महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने से राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। महाविकास आघाडी की घटक शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने जहां इस घटना को अक्षम्य बताया और कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मांगी गई माफी में अहंकार की बू है। वहीं राकांपा-एसपी के प्रमुख शरद पवार ने इस घटना को भ्रष्टाचार से जोड़ा।
मुंबई से करीब 480 किलोमीटर दूर मालवण तहसील के राजकोट किले में 17वीं सदी के मराठा योद्धा की प्रतिमा 26 अगस्त को गिर गई थी। इसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस के अवसर पर किया था।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (राकांपा-एसपी) सुप्रीमो शरद पवार और शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना- यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने प्रतिमा ढहने के विरोध में रविवार को दक्षिण मुंबई स्थित प्रतिष्ठित हुतात्मा चौक से ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ तक ‘महा विकास आघाड़ी’ (एमवीए) के मार्च का नेतृत्व किया।
एमवीए नेताओं ने प्रतिमा ढहने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की आलोचना की।
शरद पवार, उद्धव ठाकरे, कांग्रेस की प्रदेश इकाई के प्रमुख नाना पटोले और पार्टी की मुंबई इकाई की प्रमुख वर्षा गायकवाड़ ने ‘संयुक्त महाराष्ट्र’ आंदोलन में शहीद हुए लोगों की याद में बने हुतात्मा चौक पर पुष्पांजलि अर्पित कर विरोध मार्च की शुरुआत की।
ठाकरे ने ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ पर सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘क्या आपने (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की) माफी में अहंकार को देखा? इसमें अहंकार की बू आ रही थी। एक उपमुख्यमंत्री मुस्कुरा रहे थे। इस गलती (प्रतिमा ढहने की घटना) को माफ नहीं किया जा सकता। हम सभी यहां भाजपा के भारत से बाहर जाने की मांग को लेकर एकत्र हुए हैं। महाराष्ट्र के लोग महान योद्धा के अपमान को कभी माफ नहीं करेंगे।’
ठाकरे ने ‘मोदी की गारंटी’ का उपहास उड़ाने के लिए प्रतिमा ढहने, अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर और नए संसद भवन परिसर में रिसाव का हवाला दिया। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री किस बात के लिए माफी मांग रहे थे? उस प्रतिमा के लिए, जिसका उन्होंने 8 महीने पहले उद्घाटन किया था? उसमें शामिल भ्रष्टाचार के लिए? एमवीए काडरों को शिवाजी महाराज का अपमान करने वाली ताकतों को हराने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। प्रतिमा का गिरना महाराष्ट्र की आत्मा का अपमान है।’
मालूम हो कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को पालघर में अपने संबोधन के दौरान कहा था कि छत्रपति शिवाजी महाराज सिर्फ एक नाम या राजा नहीं, बल्कि एक देवता हैं। आज, मैं उनके चरणों में सिर झुकाता हूं और अपने देवता से माफी मांगता हूं।
शरद पवार ने विरोध मार्च में कहा, ‘सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का गिरना भ्रष्टाचार का एक उदाहरण है। यह सभी शिवाजी प्रेमियों का अपमान है।’ कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि प्रधानमंत्री के माफी मांगने से बहुत पहले ही विपक्ष ने ऐसी ‘शिवाजी द्रोही’ (छत्रपति शिवाजी के सिद्धांतों के साथ विश्वासघात करने वाली) सरकार को सत्ता में आने देने के लिए मराठा योद्धा से माफी मांगी थी। आगामी विधान सभा चुनाव की पृष्ठभूमि में उन्होंने कहा, ‘हमने संकल्प लिया है कि ऐसा दोबारा नहीं होगा।’
पटोले ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्य में होने वाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए माफी मांगी है। ‘जोड़े मारो आंदोलन’ (चप्पलों से मारो) नामक आंदोलन के दौरान ठाकरे ने शिवसेना (उद्धव) और कांग्रेस नेताओं के साथ मिलकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्रियों देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के पोस्टर पर चप्पलें मारीं।