मेरे प्रिय मित्र गोपीचंद हिंदुजा के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। ‘जीपी’ के नाम से लोकप्रिय गोपीचंद ने वैश्विक व्यापार और लंदन में अपनी एक अमिट पहचान बनाई। मैं उन्हें गोपी कहकर पुकारता था। गोपी उन कुछ गिने-चुने लोगों में थे जिनके साथ मित्रता करने का मुझे सौभाग्य मिला। मेरी पत्नी उषा और मुझे उनके साथ बिताए हर पल से प्यार था और हम हमेशा इन यादों को संजो
कर रखेंगे।
गोपी उद्यमशील थे और उन्होंने दुनिया में धाक जमाने वाले एक भारतीय वैश्विक समूह की बुनियाद रखी। अपने भाइयों श्रीचंद (बड़े एवं दिवंगत) और छोटे प्रकाश और अशोक (जीवित) के साथ मिलकर उन्होंने हिंदुजा समूह को बैंकिंग, ऊर्जा, वाहन और तकनीक क्षेत्रों में एक खास मुकाम तक पहुंचा दिया।
ब्रिटेन के अल्पसंख्यक समुदायों में उथल-पुथल के दौरान गोपी एक अग्रणी वैश्विक कारोबारी थे जिन्होंने उभरते हुए उद्यमियों की तलाश को अपना व्यक्तिगत व्यवसाय बना लिया। राजनीतिक अभिजात वर्ग ने इस नए सामाजिक वर्ग को अपनाया और गोपी निस्संदेह शुरू में नए थे मगर बाद में वह एक जाना-माना चेहरा बन गए।
उनके नेतृत्व में अशोक लीलैंड जैसे हिंदुजा के व्यवसाय वैश्विक स्तर पर काफी सफल हुए जिन्होंने भारत की पहली इलेक्ट्रिक बसें बनाने से लेकर एशिया, अफ्रीका और पश्चिम एशिया के बाजारों में अपनी उपस्थिति दर्ज की। ये उपलब्धियां अनंत महत्त्वाकांक्षा के साथ सरल भारतीय कारोबार शैली में उनके विश्वास को प्रदर्शित करते हैं। उन्हें भारत के आर्थिक विकास की कहानी में योगदान करने पर वास्तव में गर्व था।
अपनी सभी उपलब्धियों और कभी-कभी सामने आईं चुनौतियों के बावजूद गोपी ने उन मूल्यों और विश्वास को कभी डिगने नहीं दिया जो उनकी सफलता की मुख्य बुनियाद थे। कद में छोटे लेकिन कद्दावर व्यक्तित्व वाले गोपी तुरंत लोगों को सहज कर देते थे। उनके पास एक ऐसा चरित्र था जो बहुत गंभीर मुद्दों के बीच भी माहौल सहज एवं खुशनुमा बनाने की क्षमता रखता था।
जब मेरा परिवार 30 साल पहले लंदन बस गया तो गोपी कुछ उन लोगों में से थे जिन्होंने सबसे पहले गर्मजोशी और स्नेह के साथ हमारा स्वागत किया। वर्षों से हमारा रिश्ता फला-फूलता रहा। मुझे हमेशा एक साथ बिताए समय और दोस्ती, आस्था और दृढ़ता के बारे में साझा किए गए सबक याद रहेंगे। वह अविश्वसनीय रूप से वफादार थे और हमेशा अपने दोस्तों के साथ खड़े रहते थे। जीवन के प्रति उनका प्रेम उन्हें किसी भी कार्यक्रम में एक अद्भुत व्यक्ति बना देता था और वे सभी के लिए अपने समय और भावना के साथ उदारता से पेश आते थे।
मेरी राय में गोपी दूसरों लोगों की तुलना में खास थे। उनका मानना था कि व्यवसाय का एक व्यापक उद्देश्य होता है और वह अवसर पैदा करना एवं संस्कृतियों को जोड़ना। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह भारत और ब्रिटेन के बीच संबंध को मजबूती देने में प्रेरणा स्वरूप थे। इस वर्ष दोनों देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते के जरिये इस संबंध को और मजबूती मिल गई।
मेरा मानना है कि ब्रिटेन के समुदाय पर उनके प्रभाव को पारंपरिक अभिजात वर्ग द्वारा पर्याप्त रूप से स्वीकार नहीं किया गया। लंदन के छोटे व्यापारियों के साथ गोपी की खुशहाल संगति इसका एक स्पष्ट उदाहरण थी। उन्हें उपनगरों में एक और सामुदायिक समारोह में भाग लेने की आवश्यकता नहीं थी और इसलिए लंदन में उनकी उपस्थिति ने ब्रिटिश भारतीयों की कहानी को आकार देने में मदद की।
उन्होंने यह भी परिभाषित किया कि ब्रिटेन में एक भारतीय के रूप में सफल होने का ऐसे समय में क्या मतलब था जब भारत 1990 के दशक में अपने अभूतपूर्व आर्थिक सुधारों के बाद निवेश के एक महत्त्वपूर्ण स्थान के रूप में उभर रहा था। लंदन पर उनका प्रभाव कई रूपों में दिखाई देता है खासकर उन परियोजनाओं पर जिन्होंने इसके (लंदन) के ताने-बाने को नया रूप देने में मदद की है। ‘
ओल्ड वॉर ऑफिस’ को ‘द ओडब्ल्यूओ होटल’ में पुनर्विकसित करना उनकी समृद्ध सोच का प्रमाण है। गोपी के शब्दों में ओडब्ल्यूओ ‘भविष्य की पीढ़ियों के आनंद लेने के लिए लंदन के लिए उनकी सबसे बड़ी विरासत’ होगी।
उनका प्रभाव यहीं तक सीमित नहीं था। यह दूसरों के प्रति उनके सम्मान, उनकी सलाह और स्थायी दोस्ती बनाने की उनकी कुशलता में भी दिखता था। वह स्वयं में आश्वस्त थे जिस वजह से उन्होंने दूसरों का ध्यान अपनी ओर खींचने की कभी जरूरत महसूस नहीं की।
किसी राष्ट्र के प्रमुख से लेकर युवा उद्यमी सभी की बातें धैर्य से सुनते थे और सहज एवं प्रामाणिक बातें करते थे। उन्हें जीवन का अथाह अनुभव था और मैं भी इससे कई वर्षों तक लाभान्वित हुआ हूं।
गोपी को व्यवसाय के एक दिग्गज और एक सच्चे सज्जन के रूप में याद किया जाएगा। उनके निधन को न केवल उनके परिवार, दोस्तों और हिंदुजा समूह द्वारा बल्कि उन समुदायों द्वारा भी महसूस किया जाएगा जिनकी उन्होंने एक असाधारण जीवन के दौरान परोपकार और व्यवसाय के साथ सेवा की। वास्तव में उनकी उपस्थिति के बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है लेकिन उनकी भावना और विरासत हमारे साथ रहेगी।
(लेखक (लक्ष्मी मित्तल) आर्सेलरमित्तल के कार्यकारी अध्यक्ष हैं)