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भले ही UK ने बंद कर दिए सभी पावर प्लांट, मगर भारत में कोयले से खूब बन रही बिजली; चीन तो कई गुना आगे

भारत की कोयला से मुक्ति की योजना बहुत धीमी है। अगले 15 सालों में केवल एक Gw से कम कोयला क्षमता कम करने की योजना है। यह लक्ष्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं और BRICS समूह से काफी कम है

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समरीन वानी   
Last Updated- October 06, 2024 | 5:51 PM IST

India coal emissions: पिछले हफ्ते यानी 1 अक्टूबर 2024 को इंगलैड (UK) ने अपना आखिरी कोयला-आधारित पावर प्लांट बंद कर दिया। इसके साथ ही वह G7 देशों में कोयले से बिजली उत्पादन को पूरी तरह समाप्त करने वाला पहला देश बन गया। दिलचस्प बात यह रही कि UK ने इस लक्ष्य को तय समय (2025) से एक साल पहले ही हासिल कर लिया। बता दें कि कि UK के तहत 4 देश-इंगलैंड, नॉर्दर्न आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स आते हैं।

UK ने गैस-आधारित बिजली और कार्बन उत्सर्जन पर जुर्माने के जरिए धीरे-धीरे कोयले का उपयोग कम किया। इस सदी की शुरुआत के बाद से इसने कोई कोयला आधारित क्षमता नहीं जोड़ी है। इसकी तुलना चीन से करें तो 2000 के बाद से ग्लोबल लेवल पर जोड़ी गई 1588.5 गीगावाट (Gw) कोयला-संचालित क्षमता का 69% हिस्सा चीन से उत्पादित हुआ है। जो कि ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर (GEM) के आंकड़ों के अनुसार, सभी देशों के मुकाबले सबसे अधिक है।

भारत दूसरा सबसे बड़ा कोयला का उपयोग करने वाला देश, चीन तो कई गुना आगे

कुल वैश्विक क्षमता में 12% की वृद्धि के साथ भारत दूसरे स्थान पर है। भारत ने 2000 से अब तक जो कोयला क्षमता जोड़ी है, उसका 29 प्रतिशत 2015 के पेरिस समझौते के बाद जोड़ा गया है।

वहीं, चीन ने इस अवधि में भारत के मुकाबले पांच गुना अधिक कोयला क्षमता जोड़ी है। जर्मनी ने 1.1 Gw कोयला क्षमता जोड़ी है, जबकि अमेरिका ने 2016 के बाद से कोई नया कोयला पावर प्लांट नहीं बनाया है और उसके शुद्ध जोड़ (net additions ) नकारात्मक हैं।

भारत में वर्तमान में निर्माणाधीन 29 Gw कोयला क्षमता (coal capacity under construction) में से 80 प्रतिशत तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में बन रही है।

कब मिलेगी कोयला से मुक्ति

भारत का कोयला से मुक्ति पाने की योजना बहुत धीमी है। अगले 15 सालों में केवल एक Gw से कम कोयला क्षमता कम करने की योजना है। भारत का यह लक्ष्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं और BRICS समूह के अन्य देशों की तुलना में काफी कम है।

GEM में ग्लोबल कोल प्लांट ट्रैकर (Global Coal Plant Tracker) के प्रोजेक्ट मैनेजर क्रिस्टीन शियरर ने कहा, ' International Energy Agency (IEA) के मुताबिक, भारत सरकार कोयला उत्पादन का विस्तार करने की योजना बना रही है और कह रही है कि देश में कोयले का उपयोग 2040 तक चरम पर नहीं पहुंचेगा, जबकि पेरिस जलवायु समझौते (Paris climate agreement) के अनुसार 2040 तक ग्लोबल लेवल पर कोयले से ऊर्जा उत्पादन समाप्त हो जाना चाहिए।'

बढ़ रहा कोयला का उपयोग, भले ही लक्ष्य खत्म करने का हो

शियरर ने कहा, 'सरकार ने उपयोगिताओं को बिजली की मांग को पूरा करने के लिए 2030 तक रिटायरिंग कोयला प्लांटों को बंद करने के लिए कहा है, जबकि कोयला मंत्रालय कमर्शियल नीलामी के लिए नए कोयला ब्लॉक खोलना जारी रखा है।'

भारत अपनी बिजली की ज्यादातर मांग थर्मल पावर प्लांट्स से पूरा करता है, हालांकि कुल स्थापित विद्युत क्षमता (installed electric power capacity) में से आधी से ज्यादा गैर-जीवाश्म ईंधन (non-fossil fuel) स्रोतों से आती है। वित्त वर्ष 2024 में जीवाश्म ईंधन से बिजली उत्पादन की वृद्धि दर पिछले एक दशक में सबसे अधिक रही और रिन्यूबल एनर्जी से उत्पादन को पीछे छोड़ दिया।

शियरर के अनुसार, भारत के गैर-जीवाश्म ईंधन लक्ष्यों को 'कुशलता, लचीलापन, और क्षेत्रीय विद्युत प्रसारण में वृद्धि' (efficiency, flexibility, and increased regional transmission) के साथ जोड़कर देश की बिजली मांग को, यहां तक कि चरम समय में भी, पूरा किया जा सकता है।

भारत वैश्विक कोयला प्लांट उत्सर्जन में 13 प्रतिशत का योगदान देता है, जबकि चीन का उत्सर्जन भारत की तुलना में पांच गुना अधिक है।

शियरर ने कहा, कोयले का उपयोग जिन समस्याओं का समाधान करने के लिए किया जाता है, जैसे कि हीट वेव के दौरान बिजली की मांग, वे समस्याएं खुद कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधनों के कारण उत्पन्न होती हैं।'

उन्होंने कहा, 'इस साइकल से निकलने का एकमात्र वास्तविक समाधान स्वच्छ ऊर्जा (clean energy) को तेजी से अपनाने की योजना बनाना है।'

First Published : October 6, 2024 | 5:32 PM IST