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क्वांटम कंप्यूटिंग में प्रगति की साक्षी बनेगी अमरावती, निवेशकों की रुचि बढ़ी

75 वर्षीय नायडू अपनी महत्त्वाकांक्षी क्वांटम वैली परियोजना के साथ नई राजधानी अमरावती के लिए भविष्य की एक और तकनीकी कहानी लिख रहे हैं

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शाइन जेकब   
Last Updated- November 05, 2025 | 11:13 PM IST

वर्ष 1997 में जब माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स नई दिल्ली के दौरे पर थे, तो उनकी टीम को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात के लिए एक असामान्य अनुरोध प्राप्त हुआ। उन दिनों, भारतीय राज्यों द्वारा वैश्विक व्यापारिक नेताओं के सामने निवेश के अवसरों की पेशकश करना असामान्य बात थी। एक बार, 10 मिनट की बैठक 40 मिनट तक बढ़ गई। गेट्स इससे बहुत प्रभावित हुए।

गेट्स ने नायडू से कहा था,‘आप एक राजनेता हैं, आप मेरी टीम के लोगों से बेहतर प्रस्तुति देते हैं।’ यह बात उन्होंने 1998 में हैदराबाद में अमेरिका के बाहर माइक्रोसॉफ्ट का पहला विकास केंद्र स्थापित करने से पहले कही थी। हैदराबाद उस समय अविभाजित आंध्र प्रदेश की राजधानी थी। इस कदम ने हैदराबाद को आधुनिक साइबराबाद में बदल दिया।

नायडू 28 साल बाद चौथी बार मुख्यमंत्री हैं, लेकिन हैदराबाद अब तेलंगाना की राजधानी है, जिसे 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग कर बनाया गया था। कोई बात नहीं- 75 वर्षीय नायडू अपनी महत्त्वाकांक्षी क्वांटम वैली परियोजना के साथ नई राजधानी अमरावती के लिए भविष्य की एक और तकनीकी कहानी लिख रहे हैं।

राज्य के उद्योग मंत्रालय का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो आईबीएम, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) द्वारा राज्य सरकार के साथ मिलकर विकसित अमरावती क्वांटम वैली (एक्यूवी) परियोजना जनवरी 2026 की शुरुआत में आरंभ हो जाएगी। नायडू के अनुसार, यह परियोजना भारत के पहले क्वांटम कंप्यूटरों का निर्माण करेगी और दो साल के भीतर उनका निर्यात करेगी।

यह परियोजना इस क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा देगी और 2029 तक 1 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करने की उम्मीद है। ई-गवर्नेंस पर 28वें राष्ट्रीय सम्मेलन (एनसीईजी) 2025 को संबोधित करते हुए, नायडू ने कहा था, ‘अब, हम क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना चाहते हैं। आईबीएम और टीसीएस जैसी कंपनियां पहले से ही इसमें शामिल हैं। हम क्वांटम कंप्यूटर बनाने के लिए एक तंत्र बना रहे हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि दो साल के भीतर, भारत क्वांटम कंप्यूटर बनाने लगेगा। हम निकट भविष्य में निर्यात करेंगे और घरेलू मांग को पूरा करेंगे। हम इसी दिशा में काम कर रहे हैं।’

राज्य सरकार के एक अधिकारी के अनुसार, अमरावती परियोजना दुनिया का पहला ‘एकीकृत राज्य-प्रधान क्वांटम इकोसिस्टम’ होगा और इसने निवेशकों, उद्योग और शैक्षणिक जगत की रुचि पहले ही आकर्षित कर ली है, जिससे यह एक वैश्विक प्रतिभा केंद्र भी बन सकता है। इसे शिक्षण प्रयोगशालाओं के लिए 108 संस्थानों से 134 प्रस्ताव, एल्गोरिद्म अनुसंधान के लिए 55 संस्थानों से 84 प्रस्ताव, 137 कॉलेजों से 1,127 हैकाथॉन विचार और 20 स्टार्टअप प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।

अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अमरावती देश का पहला क्वांटम हार्डवेयर इकोसिस्टम बना रहा है, जहां स्टार्टअप, शोध संस्थान और जल्द ही वैश्विक तकनीकी दिग्गज क्वांटम नवाचार के लिए एक संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए एक साथ आ रहे हैं। कई और स्टार्टअप पाइपलाइन में हैं, साथ ही प्रमुख कंपनियों की रुचि भी, जिससे अमरावती एक ऐसा केंद्र बन जाएगा जहां भारत क्वांटम हार्डवेयर को अपनाने वाले से वैश्विक अग्रणी बनने की ओर अग्रसर होगा।’

राज्य सरकार का लक्ष्य अमरावती को एक पूर्ण-स्टैक पारिस्थितिकी तंत्र के साथ दुनिया के शीर्ष पांच क्वांटम केंद्रों में शामिल करना है। वह क्रायोजेनिक्स, सेमीकंडक्टर, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और अनुप्रयोगों तक फैली एक क्वांटम आपूर्ति श्रृंखला भी बनाना चाहती है। इसके साथ ही, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, साइबर सुरक्षा, रेडियो फ्रीक्वेंसी इंजीनियरिंग, उन्नत सामग्री और हार्डवेयर डिजाइन में कौशल विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। बोस्टन और म्युनिख सहित दुनिया भर के कुछ शहरों में इसी तरह के केंद्रों की तर्ज पर एक्यूवी का निर्माण किया जा रहा है।

