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जरूरत से ज्यादा काम करते हैं आधे भारतीय कर्मचारी, पेशेगत तनाव से आत्महत्याओं में युवाओं की बढ़ती हिस्सेदारी

NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, पेशेगत अथवा करियर से जुड़ी चिंताओं के कारण साल 2022 में कुल मिलाकर 2,083 कर्मचारियों ने आत्महत्या की। यह साल 2012 के बाद दूसरी बड़ी संख्या है।

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अनुष्का साहनी   
Last Updated- September 24, 2024 | 10:23 PM IST

भारत में आधे से ज्यादा कर्मचारी हर हफ्ते कम से कम 49 घंटे काम करते हैं, जो कई अन्य देशों और कानूनी कायदों के मुकाबले ज्यादा है। भारतीय श्रम कानून के तहत एक कर्मचारी के लिए हफ्ते में अधिकतम 48 घंटे काम करने का प्रावधान है।

हालांकि, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में 49 घंटे अथवा उससे ज्यादा काम करने वाले लोगों की हिस्सेदारी साल 2018 के 63.4 फीसदी से कम होकर साल 2023 में 50.5 फीसदी रह गई है। इस गिरावट के बाद भी सप्ताह में कम से कम 49 घंटे काम करने वाले भारतीयों का अनुपात साल 2023 में दक्षिण अफ्रीका (19.6 फीसदी), अमेरिका (11.8 फीसदी), ब्राजील (9.9 फीसदी) और ब्रिटेन (8.9 फीसदी) जैसे देशों के मुकाबले बहुत ज्यादा है।

कंसल्टेंसी फर्म ईवाई में चार्टर्ड अकाउंटेंट रहीं 26 वर्षीय ऐना सेबेस्टियन पेरायिल की हाल ही में हुई मौत ने युवाओं के कार्यस्थल और काम के दौरान तनाव की ओर ध्यान आकर्षित किया है। भारत में 49 घंटे या उससे अधिक काम करने वाले पुरुषों की तादाद साल 2018 के 86.8 फीसदी से कम होकर साल 2023 में 83.9 फीसदी हो गई है, जबकि महिलाओं की हिस्सेदारी इसी अवधि के दौरान 13.2 फीसदी से बढ़कर 16.1 फीसदी हो गई है।  पेशेगत अथवा करियर से जुड़ी चिंताओं से महिलाओं की आत्महत्या की दर साल 2018 के 17 फीसदी से कम होकर साल 2022 में 13.3 फीसदी हो गई है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, पेशेगत अथवा करियर से जुड़ी चिंताओं के कारण साल 2022 में कुल मिलाकर 2,083 कर्मचारियों ने आत्महत्या की। यह साल 2012 के बाद दूसरी बड़ी संख्या है। साल 2021 में 2,593 लोगों ने आत्महत्या की थी। साल 2022 में सभी मामलों में पेशेगत कारणों से संबंधित आत्महत्याओं की हिस्सेदारी 1.2 फीसदी रही जो 2012 में 0.8 फीसदी थी।

साल 2022 में पेशेगत कारणों से आत्महत्या करने वाले अधिकतर युवा थे। आत्महत्या करने वालों में 18 से 30 साल तक के लोगों की हिस्सेदारी 38.5 फीसदी थी और उसके बाद 30 से 45 वर्ष आयु वर्ग के 36.7 फीसदी लोगों ने आत्महत्या की थी। साल 2018 में 18 से 30 वर्ष आयु वर्ग के लोगों की आत्महत्या में हिस्सेदारी 33.4 फीसदी थी जबकि 30-45 वर्ष वालों की हिस्सेदारी 38.4 फीसदी थी।

साल 2022 में पेशेगत कारणों से आत्महत्या करने वालों में से अधिकांश युवा थे। इन आत्महत्याओं में 18-30 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी 38.5 प्रतिशत थी, इसके बाद 30-45 आयु वर्ग की हिस्सेदारी 36.7 प्रतिशत थी।

First Published : September 24, 2024 | 10:23 PM IST