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एनसीपीसीआर ने SC से कहा, समलैंगिक जोड़े को गोद लेने की अनुमति देना बच्चों को ‘खतरे में डालने’ के समान

Published by
बीएस वेब टीम
Last Updated- April 18, 2023 | 12:20 PM IST

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने समलैंगिक विवाह को क़ानूनी बनाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और अपनी याचिका में समलैंगिक जोड़े को गोद लेने की अनुमति नहीं देने का आग्रह किया है।

समलैंगिक जोड़े (gay couple) के गोद लेने के अधिकारों का विरोध करते हुए बाल अधिकार निकाय ने कहा है कि समान लिंग वाले माता-पिता द्वारा पाले गए बच्चों की पारंपरिक लिंग रोल मॉडल के प्रति सीमित पहुंच हो सकती है।

याचिकाओं में सुप्रीम कोर्टअदालत के हस्तक्षेप की मांग करते हुए आयोग ने कहा है कि हिंदू विवाह अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम समान-लिंग वाले युगलों द्वारा बच्चे गोद लिए जाने को मान्यता नहीं देते।

याचिका में कहा गया है, “समान लिंग वाले माता-पिता की पारंपरिक लिंग रोल मॉडल के प्रति सीमित पहुंच हो सकती है और इसलिए, बच्चों की पहुंच सीमित होगी तथा उनके समग्र व्यक्तित्व विकास पर असर पड़ेगा।”

इसमें समलैंगिक माता-पिता द्वारा बच्चा गोद लिए जाने पर किए गए अध्ययन का उल्लेख किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि ऐसा बच्चा सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दोनों रूप से प्रभावित होता है।

याचिका में कहा गया है, “समान लिंग वाले जोड़ों को बच्चे गोद लेने की अनुमति देना बच्चों को खतरे में डालने जैसा होता है।”

शीर्ष अदालत की पांच-जजों की संविधान बेंच मंगलवार से देश में समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

First Published : April 18, 2023 | 12:20 PM IST