पंजाब की राजनीति के दिग्गज नेता प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार को निधन हो गया। वह कुछ समय से बीमार चल रहे थे। शिरोमणि अकाली दल (SAD) के संरक्षक और पंजाब के पांच बार के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह को सीने में दर्द की शिकायत के बाद मोहाली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह 95 वर्ष के थे।
बादल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1947 में की जब वे अपने गांव के सरपंच बने। 1957 में, वह पहली बार अकाली दल के टिकट पर पंजाब विधान सभा के लिए चुने गए। कुल मिलाकर, वह अपने करियर में 10 बार पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए। वह 1995 से 2008 तक पार्टी के अध्यक्ष रहे।
पंजाब में कार्यकाल के दौरान कई पदों पर किया काम:
पंजाब सरकार में अपने कार्यकाल के दौरान, बादल ने पंचायती राज, सामुदायिक विकास, पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री के रूप में कार्य किया। वह 1972, 1980 और 2002 में पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। उन्होंने 1977 में मोरारजी देसाई की सरकार में केंद्रीय कृषि और सिंचाई मंत्री के रूप में भी काम किया।
राजनीतिक आंदोलनों में रहे सक्रिय:
कई अन्य राजनीतिक नेताओं की तरह, 1976 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान बादल को जेल में डाल दिया गया था। 1980 के दशक में अधिक स्वायत्तता की मांग को लेकर सिख आंदोलन के दौरान भी उन्हें जेल भेज दिया गया था। सतलुज-यमुना लिंक मुद्दे पर भी उन्हें जेल जाना पड़ा था। राजनीतिक जीवन में, कांग्रेस और उसके नेता अमरिंदर सिंह उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी रहे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठन के बाद से ही अकाली पार्टी के करीबी थे। समय-समय पर प्रकाश सिंह बादल और भाजपा नेताओं ने सरकार बनाने के लिए पंजाब और केंद्र में गठबंधन किया। हालांकि, 2021 के किसानों के विरोध के दौरान, अकालियों ने केंद्र में भाजपा से समर्थन वापस ले लिया।
2007 के पंजाब विधानसभा चुनावों में अकाली-भाजपा गठबंधन ने बहुमत हासिल किया और बादल मुख्यमंत्री बने। गठबंधन ने 2012 में भी सत्ता बरकरार रखी और प्रकाश सिंह बादल ने मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद बरकरार रखा। वह पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में लगातार दो बार सेवा करने वाले पहले व्यक्ति बने। 2017 में कांग्रेस के हाथों सत्ता गंवाने के बाद बादल सक्रिय राजनीति में कम नजर आए।