अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कल्याण से जुड़े विषयों पर विचार कर रही संसद की एक समिति ने कहा है कि ‘क्रीमी लेयर’ की आय सीमा को संशोधित करना ‘समय की मांग’ है, क्योंकि मौजूदा सीमा पात्र ओबीसी परिवारों के एक बड़े वर्ग को आरक्षण के लाभ और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से वंचित कर रही है।
शुक्रवार को संसद में पेश की गई अपनी आठवीं रिपोर्ट में, समिति ने उल्लेख किया कि आय सीमा को 6.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये प्रति वर्ष करने संबंधी संशोधन 2017 में किया गया था। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के नियमों के अनुसार, इस सीमा की समीक्षा हर तीन साल पर या जरूरत पड़ने पर उससे पहले भी की जानी चाहिए।
भाजपा सांसद गणेश सिंह की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति ने कहा, ‘वर्तमान सीमा कम है, जिसके दायरे में ओबीसी का केवल एक छोटा सा हिस्सा आता है।’ उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति और निम्न आय वर्ग की बढ़ती आय के कारण इसमें वृद्धि करना ‘समय की मांग’ है।