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‘वंदे मातरम’ पर संसद में तीखी बहस: मोदी ने नेहरू पर साधा निशाना, विपक्ष ने कहा- असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश

मोदी ने एक बार फिर कांग्रेस पर 'तुष्टिकरण की राजनीति' में लिप्त होने और एमएमसी यानी मुस्लिम लीग-माओवादी कांग्रेस में बदलने का आरोप लगाया

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- December 08, 2025 | 11:16 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ‘राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ’ पर बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि भारत की प्राचीन सभ्यता की महिमा का बखान करने वाले गीत वंदे मातरम को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मुस्लिम लीग के दबाव में काट-छांट कर छोटा कर दिया। इस कारण देश का विभाजन हुआ। मोदी ने एक बार फिर कांग्रेस पर ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ में लिप्त होने और एमएमसी यानी मुस्लिम लीग-माओवादी कांग्रेस में बदलने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 1975 में इस गीत की रचना के 100 साल पूरे होने का जश्न नहीं मनाया, जब उसने आपातकाल के दौरान संविधान का गला घोंट दिया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व ने उस गीत को धोखा दिया, जिसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पूरे देश को प्रेरित किया था।

बाद में वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि नेहरू द्वारा की गई गलतियों पर सदन में एक बार खुलकर बहस होनी चाहिए। सत्ता पक्ष को उन पर जो भी आरोप लगाने हैं, उनका अपमान करना है, कर ले और उसके बाद इस अध्याय को हमेशा के लिए बंद कर दें। उन्होंने कहा, ‘और उसके बाद बेरोजगारी, महंगाई और महिलाओं से संबंधित मौजूदा मुद्दों पर चर्चा की जानी चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘एक बार बहस के बाद इस अध्याय को हमेशा के लिए बंद कर दें। बहस के दौरान देश सुनेगा कि शिकायतें क्या हैं- इंदिराजी ने क्या किया, राजीव गांधी ने क्या किया, परिवारवाद क्या है और नेहरूजी ने क्या गलतियां की हैं। इसके बाद यह मुद्दा खत्म हो जाएगा। फिर बेरोजगारी, महंगाई, महिलाओं की समस्याओं जैसे मुद्दों पर चर्चा करें।’

कांग्रेस नेता ने सत्ता पक्ष पर मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए वंदे मातरम पर बहस आयोजित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘यह सरकार इस देश में वर्तमान स्थिति की वास्तविकता को छिपाना चाहती है।’ प्रियंका गांधी के साथ-साथ अन्य विपक्षी सांसदों ने कहा कि राष्ट्रगीत पर बहस सरकार द्वारा अगले साल के पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए की गई है।

समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और कांग्रेस के गौरव गोगोई सहित विपक्षी सांसदों ने इंडिगो एयरलाइन के कुप्रबंधन का मुद्दा उठाया। गोगोई ने सरकार पर एकाधिकार और द्वयाधिकार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुस्लिम लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्ना ने पहली बार 15 अक्टूबर, 1937 को लखनऊ से वंदे मातरम का विरोध किया था। नेहरू ने पांच दिन बाद सुभाष चंद्र बोस को पत्र लिखकर जिन्ना की भावनाओं को साझा किया और कहा कि वंदे मातरम की ‘आनंदमठ’ पृष्ठभूमि से मुसलमानों को आपत्ति हो सकती है।

अपने भाषण में प्रियंका गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री तथ्यों के प्रति सच्चा व्यवहार नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने सदन में एक पत्र का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा कि 20 अक्टूबर को नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस को लिखा था। लेकिन प्रधानमंत्री ने 17 अक्टूबर को लिखे गए पत्र का उल्लेख नहीं किया, जो सुभाष चंद्र बोस ने जवाहरलाल नेहरू को लिखा था।

नेहरू ने 20 अक्टूबर को बोस के पत्र का ही जवाब दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां इस जवाब की एक पंक्ति उद्धृत की, लेकिन नेहरू ने बाकी जो लिखा वह यह था- ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि वंदे मातरम के खिलाफ वर्तमान आक्रोश काफी हद तक सांप्रदायिकों द्वारा खड़ा किया गया है। हम जो भी करें, लेकिन सांप्रदायिक भावनाओं को नहीं उभरने दे सकते।’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने लोक सभा में ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा शुरू करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कदम का स्वागत किया और कहा कि उनकी पार्टी को इस पर कोई आपत्ति नहीं है।

First Published : December 8, 2025 | 11:09 PM IST