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Datanomics: आंकड़ों से समझे गर्मी और उसके आर्थिक प्रभाव

मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने रेड अलर्ट जारी किया है, जो सबसे ऊंचे स्तर की चेतावनी है।

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शिखा चतुर्वेदी   
Last Updated- June 12, 2025 | 7:07 PM IST

दिल्ली इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है। बुधवार को राजधानी के विभिन्न इलाकों में तापमान 40.9 से 45.0 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया, जबकि हीट इंडेक्स—यानी नमी और तापमान मिलाकर महसूस होने वाली गर्मी—51.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गई। इसके चलते भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने रेड अलर्ट जारी किया है, जो सबसे ऊंचे स्तर की चेतावनी है।

दिल्ली कहां रही कितनी गर्मी

बुधवार शाम 5:30 बजे तक अयानगर सबसे गर्म रहा, जहां तापमान 45°C दर्ज किया गया। इसके बाद पलम (44.5°C), रिज (43.6°C), पीतमपुरा (43.5°C), लोधी रोड (43.4°C), सफदरजंग (43.3°C) और मयूर विहार (40.9°C) रहे। IMD के अनुसार, केवल अयानगर में ही हीटवेव की स्थिति दर्ज की गई, जबकि मंगलवार को तीन स्टेशनों पर हीटवेव देखी गई थी।

 

IMD का अनुमान: 13 जून से कुछ राहत, बारिश की संभावना

मौसम विभाग ने बताया कि 13 जून की रात से पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) के प्रभाव से दिल्ली और उत्तर-पश्चिम भारत में हल्की बारिश और गरज के साथ छींटें पड़ने की संभावना है। इसके चलते गर्मी की तीव्रता में कमी आ सकती है और रेड अलर्ट की जगह ऑरेंज अलर्ट लागू किया जाएगा। 14 से 17 जून के बीच तापमान 37-42°C तक आ सकता है।

गर्मी से कैसे प्रभावित हो रहा Real Estate Sector

गर्मी का असर केवल स्वास्थ्य और पर्यावरण तक सीमित नहीं है, इसका गहरा असर आर्थिक गतिविधियों पर भी दिख रहा है। रियल एस्टेट सेक्टर में निर्माण कार्यों पर सीधा प्रभाव पड़ा है। भारत में अत्यधिक गर्मी के चलते 2030 तक अनुमानित 80 मिलियन वैश्विक नौकरी नुकसानों में से 34 मिलियन भारत में हो सकते हैं।

अनारॉक समूह के उपाध्यक्ष संतोष कुमार ने बताया कि “गर्मियों में निर्माण स्थलों पर श्रमिकों की कमी 20 से 50 प्रतिशत तक हो जाती है, जिससे परियोजनाएं प्रभावित होती हैं।”

यूनिनव डेवलपर्स के निदेशक अनुप गर्ग ने कहा, “अत्यधिक गर्मी से दिहाड़ी मजदूरों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, जिससे वे अनुपस्थित रहते हैं या साइट समय से पहले बंद करनी पड़ती है।”

 

 

हीट स्ट्रेस से निपटने के लिए कई कंपनियां आधुनिक तकनीकों की ओर रुख कर रही हैं। इनमें शामिल हैं:

  • प्रिफैब्रिकेशन तकनीक: इससे साइट पर काम कम होता है और निर्माण की गति तेज होती है।
  • एल्यूमिनियम फॉर्मवर्क: हल्के और दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले सांचे जो निर्माण प्रक्रिया को कारगर बनाते हैं।
  • 3D प्रिंटिंग: संरचनात्मक घटकों को तैयार करने के लिए उपयोग हो रहा है जिससे कुशल श्रमिकों पर निर्भरता घटती है।
  • वर्चुअल साइट विज़िट्स: दलालों और ग्राहकों को वर्चुअल टूल्स के ज़रिए साइट दिखाना।

 

 

बड़े डेवलपर्स ने अपने श्रमिकों के लिए नई सुरक्षा रणनीतियां अपनाई हैं जैसे कि:

  • दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच कार्य रोकना
  • ठंडी जगहों में विश्राम
  • इलेक्ट्रोलाइट्स, कूलिंग टॉवेल्स, फर्स्ट-एड सुविधा
  • हीट स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान का प्रशिक्षण

दिल्ली और उत्तरी भारत का मौजूदा गर्मी संकट न केवल जनस्वास्थ्य के लिए चुनौती है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था, श्रमिक उत्पादकता और निर्माण क्षेत्र के लिए भी गंभीर खतरा बन चुका है। राहत की उम्मीद 13 जून के बाद जताई जा रही है, जब मौसम कुछ मेहरबान हो सकता है। तब तक, नागरिकों और उद्योगों दोनों को सतर्क रहने और सुरक्षात्मक उपाय अपनाने की आवश्यकता है।

 

First Published : June 12, 2025 | 6:51 PM IST