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प्रदूषण बढ़ने से फूल रहा आर्थिक राजधानी मुंबई का दम

मुंबई में सांस की बीमारियों में तेजी देखी जा रही है, निर्माण कार्यों से वायु गुणवत्ता खराब

Last Updated- March 19, 2023 | 10:24 PM IST
Economic capital Mumbai is flourishing due to increase in pollution
PTI

दिसंबर में साक्षी तावडे जब भी बाहर निकलती थीं तो उन्हें खांसी होने के साथ ही सांस लेने में तकलीफ होने लगती थी। जनवरी के आखिर तक स्थिति ऐसी हो गई कि जब वह चेंबूर में अपने घर के भीतर भी रहती थीं तब भी उनकी खांसी बढ़ जाती थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और डॉक्टर ने कहा कि उन्हें दमा है।

पिछले महीने, 12 साल की साक्षी ने अपने स्कूल की सब-जूनियर ट्रैक टीम छोड़ दी जिसकी वह कप्तान थीं। साक्षी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘यह बेहद निराशाजनक है कि युवा खिलाड़ियों को इस तरह की बीमारियां हो रही हैं।’

हालांकि उन्हें इस बात से कोई सांत्वना नहीं मिलेगी कि दिसंबर से मुंबई में विभिन्न आयु समूहों, अलग-अलग तरह की जीवन शैली वाले लोगों और विभिन्न आमदनी वर्ग के लोगों में सांस की बीमारियां बढ़ गईं।

दो दर्जन से अधिक स्टार्टअप में ऐंजल निवेशक, हरप्रीत सिंह ग्रोवर ने कहा, ‘मेरी पत्नी और मैं दोनों ही दौड़ते हैं। हवा की गुणवत्ता खराब होने के कारण, मैंने दौड़ना बंद कर दिया। हालांकि मेरी पत्नी ने दौड़ना जारी रखा, लेकिन एक सप्ताह के बाद उसे भी दौड़ने का नियम रोकना पड़ा क्योंकि उसका गला खराब हो गया था।’

इस तरह के अनुभव भी इस बात के संकेत देते हैं कि सांस की बीमारियों के लिए अस्पतालों में जाने वाले लोगों में 30 प्रतिशत की वृद्धि क्यों हुई है। करीब एक-चौथाई से अधिक मरीज ऐसी बीमारियों के कारण आईसीयू में हैं। तावडे के डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि चेंबूर, मझगांव, मुलुंड और बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के अस्पतालों में सांस से जुड़ी समस्याओं में काफी तेजी आई है।

इस तरह की स्थिति मुंबई की वायु गुणवत्ता के अभूतपूर्व तरीके से खराब होने के साथ हुआ है। सर्दियों की असामान्य ठंड शुरू होने के साथ ही मुंबईवासियों ने गर्म कपड़े पहनने शुरू कर दिए और यह शहर लगभग चार महीने से धुंध और धूल से घिरा हुआ है। वर्ष 2019 और 2022 के बीच, मुंबई में ‘खराब’ और ‘बहुत खराब’ एक्यूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) वाले औसत दिनों की संख्या 28 थी।

इस साल जनवरी से शहर में 90 प्रतिशत से अधिक दिनों तक वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘खराब’ से लेकर ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा जो पिछले साल की तुलना में 150 प्रतिशत अधिक है।

हवा की गुणवत्ता मापने वाला स्विस एयर ट्रैकिंग इंडेक्स, आईक्यूएयर ने मुंबई और मुंबई महानगरीय क्षेत्र को भारत में सबसे प्रदूषित शहरी केंद्र बताया है और 29 जनवरी और 8 फरवरी के बीच वाले हफ्ते में दुनिया में दूसरा सबसे प्रदूषित शहर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को बताया है।

एक्यूआईडॉटइन के मुताबिक सर्दियों में कमी आने के बावजूद मुंबई का वायु गुणवत्ता सूचकांक 15 फरवरी से 15 मार्च के बीच करीब 20 दिनों तक ‘खराब’ और ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहा। टेरी के पृथ्वी विज्ञान और जलवायु परिवर्तन विभाग में रिसर्च फेलो अंजू गोयल ने कहा, ‘ला नीना के कारण, समुद्र और भूमि के बीच वायु हस्तांतरण होता है जो हर दो से तीन दिनों में होता था जो इस सर्दियों में धीमा होकर सात से 10 दिनों के चक्र में होने लगा।’

ला नीना समुद्र की सतहों को ठंडा करता है और उन्हें वायुमंडल से अधिक गर्मी अवशोषित करने का कारक बनता है। शीतलता वाले प्रभाव के चलते भूमि और समुद्र के बीच वायु प्रवाह की उलटी गति की प्रक्रिया धीमी हो जाती है जिसके कारण प्रदूषक वायुमंडल के निचले हिस्से में धुंध के रूप में लंबे समय तक अटके रहते हैं।

इस तरह के जलवायु कारकों की वजह से मुंबई के वायु प्रदूषण में लगातार बढ़ोतरी हुई है। मेरीलैंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमेरिटस और आईआईटी-बंबई के विजिटिंग फैकल्टी रघु मुर्तुगुडे ने कहा कि 2010 में मुंबई में हवा में प्रदूषक तत्त्व, पीएम 2.5, करीब 70 के स्तर पर रहता था, जो शीर्ष स्तर के साथ-साथ औसत स्तर भी था, क्योंकि इसमें अंतर नगण्य था। इन सर्दियों में पीएम 2.5 का स्तर औसतन 100 से अधिक है और इसका उच्चतम स्तर 150 है जो 2010 के मुकाबले दोगुने से भी अधिक है।

शहर भर में निर्माण में तेजी ने इन प्रदूषक तत्त्वों के मामले को और अधिक जटिल बना दिया है। मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक, मुंबई मेट्रो और नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के साथ-साथ रियल एस्टेट निर्माण परियोजनाओं ने धूल का स्तर बढ़ाया है।

तावडे का घर कई ऐसे ही निर्माण स्थलों से घिरा हुआ है और उनके स्कूल की भी यही स्थिति है।

First Published - March 19, 2023 | 10:24 PM IST

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