facebookmetapixel
NSE IPO का इंतजार जल्द खत्म! सेबी चीफ बोले – अब देर नहीं, लिस्टिंग की राह खुली1 लाख फेक अकाउंट बंद, NSE IPO आने को तैयार – सेबी चीफ ने बताया भारत का फाइनेंस फ्यूचरSEBI के नए नियम, अब बैंक निफ्टी में होंगे 14 शेयर; टॉप स्टॉक्स के वेटेज पर लिमिटApple India को ​सितंबर तिमाही में रिकॉर्ड रेवेन्यू, iPhone की दमदार बिक्री से मिला बूस्टIndia’s Biggest BFSI Event – 2025 | तीसरा दिन (हॉल- 2)Swiggy के शेयर में 34% तक उछाल की संभावना! Nomura और Motilal Oswal ने कहा – खरीद लोसोने के भाव फिसले, चांदी की कीमतों में भी गिरावट; चेक करें आज का भावIndia’s Biggest BFSI Event – 2025 | तीसरा दिन (हॉल – 1)एयर इंडिया ने ओनर्स से मांगी ₹10,000 करोड़ की मदद, अहमदाबाद हादसे और एयरस्पेस पाबंदियों से बढ़ा संकट₹6,900 लगाकर ₹11,795 तक कमाने का मौका! HDFC Securities ने सुझाई Bank Nifty पर Bear Spread स्ट्रैटेजी

Meta की माफी के बाद PIB फैक्ट चेक चर्चा में: जानें किन फर्जी खबरों पर लोग सबसे ज्यादा सवाल पूछते हैं

फर्जी आर्थिक योजनाओं से लेकर कोविड-19 लॉकडाउन तक, PIB फैक्ट चेक यूनिट ने 2024 में 583 भ्रामक सूचनाओं की जांच की; 36% सवाल सरकारी योजनाओं से जुड़े।

Last Updated- January 17, 2025 | 10:41 PM IST
META layoffs

मेटा ने बुधवार को अपने मुख्य कार्य अधिकारी मार्क जकरबर्ग की उस टिप्पणी के लिए माफी मांगी, जिसमें उन्होंने कहा था कि  मोदी सरकार साल 2024 के चुनावों में सत्ता खो चुकी है। कंपनी ने कहा कि यह अनजाने में हुई भूल है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखकर जकरबर्ग से तथ्य स्पष्ट करने के लिए कहा था, जिसके बाद दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी ने अपना पक्ष रखा था।

हालांकि, यह मामला अब ठंडा पड़ गया है। यहां तो खुद सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने फैक्ट चेक किया, लेकिन गौर करने की बात है कि उनके मंत्रालय के तहत आने वाला प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) भी लोगों द्वारा पूछे गए सवालों की पुष्टि के लिए अपनी फैक्ट चेकिंग इकाई (एफसीयू) चलाता है। वह खुद से भी जानकारी की जांच करता है। एफसीयू की काम की समीक्षा से पता चलता है कि भारतीय लोग किस तरह की जानकारी चाहते हैं और उन्हें किस तरह की फर्जी जानकारियों का सामना करना पड़ता है।

एफसीयू ने पिछले साल 583 सूचनाओं की जांच की। इससे पहले साल 2020 में एफसीयू ने 394 तथ्यों की जांच की थी। उसी साल एफसीयू पूर्णतः परिचालन में आया था। पहली बार दिसंबर 2019 में शुरू होने वाले एफसीयू ने उस वक्त 19 सूचनाओं को जांचा था। 2019 में एफसीयू द्वारा सार्वजनिक तौर पर पोस्ट किए गए 15 आर्टिकल में से 5 आर्थिक और वित्तीय रिपोर्ट थे।

इनमें करेंसी नोट, रुपये के बदले मुफ्त उपहार अथवा सेवाएं, लकी ड्रॉ, सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाएं और भारतीय रिजर्व बैंक के पुरस्कार से जुड़े आलेख शामिल थे। एक आलेख में यह दावा किया जा रहा था कि प्रधानमंत्री ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में बदलाव को मंजूरी दे दी है। हालांकि, यह जानकारी फर्जी थी।

गुजरते साल के साथ आर्थिक और वित्तीय खबरों से जुड़े सवाल बढ़ते चले गए हैं। इनमें खासतौर पर विभिन्न सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं से जुड़े सवाल साल 2023 में 100 से अधिक हो गए थे और साल 2024 तक उससे अधिक रहे। पिछले साल यानी 2024 में एफसीयू के पूरे कामकाज में ऐसे सवालों की हिस्सेदारी 36 फीसदी रही।

सरकारी नौकरियों अथवा भर्ती परीक्षाओं से जुड़े सवाल भी लोगों के जेहन में हैं। जहां दिसंबर 2019 में ऐसा सिर्फ एक सवाल था वहीं उसके अगले साल उनकी संख्या बढ़कर 41 हो गई और कुल सवालों में उसकी हिस्सेदारी 12 फीसदी से अधिक रही। मगर उसके बाद कुल तथ्य जांच में उसकी संख्या और हिस्सेदारी में गिरावट आई।

साल 2019 में स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा कोई सवाल नहीं पूछा गया था, लेकिन भारत में कोविड-19 फैलने के बाद अगले दो वर्षों में ऐसे सवालों की संख्या बढ़कर क्रमश: 78 और 86 हो गई। असलियत में एफसीयू ने साल 2021 में सबसे ज्यादा तथ्यों की जांच की, जब देश में वैश्विक महामारी कोविड-19 की दूसरी लहर थी। स्वास्थ्य संबंधी सवाल अगले तीन वर्षों में कम हो गए, लेकिन पिछले साल 6 सितंबर तक लोगों ने एफसीयू से वैश्विक महामारी रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की खबरों के बारे में पूछताछ की। वैसी खबरें भी भ्रामक पाई गईं।

आर्थिक और वित्तीय रिपोर्टों पर लोगों के अधिकतर सवाल सुविधाओं से संबंधित रहे, जिनमें बेरोजगारी भत्ता या सरकार, पीएसयू या रिजर्व बैंक द्वारा कथित तौर पर पैसे के बदले में दी जाने वाली सेवाएं शामिल हैं। इनमें से अधिकांश को एफसीयू ने भ्रामक पाया है।

First Published - January 17, 2025 | 10:41 PM IST

संबंधित पोस्ट