम से कम 10 लाख डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा है।

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अजिंक्या कवाले   
Last Updated- November 21, 2024 | 11:42 PM IST

करीब एक तिहाई सिक्योरिटी लीडर्स ने बताया कि बीते तीन वर्षों में वे गंभीर डेटा सेंधमारी का शिकार हुए हैं और उन्हें उसके लिए कम से कम 10 लाख डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा है। पीडब्ल्यूसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उनमें से करीब 8 फीसदी संगठनों ने कहा है कि उन्हें डेटा सेंधमारी के कारण 2 करोड़ डॉलर से अधिक की क्षति हुई है।

दस में चार सिक्योरिटी लीडर्स और कंपनियों के मुख्य वित्त अधिकारियों ने जानकारी दी है कि साल 2021 से कंपनियों को डेटा सेंधमारी के कारण 5 लाख डॉलर से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। सुरक्षा खतरों से जुड़ा भारी नुकसान तब होता है जब कंपनियां साइबर सुरक्षा क्षेत्र में चुनौतियों से जूझती हैं।

कंपनियों ने जानकारी दी है कि वे अपना साइबर बजट बढ़ा रही हैं, जो आने वाले वर्षों में 15 फीसदी या उससे भी ज्यादा बढ़ने की संभावना है। पीडब्ल्यूसी सर्वेक्षण में शामिल 93 फीसदी उत्तरदाताओं ने अगले साल से अपने साइबर सुरक्षा बजट बढ़ने की संभावना जताई है। उनमें से करीब 20 फीसदी अपने बजट को 15 फीसदी या उससे ज्यादा बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, जो पिछले साल के मुकाबले मामूली तौर पर 1 फीसदी का इजाफा है।

साइबर धोखाधड़ी की हालिया घटनाओं के बाद देश के 42 फीसदी कारोबारी दिग्गजों ने डेटा सुरक्षा और सुधार को प्राथमिकता देना शुरू किया है। यह आने वाले कैलेंडर वर्ष में उनकी साइबर निवेश रणनीति का एक बड़ा हिस्सा है। उदाहरण के लिए इस साल अगस्त में स्टार हेल्थ और अलायड इंश्योरेंस कंपनी ने डेटा सेंधमारी का सामना किया।

सेंधमारी के रूप में ग्राहकों की मेडिकल रिपोर्ट जैसे आंकड़ों की चोरी कर ली गई और उसे मैसेजिंग ऐप्लिकेशन टेलीग्राम पर डाल दिया गया। उससे पहले जुलाई में देसी क्रिप्टो एक्सचेंज फर्म वजीरएक्स को भी सुरक्षा सेंधमारी का सामना करना पड़ा, जिससे कंपनी को 23 करोड़ डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ। उस वक्त कंपनी की मल्टीसिग वॉलेट की सेंधमारी कर ली गई थी।

पीडब्ल्यूसी सर्वेक्षण में शामिल कंपनियों के साइबर सुरक्षा लीडर्स में से करीब तीन चौथाई ने बताया कि जेनरेटिव आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (जेन-एआई) के कारण बीते साल हमले बढ़े हैं। इसको ध्यान में रखते हुए 87 फीसदी संगठनों ने बीते 12 महीनों में अपने जेन-एआई निवेश को बढ़ाया है। साइबर निवेश की बात आने पर जेन-एआई को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है।

मगर जब जेन-एआई को साइबर सुरक्षा रणनीतियों में शामिल करने की बात आती है तो संगठनों में भरोसे की कमी, अधूरा नियंत्रण और जेन-एआई के उपयोग के लिए आंतरिक नीतियों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर और लीडर (साइबर सुरक्षा और रिस्क कंसल्टिंग) मनु द्विवेदी ने कहा, ‘आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में तेजी और क्लाउड सेवाओं की बढ़ती स्वीकार्यता ने उद्यमों के लिए साइबर हमले बढ़ाए हैं। यह प्रवृत्ति एक लचीली, उद्यमव्यापी रणनीति की जरूरतों को दर्शाती है।’ इस सर्वेक्षण में 77 देशों के 4,042 व्यापार और प्रौद्योगिकी अधिकारियों से बात की गई है, जिनमें से 155 उत्तरदाता भारत से थे।

First Published : November 21, 2024 | 11:37 PM IST