धनशोधन और आतंकवादियों को धन मुहैया कराने की कवायदों पर नजर रखने वाले वैश्विक निकाय फाइनैंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने अपनी रिपोर्ट ‘एसेट रिकवरी गाइडेंस ऐंड बेस्ट प्रैक्टिसेज’ में भारत की एसेट रिकवरी व्यवस्था की प्रशंसा की है। आतंकी निगरानी संस्था ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को आपराधिक आय का पता लगाने और उसे जब्त करने में अपनी दक्षता और समन्वय के लिए ‘मॉडल एजेंसी’ बताया है।
दस्तावेज़ में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांचे गए मामलों के कई उदाहरण दिए गए हैं और रिपोर्ट में उन्हें प्रभावी एसेट रिकवरी प्रैक्टिस और दूसरी एजेंसियों के साथ तालमेल के मॉडल के रूप में उद्धृत किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय के बयान में कहा गया है, ‘यह मान्यता एसेट रिकवरी और वित्तीय अपराध प्रवर्तन पर वैश्विक संवाद में भारत और ईडी की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय स्थिति को दर्शाती है।’
इसमें कहा गया है कि धन शोधन रोकथाम अधिनियम, 2002 के तहत भारत के कानूनी ढांचे और इसके कामकाज के अनुभव और ईडी के इनपुट से मूल्य-आधारित जब्ती, अनंतिम कुर्की और अंतर-एजेंसी सहयोग से संबंधित मार्गदर्शन के प्रमुख पहलुओं को आकार देने में मदद मिली है। भारत का भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 भी भगोड़े अयोग्यता के कानूनी सिद्धांत का एक बहुत अच्छा उदाहरण है।
बयान में कहा गया है, ‘एफएटीएफ के मार्गदर्शन में विशेष रूप से ईडी के कई भारतीय मामलों का उदाहरण दिया गया है। इसमें एक ऐसा मामला भी शामिल है जहां ईडी और एक राज्य अपराध जांच विभाग ने बड़े पैमाने पर निवेश धोखाधड़ी में संपत्ति कुर्क करने के लिए समन्वय किया था।’
समन्वित प्रयास की वजह से पीड़ितों को 60 अरब रुपये की संपत्ति वापस मिली। इसे एफएटीएफ ने घरेलू सहयोग और पीड़ित क्षतिपूर्ति के लिए एक मॉडल के रूप में दिखाया है। दस्तावेज में उल्लिखित एक अन्य मामले में अपराध की आय के बराबर 17.77 अरब रुपये मूल्य की अचल संपत्तियों की कुर्की शामिल है, जिसे विदेश में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसमें कहा गया है कि यह मूल्य-आधारित जब्ती के भारत के प्रभावी अनुप्रयोग और इसके मजबूत विधायी ढांचे को दर्शाता है।