सरकार पहली बार वित्त वर्ष 2025-26 में अपने उर्वरक सब्सिडी कार्यक्रम के एक हिस्से के वित्तपोषण के लिए तेल उद्योग विकास कोष (ओआईडीएफ) का इस्तेमाल करेगी। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2026 के बजट में 23,000 करोड़ रुपये के शुद्ध अतिरिक्त संसाधनों का प्रावधान किया है। इसे ओआईडीएफ, कृषि बुनियादी ढांचा एवं विकास निधि, सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि सहित विभिन्न समर्पित आरक्षित निधियों के जरिये उपलब्ध कराया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही सरकार के पास बजट से इतर उधारी का विकल्प खत्म हो गया है, लेकिन सार्वजनिक खाते से रकम हासिल करने से राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है। भले ही यह मामूली लगे लेकिन इससे पारदर्शिता भी बनी रहेगी।
आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘तेल उद्योग विकास अधिनियम के तहत ओआईडीएफ की रकम का उपयोग उर्वरकों के लिए करने की अनुमति दी गई है। हम उचित तरीके से इस निधि पर विचार कर रहे हैं।’
इस साल के बजट में बताया गया है कि ऐसी आरक्षित निधि का उपयोग राजकोषीय प्रबंधन का एक अच्छा तरीका है। साथ ही ऐसी आरक्षित निधि के उपयोग के संबंध में बेहतर लेखांकन पर जोर दिया गया है। तेल उपकर से प्राप्त रकम को ओआईडीएफ में स्थानांतरित किया जाता है।
कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों के अंतरराष्ट्रीय कीमतों में 1973 के बाद लगातार दर्ज की गई भारी वृद्धि के बाद तेल उद्योग (विकास) अधिनियम, 1974 को अधिनियमित किया गया था। उस समय पेट्रोलियम और पेट्रोलियम आधारित औद्योगिक कच्चे माल में धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता हासिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस पर लगाया गया उपकर इस अधिनियम के तहत स्थापित किए गए ओआईडीएफ में डाल दिया गया।
तेल उद्योग विकास बोर्ड (ओआईडीबी) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, उपकर प्राप्तियों और ओआईडीबी के आंतरिक संसाधनों के योगदान से इस निधि में 31 मार्च, 2024 तक 12,040.50 करोड़ रुपये की रकम मौजूद थी। आरक्षित निधि ऐसे समय में बनाई जाती है जब सरकार के पास विशेष मदों में व्यय के लिए अतिरिक्त रकम होती है। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ऐसी निधियों को लोक लेखा में रखा जाना चाहिए।
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2026 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.4 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा है। यह वित्त वर्ष 2025 के संशोधित अनुमान में बताए गए 4.8 फीसदी से कम है।
वित्त वर्ष 2026 के बजट में अनुमान लगाया गया है कि उर्वरक, खाद्य और पेट्रोल पर कुल सब्सिडी करीब 3,83,397 करोड़ रुपये होगी। यह वित्त वर्ष 2025 के संशोधित अनुमान के मुकाबले 0.01 फीसदी कम और वित्त वर्ष 2025 के बजट अनुमान से महज 0.6 फीसदी है।
बजट में उर्वरक सब्सिडी के लिए 1,67,887 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है, जो वित्त वर्ष 2025 के संशोधित अनुमान (1,71,299 करोड़ रुपये) के मुकाबले 2 फीसदी कम है।
लोक लेखा के तहत संचालित प्रमुख आरक्षित निधि के विवरण से पता चलता है कि उर्वरक सब्सिडी के लिए 11,600 करोड़ रुपये की पूर्ति ओआईडीएफ के तहत आरक्षित निधि से की जाएगी।