भारत स्वतंत्र रूप से अंतरिक्ष में मानव को भेजने वाला चौथा देश बनने का सपना साकार होने की दिशा में एक कदम और बढ़ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारत के पहले मानव मिशन के तहत गगनयान में सवार होकर अंतरिक्ष में जाने वाले वायुसेना के चार अधिकारियों के नाम का औपचारिक रूप से ऐलान किया।
भारत इस मिशन को अंजाम देकर अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष में मानव को भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा। भारत के चयनित अंतरिक्ष यात्रियों के नाम प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजित कृष्णनन और शुभांशु शुक्ला हैं। चारों ही भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट हैं। यह मौका सोवियन यूनियन स्पेस मिशन के तहत 1984 में भारतीय नागरिक राकेश शर्मा के अंतरिक्ष में जाने के 40 साल बाद फिर आ रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘देश को गगनयान यात्रियों के बारे में पता चल गया है। ये केवल चार लोगों के नाम नहीं हैं। ये वे चार शक्तियां हैं जो 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदों-आकांक्षाओं को अंतरिक्ष में ले जाएंगी।’
योजना के अनुसार गगनयान द्वारा तीन अंतरिक्ष यात्रियों को जाया जाएगा और पृथ्वी की निचली सतह में 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर तीन दिन तक रखा जाएगा। इन चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन 12 पायलटों में से बहुत ही कठिन चयन प्रक्रिया से गुजरने के बाद किया गया। इसके बाद इन चयनित अधिकारियों को रूस के गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में 2020 में जेनरिक स्पेस फ्लाइट ट्रेनिंग दी गई।
इसके बाद भारत आकर इन चारों अधिकारियों को बेंगलूरु के एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग केंद्र में सेमेस्टर आधारित प्रशिक्षण दिया गया। यहां इन्होंने एक तयशुदा पाठ्यक्रम का अध्ययन किया, जिसमें उन्हें क्लासरूम, शारीरिक सेहत, सिमुलेटर और फ्लाइट सूट से जुड़ा प्रशिक्षण दिया गया।
इस कार्यक्रम में एकेडमिक कोर्स, गगनयान फ्लाइट सिस्टम, पैराबोलिक फ्लाइट के जरिए माइक्रोग्रेविटी अनुकूलन, एरो-मेडिकल ट्रेनिंग, रिकवरी और सर्वाइवल ट्रेनिंग और मास्टरिंग ऑफ फ्लाइट प्रोसिजर एवं ट्रेनिंग ऑन क्रू सिमुलेटर्स आदि का प्रशिक्षण दिया गया। एरो मेडिकल, पीरियडिकल फ्लाइंग प्रैक्टिस और योग भी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा था।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कोई भारतीय 40 साल बाद फिर अंतरिक्ष में जा रहा है। लेकिन इस बार समय, काउंटडाउन (उल्टी गिनती) और रॉकेट, सब कुछ हमारा है। हाल के दिनों में भारत द्वारा चलाए गए अंतरिक्ष मिशन की कामयाबी में महिलाएं महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। चो चंद्रयान हो या गगनयान, महिला वैज्ञानिकों के बिना इनमें से किसी की भी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।’
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के महत्त्वाकांक्षी मिशन के लिए लांच व्हीकल एलवीएम रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा। अंतरिक्ष में मानव ले जाने के लिहाज से तैयार और एलवीएम3 व्हीकल में इस्तेमाल किए जाने वाले क्रायोजेनिक इंजन का हाल ही में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।
पहला मानव रहित मिशन गगनयान (जी1) 2024 की दूसरी तिमाही में शुरू किया जाएगा। इसके लिए सभी परीक्षण और तैयारी पूरी कर ली गई हैं। मिशन के दूसरे चरण में व्योममित्र का प्रक्षेपण शामिल होगा। इसके तहत एक स्त्री के रूप में मानव शक्ल का रोबोट अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। व्योममित्र गगनयान मिशन के लिए नमूने के तौर पर काम करेगा।
इस महत्त्वाकांक्षी मिशन से पहले भारत पिछले साल ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग करा चुका है। इसके बाद पहले सोलर मिशन के तहत आदित्य एल-1 लांच किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने थुंबा स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ सहित अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति में गगनयान के लिए चयनित ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला को ‘अंतरिक्ष यात्री पंख’ प्रदान किए।
इससे पहले मोदी ने वीएसएससी में एक ‘ट्राइसोनिक विंड टनल’, तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में इसरो प्रणोदन परिसर (इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स) में ‘सेमी-क्रायोजेनिक्स इंटीग्रेटेड इंजन और स्टेज टेस्ट फैसिलिटी’ और आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसएचएआर) में पीएसएलवी एकीकरण इकाई का उद्घाटन किया। ये तीन परियोजनाएं अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्व स्तरीय तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लगभग 1,800 करोड़ रुपये की संचयी लागत पर विकसित की गई हैं। इसरो का प्रमुख केंद्र वीएसएससी प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के डिजाइन और विकास का काम करता है।