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मनमोहन सिंह के 6 ऐतिहासिक काम: देश ही नहीं दुनिया में भी रही गूंज

जब वर्ष 1991 में भारत पर संकट के बादल छा गए थे और सोने को गिरवी रखना पड़ा था तब डॉ मनमोहन सिंह के ही वो फैसले थे जिन्होंने अर्थव्यवस्था को पार लगाया।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- December 27, 2024 | 1:49 PM IST

Manmohan Singh Death: पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) का गुरुवार (26 दिसंबर) रात निधन हो गया। डॉ सिंह साल 2004 से लेकर साल 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। इसमें कोई दो राय नहीं है कि डॉ सिंह को भारत की अर्थव्यवस्था और राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान के लिए याद किया जाएगा। डॉ सिंह का भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण से लेकर अमेरिकी के साथ न्यूक्लियर डील में महत्वपूर्ण योगदान रहा।

जब वर्ष 1991 में भारत पर संकट के बादल छा गए थे और सोने को गिरवी रखना पड़ा था तब डॉ मनमोहन सिंह के ही वो फैसले थे जिन्होंने अर्थव्यवस्था को पार लगाया। इस संकट से उबरने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के मार्गदर्शन में वित्त मंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कई बड़े आर्थिक सुधार किए जिनका जिक्र आज भी होता है। आज हम डॉ सिंह के कुछ उन्ही फैसलों पर प्रकाश डालेंगे जिनकी देश ही नहीं दुनिया में भी गूंज रही।

जून 1991- वैश्वीकरण और उदारीकरण

साल 1991 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट आ गई थी। देश का फोरेक्स रिजर्व मात्र दो सप्ताह तक की आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए बचा था। तब मनमोहन सिंह की नीति ने देश को संकट से उबारा। डॉ सिंह ने न्यू इकनॉमिक पॉलिसी 1991 (NEP 1991) का मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। एनईपी 1991 ने न केवल उद्योग को बंदिशों से मुक्त किया, बल्कि फिस्कल और मॉनेटरी अनुशासन भी लाया जिससे बड़े पैमाने पर प्राइवेटाइजेशन का रास्ता खुला। इस नीति ने बैंकिंग क्षेत्र को भी रेगुलेटर के अतिरिक्त नियंत्रण से मुक्त कर दिया था।

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जून 2005 – सूचना का अधिकार

जून 2005 में सूचना का अधिकारी या आरटीआई (RTI) अधिनियम पारित किया गया था। यह एक ऐसा कानून है जो नागरिकों को सूचना लेने का अधिकार देता है। यह अधिनियम डॉ मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते पेश किया गया था।

सितंबर 2005- रोजगार की गारंटी

केंद्र सरकार ने सितंबर, 2005 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (MNREGA) पारित किया। यह अधिनियम ग्रामीण परिवार के सदस्यों को एक वित्त वर्ष में सौ दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी देता है। इस योजना से देश में गरीबी में 32% की कमी आई और 1.4 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जाने से बचे।

मार्च 2006 में अमेरिका से न्यू क्लियर डील

तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बुश और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 18 जुलाई 2005 में सिविलियन न्यूक्लियर डील और बाहरी अंतरिक्ष सहयोग की योजना पर समझौते का एलान किया था। मार्च 2006 में पूरी हुई इस डील ने सभी को हैरान कर दिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी कांग्रेस ने 30 वर्षों में पहली बार भारत को असैन्य परमाणु फ़्युअल और टेक्नोलॉजी के निर्यात की अनुमति देने के लिए अमेरिकी कानून को बदलने वाले कानून को मंजूरी दी थी।

जनवरी 2009- पहचान के लिए आधार कार्ड

हर नागरिक की एक पहचान बना आधार कार्ड भी तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लाया गया था। डॉ सिंह ने 29 सितंबर, 2010 में महाराष्ट्र के टेम्बली में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के तहत आधार परियोजना का शुभारंभ किया था। आज आधार का कार्ड इस्तेमाल स्कूल से लेकर हर जगह होता है। सरकार द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने में आधार को मददगार बनाने के मकसद से इसे लाया गया था।

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अप्रैल 2010- शिक्षा का अधिकार

यह पूर्व प्रधानमंत्री डॉ सिंह की ही सरकार थी जिन्होंने शिक्षा का अधिकार देशभर में लागू किया था। आरटीई अधिनियम का उद्देश्य 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है, जिससे शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में सुनिश्चित किया जा सके।

First Published : December 27, 2024 | 12:59 PM IST