क्षेत्रों को पुनर्परिभाषित करना

यह कंप्यूटर विज्ञान और भौतिकी का एक उन्नत क्षेत्र है जो पारंपरिक कंप्यूटरों द्वारा लिए गए समय के एक अंश में जटिल समस्याओं को हल करने के लिए क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों का उपयोग करता है। जहां पारंपरिक डिजिटल सिस्टम बाइनरी लॉजिक (0/1) तक सीमित हैं, वहीं क्वांटम कंप्यूटर क्यूबिट का उपयोग करते हैं, जो एक साथ कई अवस्थाओं में मौजूद हो सकते हैं।

यह असाधारण गुण क्वांटम प्रणालियों को चौंका देने वाली जटिलता की समस्याओं को उस दक्षता के साथ हल करने की अनुमति देता है जिसे पारंपरिक मशीनें कभी प्राप्त नहीं कर सकतीं। क्वांटम तकनीक से जैव चिकित्सा अनुसंधान, वित्त, जलवायु मॉडलिंग, लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला, और सामग्री विज्ञान जैसे कई क्षेत्रों को फिर से परिभाषित करने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर, अमेरिका, जर्मनी, चीन, जापान और नीदरलैंड जैसे देश क्वांटम को तकनीक और भूराजनीति का निर्णायक मोर्चा बनाने के लिए अरबों का निवेश कर रहे हैं।

लीपजिग स्थित जीडक्यू के मुख्य कार्या​धिकारी और संस्थापक गोपी बालासुब्रमण्यन ने कहा, ‘यह सच है कि अधिकांश वैश्विक प्रयास अभी प्रायोगिक चरण से गुजर रहे हैं। आईटी क्रांति के दौरान, हमने स्वदेशी हार्डवेयर विकसित नहीं किया, बल्कि सॉफ्टवेयर का विकास शुरू किया। इन राज्य पारिस्थितिकी प्रणालियों को तुरंत सॉफ्टवेयर विकास शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि सॉफ्टवेयर और एल्गोरिदम में हमारा इतना वर्चस्व है।

हालांकि, हमें साथ ही हार्डवेयर भी विकसित करना चाहिए।’ कंपनी ने जर्मन एरोस्पेस सेंटर (डीएलआर) के साथ 3 करोड़ यूरो का एक समझौता किया है, जिसके तहत एक स्केलेबल क्वांटम कंप्यूटिंग तकनीक विकसित की जाएगी जो 2026 तक 32-क्यूबिट क्वांटम कंप्यूटर प्रदान कर सकेगी। भारत ने हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, प्रतिभा और अनुप्रयोगों सहित एक पूर्ण-स्टैक क्वांटम पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के दृष्टिकोण के साथ 2023 में अपना राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) शुरू किया। कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे कई अन्य राज्य भी भारत में क्वांटम पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए कदम उठा रहे हैं।

हालांकि, कुछ वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि निर्यात की समय-सीमा हार्डवेयर के विकास, मानव संसाधन और निजी क्षेत्र की भागीदारी पर निर्भर करेगी। क्वांटम प्रौद्योगिकी पहल के एक प्रमुख विशेषज्ञ और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलूरु में भौतिकी के प्रोफेसर, अरिंदम घोष ने कहा, ‘एनक्यूएम के अनुसार, हमारा लक्ष्य पांच वर्षों में 100-क्यूबिट क्वांटम कंप्यूटर बनाना है।

इसलिए, निर्यात योग्य क्वांटम कंप्यूटर बनाने में दो साल से थोड़ा अधिक समय लग सकता है। हमें और अधिक निवेश और निजी भागीदारी की भी आवश्यकता है।’ घोष ने कहा, ‘सॉफ्टवेयर के मामले में, हम काफी आगे बढ़ चुके हैं और कई एल्गोरिदम पहले से ही मौजूद हैं। वैश्विक स्तर पर, हार्डवेयर अभी भी एक चुनौती है। क्वांटम कंप्यूटर निर्यात हासिल करने के लिए, हमें भारत में क्वांटम प्रोसेसर बनाने होंगे और यह एक इंजीनियरिंग चुनौती है।’

पूंजीगत लक्ष्य

इस साल 2 मई को, नायडू ने आईबीएम और टीसीएस के साथ गठजोड़ की घोषणा की, जिससे संकेत मिलता है कि आंध्र प्रदेश हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, एल्गोरिदम, सेंसिंग, मानकों और प्रतिभा को शामिल करते हुए एक समर्पित पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना चाहता है। इस टेक पार्क (एक्यूवी) का संचालन आईबीएम क्वांटम सिस्टम टू इंस्टॉलेशन द्वारा किया जाएगा, जिसमें 156-क्यूबिट हेरॉन क्वांटम प्रोसेसर होगा, जो भारत का सबसे बड़ा क्वांटम कंप्यूटर होगा।

टीसीएस ऐसे एल्गोरिदम और अनुप्रयोगों के विकास में सहयोग करेगी जो भारतीय निर्माताओं और शिक्षा जगत के लिए उपयोगी होंगे। इसके लक्ष्यों में 2028 तक प्रतिवर्ष 1,000 से अधिक क्वांटम एल्गोरिदम का परीक्षण और 2029 तक कुल क्वांटम क्षमता के 1,000 प्रभावी क्यूबिट का निर्माण शामिल है।

सरकारी सूत्र ने कहा,‘ अपने गहन हार्डवेयर आधार के साथ, अमरावती महत्त्वपूर्ण क्वांटम घटकों-क्रायोजेनिक्स, वायरिंग,एम्पलीफायर और कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम और एडब्ल्यूएस जैसी वैश्विक अग्रणी कंपनियों को करने की स्थिति में है। यह अमरावती को क्वांटम तकनीकों के लिए दुनिया का पसंदीदा विनिर्माण केंद्र बनने की स्थिति में लाता है, जिससे हजारों उच्च-मूल्य वाली नौकरियां पैदा होंगी और भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में शामिल होगा।’

First Published : November 5, 2025 | 10:37 PM IST