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भविष्य में पूरी तरह स्वदेशी होंगी बुलेट ट्रेन परियोजनाएं: अश्विनी वैष्णव

महाराष्ट्र-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल गलियारा बनाने के लिए जापान की मदद ली जा रही है। इस परियोजना के लिए जापान इंटरनैशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जिका) से कर्ज भी मिला है।

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ध्रुवाक्ष साहा   
Last Updated- February 23, 2024 | 11:13 PM IST

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत मुंबई-अहमदाबाद गलियारे पर निर्माण कार्य का जायजा लेते हुए आज कहा कि जल्द ही ऐसा समय आएगा जब हाई स्पीड रेल (एचएसआर) या बुलेट ट्रेन परियोजनाएं पूरी तरह स्वदेशी हो सकती हैं।

जायजा लेने के बाद बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब देते हुए वैष्णव ने कहा कि केंद्र सरकार के आत्मनिर्भरता के प्रयासों से यह तो पक्का हो जाएगा कि भविष्य में बुलेट ट्रेन परियोजनाओं के लिए विदेशी तकनीकी भागीदार की जरूरत नहीं होगी। मगर वैष्णव ने यह नहीं बताया कि ऐसा कब तक हो जाएगा।

भारत के पास फिलहाल हाई स्पीड रेल परियोजनाओं के लिए स्वदेशी तकनीक नहीं है। महाराष्ट्र-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल गलियारा बनाने के लिए जापान की मदद ली जा रही है। इस परियोजना के लिए जापान इंटरनैशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जिका) से कर्ज भी मिला है। जब आगे चलकर दूसरे बुलेट ट्रेन गलियारों को मंजूरी दिए जाने के बारे में पूछा गया तो वैष्णव ने कहा कि भारत को विकसित बनाने की दिशा में कई कदम उठाए जाएंगे। मगर उन्होंने किसी खास बुलेट ट्रेन गलियारे के बारे में कुछ नहीं कहा।

वैष्णव ने सेमी हाई-स्पीड ट्रेन तकनीक का जिक्र किया। वंदे भारत के नाम से चलने वाली सेमी हाई-स्पीड ट्रेन पूरी तरह स्वदेशी है। उन्होंने कहा कि विदेशी भागीदारों के साथ बुनियादी ढांचा तैयार करने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है। इसमें काफी समय तकनीक अपनाने में भी लग जाता है, जिसे भविष्य में स्वदेशी बनाने में मदद मिलती है।

बहरहाल अधिकारियों ने कहा कि निकट भविष्य में हाई स्पीड गलियारे के लिए पूरी तरह स्वदेशी तकनीक तैयार होने की उम्मीद जल्दबाजी होगी। मगर उनके मुताबिक इतना तय है कि नए बनाने वाले गलियारों में भारत महाराष्ट्र-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल गलियारे की तुलना में ज्यादा स्वेदशी तकनीक और उपक्रम का उपयोग कर सकेगा।

वैष्णव ने कहा, ‘आज हम जिस तकनीक को सीखते हैं, उसका इस्तेमाल बाद में कई तरह से किया जा सकता है। उदाहरण के लिए जटिल मेट्रो और रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम परियोजनाओं को पूरा करने की भारत की कुशलता और क्षमता भी बढ़ी है। हाई स्पीड रेल परियोजना को भी हम तकनीक सीखने का मौका मान रहे हैं।’

इस परियोजना पर काम कर रहे अधिकारी भी इस समीक्षा प्रक्रिया में शामिल थे। उन्होंने कहा कि परियोजना पर 1.08 लाख करोड़ रुपये की स्वीकृत रकम के मुकाबले ज्यादा लागत आना लगभग तय है। मगर इसका कुल अनुमान रेलगाड़ियों तथा अन्य उपकरणों की आपूर्ति के लिए जापान में ठेके देने के बाद ही लगाया जा सकता है। खबरें आई हैं कि परियोजना की लागत करीब 2 लाख करोड़ रुपये हो सकती है।

वैष्णव ने आज विक्रोली में नियंत्रित विस्फोट के समय मौजूद रहे। सुरंग खोदने वाली मशीन यहीं से जमीन में जाएगी। इस मशीन के जरिये समुद्र के भीतर 7 किलोमीटर लंबा पुल बनाया जाएगा। यह पुल मुंबई के भूमिगत स्टेशनों को ठाणे के एलिवेटेड सेक्शन से जोड़ेगा।

वैष्णव ने मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स पर गलियारे में टर्मिनल स्टेशन के काम की प्रगति का भी मुआयना किया। वैष्णव ने परियोजना में देर होने का ठीकरा उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पिछली राज्य सरकार के सिर फोड़ दिया।

उन्होंने आरोप लगाया कि ठाकरे के समय महाराष्ट्र में कई मंजूरियां अटकने से परियोजना में देर हुई। लेकिन एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने से अटकी मंजूरी मिल गई हैं और परियोजना में तेजी आई है। यह अलग बात है कि अतीत में गुजरात के भीतर भी यह गलियारा बनने में देर हुई थी। केंद्र सरकार ने यह परियोजना 2022 तक तैयार होने का लक्ष्य रखा था मगर अभी तक काम पूरा नहीं हो सका है।

First Published : February 23, 2024 | 11:13 PM IST